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निर्जला एकादशी शुक्रवार को, वैष्णव मंदिरों में 7 जून को मनाई जाएगी, जानें कब रखें व्रत - NIRJALA EKADASHI 2025

सनातन धर्म में उपवास परंपरा में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण एकादशी के रूप में निर्जला एकादशी का माहात्म्य हैं.

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी (फोटो ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 5, 2025 at 11:51 AM IST

2 Min Read

बीकानेर. हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में हर मास में दो दिन यानी 15 दिन में एक बार एकादशी तिथि आती है और पूरे वर्ष में हिंदू पंचांग में 24 एकादशी आती है. इनमें से निर्जला एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है. निर्जला एकादशी को सनातन धर्म परंपरा में व्रत के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना गया है.

क्या है उपवास का महत्व : बीकानेर के पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि उपवास यानी किसी भी स्तर पर संयम होता है. व्रत के दिन किसी चीज का खाने-पीने में संयम के साथ पालन करने से करने से व्यक्ति मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक शुद्धि, नैतिक बल और आनंद को प्राप्त करता है. व्रत परंपरा में प्रत्येक माह की एकादशी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है. इसमें निर्जल रहकर उपवास करना होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी पर व्रत करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है. पांडव पुत्र भीम से जुड़ी होने के कारण इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी भी कहते हैं.

इसे भी पढ़ें: गंगा दशहरा: गंगा स्नान के दौरान जपें ये मंत्र, सदैव बनी रहेगी खुशहाली

कब है एकादशी : इस वर्ष निर्जला एकादशी को लेकर अलग-अलग मतांतर है. वैष्णव मंदिर में जहां 7 जून को एकादशी तिथि मनाई जाएगी. वहीं गृहस्थ लोग 6 जून ये व्रत करेंगे. 6 जून को रात्रि 2:15 बजे पर एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी. इसलिए गृहस्थ लोग 6 जून को ही एकादशी का व्रत करेंगे. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि 6 जून को ही एकादशी तिथि होगी. किराडू ने बताया कि हिंदू धर्म के त्योहार हिंदी माह के अनुसार ही तिथियां में होते हैं और निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होती है. ज्येष्ठ माह मई या जून माह में होता है. तपती दोपहरी और गर्मी के मौसम में निर्जल रहकर उपवास करना संयम और साधना का प्रतीक है.

किस तरह से करें पालन : एकादशी तिथि और खास तौर से निर्जला एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना और उनके मत्रों का जाप निरंतर करते रहने से सुफल प्राप्त होता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को ही समर्पित है ऐसे में इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय की माला का जाप करना श्रेष्ठ होता है. इस दिन जल और शरबत और ठंडे पेय पदार्थों का दान करना चाहिए.

बीकानेर. हिंदू पंचांग के मुताबिक साल में हर मास में दो दिन यानी 15 दिन में एक बार एकादशी तिथि आती है और पूरे वर्ष में हिंदू पंचांग में 24 एकादशी आती है. इनमें से निर्जला एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है. निर्जला एकादशी को सनातन धर्म परंपरा में व्रत के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना गया है.

क्या है उपवास का महत्व : बीकानेर के पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि उपवास यानी किसी भी स्तर पर संयम होता है. व्रत के दिन किसी चीज का खाने-पीने में संयम के साथ पालन करने से करने से व्यक्ति मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक शुद्धि, नैतिक बल और आनंद को प्राप्त करता है. व्रत परंपरा में प्रत्येक माह की एकादशी महत्वपूर्ण होती है, लेकिन निर्जला एकादशी सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है. इसमें निर्जल रहकर उपवास करना होता है. हिंदू मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी पर व्रत करने से वर्ष की सभी 24 एकादशियों के समतुल्य पुण्य प्राप्त होता है. पांडव पुत्र भीम से जुड़ी होने के कारण इसे पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी या भीम एकादशी भी कहते हैं.

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कब है एकादशी : इस वर्ष निर्जला एकादशी को लेकर अलग-अलग मतांतर है. वैष्णव मंदिर में जहां 7 जून को एकादशी तिथि मनाई जाएगी. वहीं गृहस्थ लोग 6 जून ये व्रत करेंगे. 6 जून को रात्रि 2:15 बजे पर एकादशी तिथि शुरू हो जाएगी. इसलिए गृहस्थ लोग 6 जून को ही एकादशी का व्रत करेंगे. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि 6 जून को ही एकादशी तिथि होगी. किराडू ने बताया कि हिंदू धर्म के त्योहार हिंदी माह के अनुसार ही तिथियां में होते हैं और निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होती है. ज्येष्ठ माह मई या जून माह में होता है. तपती दोपहरी और गर्मी के मौसम में निर्जल रहकर उपवास करना संयम और साधना का प्रतीक है.

किस तरह से करें पालन : एकादशी तिथि और खास तौर से निर्जला एकादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा आराधना और उनके मत्रों का जाप निरंतर करते रहने से सुफल प्राप्त होता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को ही समर्पित है ऐसे में इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय की माला का जाप करना श्रेष्ठ होता है. इस दिन जल और शरबत और ठंडे पेय पदार्थों का दान करना चाहिए.

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