ETV Bharat / state

हजारीबाग में आदिवासियों की दुर्दशा देख भड़कीं आशा लकड़ा, अधिकारियों को फटकार - Scheduled Tribes Commission

Asha Lakra in Hazaribag. हजारीबाग में अनुसूचित जनजाति समाज के लिए चलायी जा रही योजनाओं का हाल राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने जाना. इस दौरान गड़बड़ी पाए जाने पर उन्होंने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई.

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 9, 2024, 10:58 PM IST

Scheduled Tribes Commission
हजारीबाग में बैठक करतीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा. (फोटो-ईटीवी भारत)

हजारीबाग: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने हजारीबाग में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए चलायी जा रही योजना का हाल देखकर रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि हजारीबाग में आदिवासियों की स्थिति बदतर है. अगर अंक देने की बात की जाए तो 100 अंक में महज ढाई अंक ही हजारीबाग को दिया जाएगा.

हजारीबाग में बैठक के बाद बयान देतीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

एक दिवसीय दौरे पर हजारीबाग पहुंचीं आशा लकड़ा

दरअसल, आशा लकड़ा एक दिवसीय दौर पर सोमवार को हजारीबाग पहुंची थीं. हजारीबाग में उन्होंने बालक छात्रावास और बालिका छात्रावास का निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों से मिलकर जानकारी प्राप्त की. इसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ लगभग आठ घंटे तक मैराथन बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई.उन्होंने बैठक में मौजूद पदाधिकारियों से पूछा कि आखिर हजारीबाग में आदिवासी समाज के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं का परिणाम क्यों नहीं दिख रहा है.

बालक छात्रावास में कुव्यवस्था देख जताई नाराजगी

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति की सदस्य आशा लकड़ा ने कहा कि नवाबगंज स्थित बालक छात्रावास के निरीक्षण के दौरान भारी गड़बड़ी पाई गई. उन्होंने कहा कि 100 छात्र वाले छात्रावास में 250 से 300 छात्र रह रहे हैं. छात्रावास में शौचालय की स्थिति भी बेहद खराब है. वहीं पेयजल को लेकर भी हाहाकार मचा हुआ है. छात्रावास में बर्तन तक नहीं हैं. यहां तक की वहां बिजली की भी स्थिति जर्जर है. छात्रावास के कमरे से पानी टपक रहा है.

Asha Lakra In Hazaribag
हजारीबाग में बालक छात्रावास की स्थिति. (फोटो-ईटीवी भारत)

शौचालय में छात्रों ने बना रखी है लाइब्रेरी

उन्होंने कहा कि 1960 -61 में भवन का निर्माण हुआ था. उसके बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यहां कोई काम ही नहीं हुआ है. उन्होंने बालक छात्रावास की स्थिति को देखकर सवाल खड़ा किया है . आशा लकड़ा ने बताया कि आलम यह है कि शौचालय में ही छात्रों ने लाइब्रेरी बना रखी है. जहां वह बैठकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए हजारीबाग में कितने काम किए जा रहे हैं.

बालिक छात्रावास का भी हाल बुरा

वहीं हजारीबाग में बालिका छात्रावास के निरीक्षण में शौचालय की स्थिति बेहद खराब पायी गई है. 2023 में ही बालिका छात्रावास में मरम्मत का काम हुआ था. लेकिन कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. छात्रावास के 10 कमरे ऐसे हैं जहां से पानी का रिसाव हो रहा है. 100 बेड की कैपेसिटी वाले बालिका छात्रावास में 200 से अधिक छात्राएं रह रही हैं. हालत यह है कि एक बेड पर दो से तीन छात्राएं सोती हैं. उन्होंने कहा कि महिला छात्रावास में भी बिजली की स्थिति ठीक नहीं है.

आदिवासी समाज के साथ हो रही नाइंसाफी

आशा लकड़ा ने बताया कि आदिवासी समाज के लोगों के साथ बैठक में कई बातें निकलकर सामने आयी हैं. उन्होंने कहा कि समाज के लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है. आवेदन देने के बावजूद थाना में एफआईआर तक रजिस्टर्ड नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि जिस महिला के साथ गलत व्यवहार किया गया उसे मुआवजा की राशि तक नहीं प्रदान की गई है. उन्होंने बताया कि बैठक में जमीन विवाद के कई मामले सामने आए हैं.साथ ही 2016 से रसीद नहीं कट रही है. 1985 में बंदोबस्ती की गई जमीन का भी रसीद नहीं कट रहा है. उन्होंने कहा कि कई अंचलाधिकारी अनुसूचित जनजाति के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं.

