जयपुर: छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध जयपुर शहर में इस वर्ष निर्जला एकादशी का पर्व विशेष भक्ति और उत्साह के साथ दो दिन मनाया जा रहा है. शुक्रवार को ही शहर के प्रमुख मार्गों पर विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से दान-पुण्य और सेवा कार्य प्रारंभ कर दिए गए. जगह-जगह शरबत, आमरस, मिल्क रोज और नींबू पानी की स्टॉल लगाकर राहगीरों को राहत दी गई.
कल शनिवार को निर्जला एकादशी के देसरे दिन जयपुर के आराध्य श्री गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी को जलविहार कराया जाएगा. इस अवसर पर मंदिर में विशेष श्रृंगार और भोग की व्यवस्था की गई है. ठाकुर जी को चंदन का लेप लगाया जाएगा और रियासतकालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की जाएगी. साथ ही तरबूज, फालसे, आम और अन्य मौसमी फलों के साथ खस और गुलाब के शर्बत का भोग लगाया जाएगा.

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मंदिर प्रशासन द्वारा दर्शन व्यवस्था में बदलाव
- भीड़ की संभावना को देखते हुए पुलिस प्रशासन के सहयोग से विशेष दिशा-निर्देश और सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं.
- मंदिर में प्रवेश केवल मुख्य द्वार से ही संभव होगा. जय निवास बाग और कुएं गेट से प्रवेश निषेध रहेगा.
- दर्शन के बाद निकास केवल जय निवास बाग की ओर से किया जाएगा.
- यह व्यवस्था 7 जून 2025 को मंगला झांकी से लेकर शयन झांकी तक लागू रहेगी.
- मंदिर का निःशुल्क जूता घर बंद रहेगा. श्रद्धालुओं को अपने जूते-चप्पल बाहर ही उतार कर आने की सलाह दी गई है.
- श्रद्धालु जलसेवा के लिए अपने घर से ही मटके में जल लाएं. मंदिर में जल भरने की कोई व्यवस्था नहीं रहेगी.
- हृदय रोगी, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, सांस की तकलीफ या अन्य गंभीर रोगों से ग्रस्त श्रद्धालुओं को मंदिर आने से परहेज करने की सलाह दी गई है.
- सुरक्षा की दृष्टि से कीमती सामान, बैग, लेडीज पर्स और आभूषण लेकर न आएं.
- श्रद्धालुओं को अपने साथ पानी की बोतल लाने के लिए भी कहा गया है.
- संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु दिखाई देने पर तुरंत प्रशासन को सूचित करें.
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विभिन्न स्थानों पर सेवा शिविर लगे: निर्जला एकादशी के अवसर पर शुक्रवार को भी जयपुर में कई समाजसेवी संस्थाओं ने शरबत, मिल्क रोज, फल और गन्ने के रस का वितरण किया. स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज ने हाथोज धाम से आइसक्रीम वितरण कर सेवा प्रकल्प की शुरुआत की. झोटवाड़ा और हवामहल क्षेत्र में भी विभिन्न स्थानों पर सेवा शिविर लगे. बालमुकुंदाचार्य ने स्वयं सड़कों पर सेवा करते हुए गिलास उठाकर कचरा पात्र में डालकर स्वच्छता का संदेश दिया. उन्होंने बताया कि यह एकादशी पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है, जो भक्त वर्षभर की एकादशी नहीं कर पाते, यदि वे केवल इस निर्जला एकादशी का व्रत पूर्ण श्रद्धा से करें तो उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.