पटना: राजधानी पटना कोरोना के मामले को लेकर हॉटस्पॉट बन गया है. पिछले 3 सप्ताह में बिहार में कोरोना के जितने मामले मिले हैं सभी पटना में मिले हैं. वहीं दो सप्ताह में पहली बार एक दिन में एक मरीज मिला है. पटना में सोमवार को कोरोना का एक मामला सामने आया है और यह रिपोर्ट निजी लैब में मिली है.
पटना में बढ़ते जा रहे कोरोना मरीज: अब कुल संक्रमितों की संख्या 61 हो गई है. इनमें सक्रिय संक्रमितों की संख्या 39 है, जबकि 22 लोग कोरोना से पूरी तरह से ठीक हो गए हैं. सिविल सर्जन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को एक मरीज की रिपोर्ट निजी लैब में पॉजिटिव मिली है. मरीज संक्रमण के हल्के से मध्य लक्षण के साथ होम आइसोलेशन में है.
पटना के इन 6 क्षेत्रों में फैला संक्रमण: पटना जिला सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि नए मामले नेऊरा, दानापुर, दीघा, कुम्हार, राजीवनगर और कंकड़बाग में मिले हैं. बीते दिनों बख्तियारपुर के भी एक व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है. इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों में एक्सीबिशन रोड, मीठापुर और हनुमान नगर जैसे इलाकों में भी मामले सामने आए हैं.
लापरवाही बनी चिंता का सबब: पटना जिले की विभिन्न इलाकों में संक्रमण के मामले देखने को मिल रहे हैं. संक्रमितों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही है. जिस पर वो लोग लगातार नजरे बनाए हुए हैं. अच्छी बात यह है कि सभी मरीज संक्रमण के हल्के लक्षण के साथ होम आइसोलेशन में है.
भूल कर भी न करें ये गलती: पटना में कोरोना के बढ़ते मामले पर चिंता जाहिर करते हुए वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि अधिकांश लोग सर्दी-खांसी, बुखार और शरीर दर्द को मौसमी बीमारी मानकर कोरोना जांच नहीं करा रहे हैं. इसके अलावा अस्पतालों में मरीज मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग नहीं कर रहे जो बिल्कुल गलत है.
जानें विशेषज्ञ की राय: डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने कहा कि कोरोना के लक्षण सभी जानते हैं और यदि किसी को लक्षण दिखता है तो तुरंत जांच कराएं. शुरुआती पहचान से उपचार आसान है. संक्रमण के लक्षण है तो कोविड बिहेवियर का पालन करें. स्वास्थ्य संस्थानों में, भीड़ भाड़ वाली जगह पर चेहरे पर मास्क का प्रयोग करें. इसके अलावा संक्रमण के मामले कब मिल रहे हैं तो यह भी कारण है कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में जांच कम हो रही है.
"स्वास्थ्य संस्थानों में चेहरे पर मास्क सभी के लिए अनिवार्य हो जाना चाहिए और यदि किसी को संक्रमण का लक्षण है तो उसे भी बाहर नहीं जाना चाहिए. क्योंकि उसकी लापरवाही उसके साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी खतरा बन सकती हैं. सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में कोरोना जांच बढ़ाने की आवश्यकता है. अधिकांश पॉजिटिव मामले निजी लैब में मिले हैं और निजी लैब में लोगों को काफी पैसे खर्च करने पर रहे हैं."-डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरिष्ठ चिकित्सक
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