Asha Lakra In Hazaribag
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम (फोटो-ईटीवी भारत)

प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए सवाल

उन्होंने हजारीबाग जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं. आशा लकड़ा ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के एक युवक जो उरांव जनजाति से है जिसका नाम सुमन बोडो है उसने पोस्ट ऑफिस की परीक्षा पास की. उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया. इस कारण उसकी नौकरी चली गई .उन्होंने कहा कि अंचल अधिकारी ने उससे खतियान की मांग कर ली. जिसे वह उपलब्ध नहीं कर सका. इस कारण उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया. उन्होंने कहा कि यह अनुसूचित जनजाति के छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला है.

विभागों के पास नहीं हैं सटीक आंकड़े

आशा लकड़ा ने हजारीबाग समाहरणालय में सभी विभागों के पदाधिकारियों से मिलकर योजनाओं का हाल जाना. इस दौरान कई विभागीय पदाधिकारियों के जवाब से आशा लकड़ा असंतुष्ट नजर आईं. उन्होंने कहा कि हजारीबाग जिले में जब यह जानने की कोशिश की गई कितने बच्चे ड्रॉप आउट हैं, शिक्षकों की संख्या क्या है, सहायक शिक्षकों की संख्या क्या है, आवासीय विद्यालय की स्थिति क्या है ,आंगनबाड़ी केंद्र कहां चल रहे हैं तो इसका भी सही जवाब विभाग ने नहीं दे पाया. उन्होंने हजारीबाग में एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा की घंटी आधारित शिक्षक को 180 रुपये जिला में दिया जाता है. जो मनरेगा कर्मी से भी कम है.200 रुपये देने का प्रावधान है .ऐसे में 20 रुपये कहां जा रहा है इसका जवाब विभाग को देना चाहिए.

तीन दिनों के अंदर सवालों के जवाब देने का निर्देश

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग,नई दिल्ली की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने तीन दिनों के अंदर अधिकारी से कई सवालों का जवाब मांगा है. साथ ही उन्होंने कहा है कि जिला में इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाया जाए, ताकि जनजाति समाज के लोग अपनी शिकायत वहां दर्ज करा सकें. जिससे उनकी समस्या का समाधान सेल में हो सके. उन्हें कोर्ट या थाना जाने की जरूरत नहीं पड़े .आशा लकड़ा ने जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि जहां भी खामी है उसे दूर किया जाए. अन्यथा आयोग संज्ञान लेगा.

ये भी पढ़ें-

दुमका में अनुसूचित जनजाति योजनाओं की स्थिति लचर, पाकुड़ में छात्रों से मारपीट मामले की जांच करेगा आयोगः आशा लकड़ा - Scheduled Tribes Commission

सरायकेला में अनुसूचित जनजातियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं बुरा हाल, राज्य सरकार कर रही खानापूर्तिः आशा लकड़ा - ST Commission Member Asha Lakra

संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग गंभीर, कराई जाएगी स्वतंत्र एजेंसी से जांचः आशा लकड़ा - Infiltration In Santhal Pargana

हजारीबाग: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने हजारीबाग में आदिवासी समाज के उत्थान के लिए चलायी जा रही योजना का हाल देखकर रोष व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि हजारीबाग में आदिवासियों की स्थिति बदतर है. अगर अंक देने की बात की जाए तो 100 अंक में महज ढाई अंक ही हजारीबाग को दिया जाएगा.

हजारीबाग में बैठक के बाद बयान देतीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा. (वीडियो-ईटीवी भारत)

एक दिवसीय दौरे पर हजारीबाग पहुंचीं आशा लकड़ा

दरअसल, आशा लकड़ा एक दिवसीय दौर पर सोमवार को हजारीबाग पहुंची थीं. हजारीबाग में उन्होंने बालक छात्रावास और बालिका छात्रावास का निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने आदिवासी समाज के लोगों से मिलकर जानकारी प्राप्त की. इसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ लगभग आठ घंटे तक मैराथन बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई.उन्होंने बैठक में मौजूद पदाधिकारियों से पूछा कि आखिर हजारीबाग में आदिवासी समाज के विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं का परिणाम क्यों नहीं दिख रहा है.

