बस्तर: छत्तीसगढ़ में बीते 3 दशक से भी ज्यादा समय से नक्सलवाद का नासूर लोगों की जिंदगी को लील रहा है. मंगलवार को जगदलपुर में माओवाद के विद्रूप चेहरे पर चर्चा हुई. बीजिंग से बस्तर कार्यक्रम में नक्सलवाद के खतरे को लेकर लोगों और राजनेताओं ने अपनी राय रखी. इस दौरान नक्सल पीड़ितों ने सरकार से नक्सलवाद पर प्रहार की मांग की और इस समस्या का जल्द अंत करने की गुजारिश की.
बस्तर संभाग के सभी जिलों से जुटे लोग: नक्सलवाद के खतरे को लेकर नक्सल पीड़ितों ने अपना दर्द बयां किया. बस्तर के सातों संभाग से लोग जुटे और उन्होंने रैली निकालकर अपना विरोध जताया. नक्सलवाद मुर्दाबाद के नारे से बस्तर गूंज उठा. यह रैली शहर के सिरहासार भवन से निकली जो हाता ग्राउंड, संजय मार्केट से शहीद स्मारक सिरहासार पहुंची. यहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद नक्सल घटनाओं और उनकी समस्याओं को गृह मंत्री विजय शर्मा के समक्ष रखकर लोगों ने ज्ञापन सौंपा.
अबूझमाड़ में हुए नक्सल एनकाउंटर में नक्सल संगठन के सबसे बड़े लीडर बसवा राजू को मार गिराया. ऐसे ही सरकार से निवेदन है कि सभी माओवादियों को मार गिराए और हमें उन्हें न्याय दें. क्योंकि माओवादियों की वजह से संभाग के किसी ने अपना भाई, अपने पिता, अपने परिवार के सदस्यों को खोया है.- नक्सल पीड़ित
नक्सल पीड़ित महिलाओं का भी छलका दर्द: नक्सल पीड़ित महिलाओं का भी इस दौरान दर्द छलका. एक नक्सल पीड़ित महिला ने बताया कि साल 2005 में उनके पति की हत्या नक्सलियों ने कर दी. इस दौरान वह गर्भवती थी. उसके बाद से मैं साल 2005 से 2011 तक नौकरी के लिए भटकी. साल 2011 में नौकरी मिली. जल्द ही नक्सलवाद का खात्मा होना चाहिए.

पखांजूर के शख्स ने क्या कहा ?: इस दौरान पखांजूर से आये नक्सल पीड़ित ने कहा कि वे पूर्व से भाजपा के लिए कार्य कर रहे हैं. यही कारण है माओवादियों ने उनके बेटे को मार दिया. जिसके बाद 3 सालों तक घर से बाहर रहे और भारी कठिनाइयों में ज़िंदगी बिताई. किसी दूसरे के घर मे रुके. पेड़ों के नीचे दिन गुजारी. खाली पेट भी रहे. आज खुश हूं क्योंकि माओवादियों के बड़े नेता को मार गिराया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार से मांग है कि पहले की तरह मेरी जमीन लौटाई जाए.

कांकेर निवासी पूर्व नक्सली की बेटी ने कहा कि" मेरे पिता नक्सल संगठन से जुड़कर कार्य करते थे. उन्होंने नक्सल संगठन त्यागकर 2016 में सरेंडर किया. लेकिन सरेंडर के बाद भी आज तक कोई सुविधा मेरे परिवारों को नहीं मिली है. भानुप्रतापपुर में आज भी मेरा परिवार झोपड़ी में जीवन यापन करने को मजबूर हैं. उस झोपड़ी के लिए भी लड़ाई होते रहती है. किसी प्रकार की कोई नौकरी नहीं मिली है. हम सरकार से नौकरी की मांग करते हैं.
मेरे पिता की हत्या माओवादियों ने साल 2023 में की थी. उसके बाद पुलिस प्रशासन ने नौकरी देने की बात भी कही थी. लेकिन आवेदन करने और प्रकिया करने के बाद भी आज तक किसी को नौकरी नहीं मिली.- दंतेवाड़ा निवासी महिला

मेरे साथी जनपद सदस्य पांडु की हत्या माओवादियों ने साल 2015 में कर दी. वह मुझे भी मारने के लिए तैयार थे. जिसके बाद मेरा परिवार गांव छोड़कर जगदलपुर शहर में बस गया. मेरे को पुलिस ने गोपनीय सैनिक बनाया. मैं आज तक गोपनीय सैनिक के पद पर ही कार्य कर रहा हूं. सरकार से मैं प्रमोशन की मांग करता हूं,- धनीराम सेठिया, गोपनीय सैनिक, बस्तर

गृह मंत्री विजय शर्मा ने सरकार का पक्ष रखा: इस अवसर पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि जो नक्सल पीड़ित इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे. उनकी संख्या काफी कम है. इससे 10 गुना अधिक लोग हैं जो नक्सल पीड़ित हैं और सरकार के सिस्टम से भी नाराज है. इनके लिए केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद हर बुधवार को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों के एसपी कार्यालय में एक शिविर लगाया जाएगा. जहां नक्सल पीड़ित परिवार अपनी समस्या को लेकर आवेदन कर सकेंगे उन्हें एक फॉर्मेट दिया जाएगा और यह आवेदन आईजी ऑफिस होते हुए खुद उनके पास पहुंचेगा.
कानून के दायरे में जो भी मांगें होंगी. उसे जरूर पूरा किया जाएगा. ऐसे कई लोगों की सरकार लगातार मदद कर रही है. लेकिन अब नक्सलवाद के खात्मे के लिए मिलकर प्रयास किया जा रहा है. बस्तर से नक्सलवाद खत्म करना है. इसलिए मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का संकल्प लिया गया है. इसमें बस्तर के लोग और सरकार मिलजुल कर काम कर रहे हैं.- विजय शर्मा, गृह मंत्री, छत्तीसगढ़
नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने की जरूरत: डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलवाद को जड़ से खत्म करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार नक्सल पीड़ितों की समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर है.