लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिए शुक्रवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग हुई. मीटिंग में जो भी फैसले लिए गए उस पर ऊर्जा विभाग से जुड़े संगठनों के साथ ही उपभोक्ता परिषद ने भी आपत्ति दर्ज कराई है. कहा है कि जो प्रेजेंटेशन दिया गया, वास्तविकता से अवगत नहीं कराया गया है.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का आरोप है कि उत्तर प्रदेश में निजीकरण की शुरुआत होने के बाद एनर्जी टास्क फोर्स ने अलग-अलग अपने निर्णय इस प्रकार से किए हैं कि अगर उसकी ही जांच हो जाए तो बड़ा मामला सामने आएगा. सबसे पहले एनर्जी टास्क फोर्स ने भारत सरकार की 20 सितंबर 2020 में प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के तहत कार्रवाई शुरू की.
गुपचुप तरीके से तैयार की गाइडलाइन : आरएफपी बनाई और ग्रांट थॉर्टन कंपनी का चयन किया, वह भी झूठा शपथ पत्र दाखिल करने में दोषी है. अब एनर्जी टास्क फोर्स में एक नया मामला सामने आ गया. शुक्रवार को एनर्जी टास्क फोर्स ने पावर कॉरपोरेशन व भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के साथ गुपचुप तरीके से तैयार कराई गई एक नई प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन नौ अप्रैल पर चर्चा की.
ये गाइडलाइन आज तक भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर सामने नहीं आई. अब भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय की इस गाइडलाइन का पावर कॉरपोरेशन खुलासा कर रहा है, जिसे इसका अधिकार ही नहीं है. भारत सरकार की गाइडलाइन तभी विधि मान्य होगी जब वह मिनिस्ट्री ऑफ पावर की वेबसाइट पर उपलब्ध हो.
नई गाइडलाइन क्यों ? उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि शुक्रवार को हुई एनर्जी टास्क फोर्स की मीटिंग में अप्रैल 2025 में प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन के आधार पर टेंडर में हिस्सा लेने वाले उद्योगपतियों के पक्ष में कुछ शिथिलता देने पर सहमति बनी. सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि वर्ष 2020 में ऊर्जा मंत्रालय ने आम जनता की सहमति और उनके सुझाव के लिए जो स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन बनाई, क्या उसे फाइनल कर लिया? अगर फाइनल नहीं किया तो एक नई स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन 2025 के रूप में पावर कारपोरेशन कैसे सामने आ गई?
उनका कहना है कि गाइडलाइन समाप्त कर नई गाइडलाइन देश और प्रदेश की आम जनता की राय लेने के लिए भारत सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई होती? ऐसा कुछ नहीं हुआ. पावर कॉरपोरेशन देश के ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी होने वाली इस प्रस्तावित स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन का खुलासा कर रहा है जो उसके अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं.
उन्होंने कहा कि एनर्जी टास्क फोर्स को यह बात समझ लेना चाहिए कि जिन 42 जनपदों के निजीकरण की बात चल रही है वहां पर 1959 से बिजली विभाग कार्यरत है और उनकी सेवा कर रहा है. इस प्रकार से जल्दबाजी में किसी उद्योगपति को विभाग नहीं सौंपा जा सकता है.