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यह तारीख बदल देगी आपकी किस्मत, निर्जला एकादशी का व्रत करने से मिलते हैं 24 एकादशी के फल - NIRJALA EKADASHI 2025

हिंदू धर्म में वैसे तो सालभर में 24 एकादशी होती है, लेकिन सबसे ज्यादा महत्व निर्जला एकादशी का माना जाता है. नोट कर लें तारीख

Nirjala Ekadashi 2025
Nirjala Ekadashi 2025 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : June 2, 2025 at 2:18 PM IST

4 Min Read

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एक महीने में दो एकादशी आती है. इस समय हिंदू वर्ष के अनुसार ज्येष्ठ महीना चल रहा है और इस महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है. इसका व्रत सबसे ज्यादा पुण्य देने वाला व्रत माना जाता है. क्योंकि यह व्रत करने से साल में अन्य पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर का फल प्राप्त होता है और इसका व्रत भी काफी कठोर होता है. इस दिन इंसान जल तक ग्रहण नहीं करते, इसलिए इसको निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है.

कब है निर्जला एकादशी: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी की शुरुआत 6 जून को सुबह 2:05 से होगी. जबकि इसका समापन 7 जून को सुबह 4:45 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए एकादशी का व्रत 6 जून के दिन रखा जाएगा. एकादशी का पारण एकादशी से अगले दिन किया जाता है. इसलिए इसके पारण का समय 7 जून को दोपहर बाद 1:44 से शुरू होकर शाम के 4:31 तक रहेगा.

निर्जला एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि निर्जला एकादशी का सभी एकादशी से ज्यादा महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस एकादशी का व्रत करने से साल में अन्य पढ़ने वाली 23 एकादशी के बराबर का फल प्राप्त होता है. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है. निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन भी ने भी अपने जीवन का पहला और अंतिम व्रत यह रखा था. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है. जल का दान करना सबसे बड़ा दान इस दिन माना जाता है. सबसे घर में सुख समृद्धि आती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है.

एकादशी के व्रत का विधि विधान: निर्जला एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक लगाएं और व्रत रखने का प्रण लें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, वह व्रत रखने का इस दौरान प्रण लें. याद रहे निर्जला एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन जल ग्रहण करना भी नहीं होता.

भगवान विष्णु की करें पूजा: भगवान विष्णु को पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. दिन में विष्णु पुराण और एकादशी की कथा का पाठ करें. इस घर में सुख समृद्धि आती है. नकारात्मक शक्ति दूर होती है. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. गरीब और गाय को भोजन दें. अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें. ऐसा करने से इंसान के सभी इच्छा पूरी होती है.

एकादशी के दिन करें विशेष उपाय: एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से यह एकादशी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. इस दिन दान करने से इंसान के घर में आर्थिक संकट दूर होता है. जल का दान करना सबसे अच्छा दान माना जाता है, या ठंडी वस्तु का दान करना भी अच्छा माना जाता है. जान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन नाखून और बाल काटना अशुभ माना जाता है. इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

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करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एक महीने में दो एकादशी आती है. इस समय हिंदू वर्ष के अनुसार ज्येष्ठ महीना चल रहा है और इस महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है. इसका व्रत सबसे ज्यादा पुण्य देने वाला व्रत माना जाता है. क्योंकि यह व्रत करने से साल में अन्य पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर का फल प्राप्त होता है और इसका व्रत भी काफी कठोर होता है. इस दिन इंसान जल तक ग्रहण नहीं करते, इसलिए इसको निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है.

कब है निर्जला एकादशी: पंडित पवन शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी की शुरुआत 6 जून को सुबह 2:05 से होगी. जबकि इसका समापन 7 जून को सुबह 4:45 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए एकादशी का व्रत 6 जून के दिन रखा जाएगा. एकादशी का पारण एकादशी से अगले दिन किया जाता है. इसलिए इसके पारण का समय 7 जून को दोपहर बाद 1:44 से शुरू होकर शाम के 4:31 तक रहेगा.

निर्जला एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि निर्जला एकादशी का सभी एकादशी से ज्यादा महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस एकादशी का व्रत करने से साल में अन्य पढ़ने वाली 23 एकादशी के बराबर का फल प्राप्त होता है. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती है. निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन भी ने भी अपने जीवन का पहला और अंतिम व्रत यह रखा था. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है. जल का दान करना सबसे बड़ा दान इस दिन माना जाता है. सबसे घर में सुख समृद्धि आती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है.

एकादशी के व्रत का विधि विधान: निर्जला एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक लगाएं और व्रत रखने का प्रण लें. जो भी जातक इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, वह व्रत रखने का इस दौरान प्रण लें. याद रहे निर्जला एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन जल ग्रहण करना भी नहीं होता.

भगवान विष्णु की करें पूजा: भगवान विष्णु को पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. दिन में विष्णु पुराण और एकादशी की कथा का पाठ करें. इस घर में सुख समृद्धि आती है. नकारात्मक शक्ति दूर होती है. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. गरीब और गाय को भोजन दें. अगले दिन पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें. ऐसा करने से इंसान के सभी इच्छा पूरी होती है.

एकादशी के दिन करें विशेष उपाय: एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से यह एकादशी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है. इस दिन दान करने से इंसान के घर में आर्थिक संकट दूर होता है. जल का दान करना सबसे अच्छा दान माना जाता है, या ठंडी वस्तु का दान करना भी अच्छा माना जाता है. जान करने से कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन नाखून और बाल काटना अशुभ माना जाता है. इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

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