लातेहार: जिले में अब महुआ चुनने के लिए जाल का उपयोग किया जाएगा. लातेहार डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने जंगल को आग से बचाने के साथ-साथ महुआ की बेहतर क्वालिटी के लिए एक पहल आरंभ की है. इसके तहत ग्रामीणों को जाल के माध्यम से महुआ चुनने के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
वन विभाग के द्वारा प्रायोगिक तौर पर कुछ ग्रामीणों को निशुल्क जाल भी उपलब्ध कराए जाने की योजना है. दरअसल, लातेहार जिले में महुआ का सीजन आने के बाद ग्रामीणों के द्वारा जंगलों में महुआ के पेड़ के नीचे सफाई के लिए आग लगा दी जाती है. ग्रामीणों की इस छोटी सी लापरवाही के कारण जंगलों का बड़ा नुकसान हो रहा है. आग के कारण लाखों पेड़-पौधे जल जाते हैं. कभी-कभी तो यह इतना भयंकर हो जाता है कि इसमें कई जीव जंतु भी जल कर मर जाते हैं.
इन जंगलों को बचाने के लिए लातेहार डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने लातेहार जिले में एक बेहतर पहल की है. उन्होंने वन विभाग के कर्मियों और वन सुरक्षा समिति के सदस्यों के साथ मिलकर ग्रामीणों को महुआ चुनने के लिए जाल का प्रयोग करने के प्रति जागरूक करने की योजना बनाई है. इस योजना को धरातल पर उतारने का कार्य भी आरंभ हो गया है. ग्रामीणों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार पेड़ के नीचे जाल लगाकर महुआ चुना जा सकता है. इससे जंगलों को नुकसान भी नहीं होगा और जाल में महुआ गिरने के कारण इसकी क्वालिटी भी बेहतर रहेगी.
इस संबंध में लातेहार डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने बताया कि जंगल को बचाने के लिए एक प्रयास शुरू किया गया है. लोगों को पेड़ के नीचे जाल लगाकर महुआ चुनने के प्रति जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जाल लगाए जाने से पेड़ से सीधे महुआ जाल में गिरेगा, जिससे महुआ का नुकसान नहीं होगा. जमीन में महुआ गिरने से उसकी क्वालिटी में कुछ कमी आ जाती है. यदि ग्रामीण आग नहीं लगाएंगे तो जंगलों को काफी फायदा होगा और प्रत्येक वर्ष बड़े पैमाने पर महुआ के नए पेड़ भी उग आएंगे.
जंगल सुरक्षित रखने वाले ग्रामीणों को किया जाएगा पुरुस्कृत
डीएफओ प्रवेश अग्रवाल ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर वैसे ग्रामीणों को विभाग के द्वारा जाल उपलब्ध कराने की योजना बनाई गई है जो ग्रामीण जंगल की सुरक्षा को लेकर जागरूक हो. पहले चरण में 200 से अधिक लोगों को प्रायोगिक तौर पर जाल उपलब्ध कराने की योजना तैयार है.
उन्होंने कहा कि जंगल को सुरक्षित रखने वाले ग्रामीणों को विभाग के द्वारा पुरस्कृत भी किया जाएगा. वन विभाग की यह पहल अपने आप में अनोखी है. यदि विभाग की यह योजना सफल हुई तो इससे जहां महुआ चुनने वाले ग्रामीणों को लाभ होगा, वहीं जंगलों के लिए भी यह वरदान साबित होगा.
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