जोधपुर: राजस्थान में जोधपुर से फलोदी जिला अलग होने के बाद शेष जोधपुर ग्रामीण में पंचायतों का पुनर्गठन पूरा कर लिया गया है. खास बात यह है कि सरकार ने जनप्रतिनिधियों के आग्रह पर जिले में पंचायत समितियों की संख्या 14 से बढ़ाकर 28 की जा रही है. इतना ही नहीं, राजस्थान में सर्वाधिक 242 ग्राम पंचायतें जोधपुर जिले में बढ़ाई जा रही हैं. जबकि पूरे राजस्थान में 11304 ग्राम पंचायतें और 352 समितियां बढ़ रही हैं. माना जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह की कवायद का सीधा फायदा सत्तारूढ़ दल को होता है.
जोधपुर जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल ने बताया कि तय नियमों के तहत ग्राम पंचायतें और पंचायत समितियां बनाने की ड्राफ्ट जारी कर दिया हैं. एक माह तक इस पर आपति ली जाएगी. इसके बाद अंतिम प्रकाशन कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि नए राजस्व ग्राम के लिए 1600 की जनसंख्या, पंचायत समिति के लिए 1 लाख 20 हजार की जनसंख्या का नियम तय किया गया है.
अब जोधपुर में 649 ग्राम पंचायतें : फलोदी के साथ जब जोधपुर जिला था तब भी जोधपुर में 626 ग्राम पंचायतें थीं, लेकिन अब फलौदी जिला नया बनने के बाद लोहावट व फलोदी विधानसभा क्षेत्र वहां जाने के बाद जितनी पंचायतें घटी थीं, उससे ज्यादा बढ़ाई जा रही हैं. जिले में 242 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं. जिसके बाद यह संख्या 649 होगी. हालांकि, 6 मई तक इस पर कोई भी व्यक्ति आपत्ति कर सकता है. सही आपति हुई तो ही बदलाव होगा, अन्यथा ग्राम पंचायतों की संख्या 649 ही रहेगी.
7 पंचायत समितियां गईं, 14 नई बनीं : पहले जोधपुर जिले में 21 पंचायत समितियां थीं. फलोदी जिले के अलग होने पर 7 पंचायत समितियां फलोदी जिले में चली गई थीं. तब जोधपुर जिले में 407 ग्राम पंचायत और 14 पंचायत समितियां शेष रही थीं, लेकिन नए परिसिमन के लिए इसमें बदलाव किया गया. जिसके तहत 14 नई पंचायत समितियां बनाई गई हैं. सर्वाधिक 6 नई पंचायत समितियां शेरगढ विधानसभा में गठित की गई हैं, जिनमें चाबा, सोमेसर, खिरजां खास, आगोलाई, जिनजिनयाला कलां, नाथडाऊ हैं. ओसियां विधानसभा क्षेत्र में 4 नई पंचायत समितियां प्रस्तावित की गई हैं. इनमें सामराऊ, चेराई, उम्मेद नगर और हतुंडी शामिल हैं. लूणी में झंवर को नई पंचायत बनाया गया है. बिलाड़ा में कापरड़ा और भोपालगढ़ विधानसभा में सालवा खुर्द और आसोप को पंचायत समिति बनाया गया है.
जनप्रतिनिधित्व बढ़ने से होता है दलों को फायदा : जोधपुर जिले में अभी आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें छह पर भाजपा काबिज है. माना जा रहा है कि 242 पंचायत समितियां बढ़ने से जिले में पंचायत चुनाव में 242 सरपंच बढ़ जाएंगे. इसी तरह से पंचायत समिति सदस्य और प्रधान बढ़ेंगे. इसके लिए भाजपा व कांग्रेस दोनों के कार्यकर्ता मौका पाने के लिए काम करेंगे, जिसका सीधा फायदा पार्टी को होगा.
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण धींगरा का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी को इससे ज्यादा फायदा होता है, क्योंकि पंचायत चुनाव एक साल में होंगे. उसके बाद भी प्रदेश में भाजपा सरकार का कार्यकाल ढाई साल का बाकी रहेगा. ऐसे में ग्रामीण नेता सत्तासीन पार्टी को ज्यादा चुनेंगे, जिससे उनके विकास कार्य हो सकें.