उदयपुर: झीलों की नगरी उदयपुर के अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने निर्जला एकादशी के अवसर पर अपनी कला के माध्यम से एक अनूठा संदेश दिया. फतेहसागर झील किनारे एक डोर में एक साथ 500 पतंगें उड़ाकर समाज को विशेष संदेश दिया तो वहीं दूसरी ओर भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी उन्होंने अपनी पतंगबाजी के माध्यम से देश के वीर सैनिकों का अभिनंदन किया.
हर साल निर्जला एकादशी के अवसर पर उदयपुर के अब्दुल कादिर अपनी पतंगबाजी की कला के माध्यम से समाज को संदेश देने का काम करते हैं. शुक्रवार को फतेहसागर किनारे जब अब्दुल एक डोर में 500 पतंग उड़ा रहे थे, इस दौरान उन्होंने पानी बचाओ, जल ही जीवन है और पानी के महत्व के बारे में बताते हुए भी लोगों को संदेश दिया. अब्दुल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पानी की एक-एक बूंद काफी महत्वपूर्ण है. आने वाला समय मानसून का है. ऐसे में हमें पानी का संरक्षण और पानी बचाने के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि जल है, तो जीवन है. वहीं, सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देते हुए उन्होंने निर्जला एकादशी के लिए भी शुभकामनाएं दी.
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए सेना का अभिनंदन : अब्दुल ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक अनूठा पैगाम दिया. अपनी पतंग पर ऑपरेशन सिंदूर लिखने के साथ ही ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देने के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की तस्वीर भी पतंग पर बनाने का काम किया. अब्दुल ने बताया कि भारत ने जिस तरह से पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के तहत मुंहतोड़ जवाब दिया है, ऐसे में मैं अपनी कला के माध्यम से देश के वीर सैनिकों का अभिनंदन करता हूं. इसके साथ ही भारत माता की बेटियों के साहस और जज्बे को सलाम करता हूं.

इस बार की पतंगबाजी में यह बात रही खास : अब्दुल कादिर ने बताया कि इस बार वह अपनी पतंगों में विशेष तौर पर ऑपरेशन सिंदूर, जय हिन्द के साथ ट्रेन वाली 500 पंतगें, 100 पतंगे रेड कलर की, दिलनुमा आई लव इंडिया, कोबरा, पैराशूट, लिफटर, ऑक्टोपस, टाइगर, बाक्सनुमा, गोल चकरी पतंगों का प्रदर्शन किया. अब्दुल ने बताया कि वे 2001 से पतंगबाजी कर रहे हैं. देश के कई राज्यों में हुई प्रतियोगिताओं में उन्होंने भाग लिया.

अब तक उन्होंने हैदराबाद, केरल, गोवा, चंडीगढ़ और पंजाब में हुई कई पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज का खिताब अपने नाम कर चुके हैं. इस दौरान उन्होंने कई पुरस्कार भी जीते हैं. अब तक उन्होंने पतंगों के माध्यम से बेटी बचाओ, पर्यावरण बचाओ, पानी और झीलों को बचाने, कोरोना जन-जागरूकता के साथ ही हिंदू-मुस्लिम एकता का भी संदेश दिया है.

पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध हैं अब्दुल : उदयपुर के अब्दुल कादिर ने पतंगबाजी में खास मुकाम हासिल किया है.अंतरराष्ट्रीय पतंगबाज अब्दुल कादिर ने एक डोर से 1000 से अधिक पतंगें उड़ाने के साथ कई रिकॉर्ड भी अपने नाम किए हैं. हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में काइट फेस्टिवल में अब्दुल ने जब एक डोर से हजार पतंगें उड़ाई तो वहां मौजूद लोग इसे देख दंग रह गए. इतना ही नहीं, इससे पहले भी कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने पतंगों के माध्यम से जन जागरूकता का संदेश दिया था. पिछले 20 सालों से पतंगबाजी में अब्दुल कादिर ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं.

तीन पीढ़ियों से पतंगबाजी जारी : अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके दादा और पिता को भी पतंगबाजी में महारत हासिल थी. अब अब्दुल तीसरी पीढ़ी हैं, जो इस कला में पारंगत हैं. उनके दादा नूर खां का पतंगबाजी में काफी नाम था. उन्होंने करीब 50 साल तक पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लिया. अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके पिता अब्दुल रशीद ने भी पतंगबाजी में देशभर में नाम कमाया है. इसके बाद अब्दुल परिवार की इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं. अब्दुल ने बताया कि पतंगबाजी का जुनून उनके दादा को था, फिर उन्हें देखकर पिता ने सीखा और अब यह उनके अंदर आ गया है. पूरा परिवार 50 सालों से इस पतंगबाजी की कला से जुड़ा हुआ है.

इस तरह बनाते हैं पतंगें : अब्दुल ने बताया कि इन पतंगों को बनाने के लिए लकड़ी की कमान और कपड़े की सिलाई कर उसे बैलेंस किया जाता है. एक डोर पर इतनी सारी पतंगें उड़ाने के पीछे खास तकनीक है. ऐसे पतंग उड़ाने के लिए ऊपर वाली लकड़ी पतली होनी चाहिए, ताकि हवा में ऊंचाई मिल सके. जबकि सीधी लगने वाली लकड़ी मोटी होनी चाहिए, जिससे हवा में संतुलन बना रहे. इसके बाद रेशम की मजबूत डोर पर पतंगों को एक-एक फीट की दूरी पर बांधते हैं.

इसके साथ ही इन्हें उड़ाने के लिए मध्यम गति की हवा चलना भी जरूरी है. इन पतंगों को अलग-अलग डिजाइन दी जाती है, जिनमें उन पर आंख, मुंह की आकृति बनाकर आकर्षक बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इसे बनाने में करीब 15 दिन का समय लगता है.