बालक छात्रावास में कुव्यवस्था देख जताई नाराजगी

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति की सदस्य आशा लकड़ा ने कहा कि नवाबगंज स्थित बालक छात्रावास के निरीक्षण के दौरान भारी गड़बड़ी पाई गई. उन्होंने कहा कि 100 छात्र वाले छात्रावास में 250 से 300 छात्र रह रहे हैं. छात्रावास में शौचालय की स्थिति भी बेहद खराब है. वहीं पेयजल को लेकर भी हाहाकार मचा हुआ है. छात्रावास में बर्तन तक नहीं हैं. यहां तक की वहां बिजली की भी स्थिति जर्जर है. छात्रावास के कमरे से पानी टपक रहा है.

Asha Lakra In Hazaribag
हजारीबाग में बालक छात्रावास की स्थिति. (फोटो-ईटीवी भारत)

शौचालय में छात्रों ने बना रखी है लाइब्रेरी

उन्होंने कहा कि 1960 -61 में भवन का निर्माण हुआ था. उसके बाद ऐसा प्रतीत होता है कि यहां कोई काम ही नहीं हुआ है. उन्होंने बालक छात्रावास की स्थिति को देखकर सवाल खड़ा किया है . आशा लकड़ा ने बताया कि आलम यह है कि शौचालय में ही छात्रों ने लाइब्रेरी बना रखी है. जहां वह बैठकर पढ़ाई करते हैं. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि अनुसूचित जनजाति के उत्थान के लिए हजारीबाग में कितने काम किए जा रहे हैं.

बालिक छात्रावास का भी हाल बुरा

वहीं हजारीबाग में बालिका छात्रावास के निरीक्षण में शौचालय की स्थिति बेहद खराब पायी गई है. 2023 में ही बालिका छात्रावास में मरम्मत का काम हुआ था. लेकिन कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. छात्रावास के 10 कमरे ऐसे हैं जहां से पानी का रिसाव हो रहा है. 100 बेड की कैपेसिटी वाले बालिका छात्रावास में 200 से अधिक छात्राएं रह रही हैं. हालत यह है कि एक बेड पर दो से तीन छात्राएं सोती हैं. उन्होंने कहा कि महिला छात्रावास में भी बिजली की स्थिति ठीक नहीं है.

आदिवासी समाज के साथ हो रही नाइंसाफी

आशा लकड़ा ने बताया कि आदिवासी समाज के लोगों के साथ बैठक में कई बातें निकलकर सामने आयी हैं. उन्होंने कहा कि समाज के लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है. आवेदन देने के बावजूद थाना में एफआईआर तक रजिस्टर्ड नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि जिस महिला के साथ गलत व्यवहार किया गया उसे मुआवजा की राशि तक नहीं प्रदान की गई है. उन्होंने बताया कि बैठक में जमीन विवाद के कई मामले सामने आए हैं.साथ ही 2016 से रसीद नहीं कट रही है. 1985 में बंदोबस्ती की गई जमीन का भी रसीद नहीं कट रहा है. उन्होंने कहा कि कई अंचलाधिकारी अनुसूचित जनजाति के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं.

Asha Lakra In Hazaribag
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम (फोटो-ईटीवी भारत)

प्रशासन की कार्यशैली पर उठाए सवाल

उन्होंने हजारीबाग जिला प्रशासन की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं. आशा लकड़ा ने कहा कि अनुसूचित जनजाति के एक युवक जो उरांव जनजाति से है जिसका नाम सुमन बोडो है उसने पोस्ट ऑफिस की परीक्षा पास की. उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया. इस कारण उसकी नौकरी चली गई .उन्होंने कहा कि अंचल अधिकारी ने उससे खतियान की मांग कर ली. जिसे वह उपलब्ध नहीं कर सका. इस कारण उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाया. उन्होंने कहा कि यह अनुसूचित जनजाति के छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का मामला है.

विभागों के पास नहीं हैं सटीक आंकड़े

आशा लकड़ा ने हजारीबाग समाहरणालय में सभी विभागों के पदाधिकारियों से मिलकर योजनाओं का हाल जाना. इस दौरान कई विभागीय पदाधिकारियों के जवाब से आशा लकड़ा असंतुष्ट नजर आईं. उन्होंने कहा कि हजारीबाग जिले में जब यह जानने की कोशिश की गई कितने बच्चे ड्रॉप आउट हैं, शिक्षकों की संख्या क्या है, सहायक शिक्षकों की संख्या क्या है, आवासीय विद्यालय की स्थिति क्या है ,आंगनबाड़ी केंद्र कहां चल रहे हैं तो इसका भी सही जवाब विभाग ने नहीं दे पाया. उन्होंने हजारीबाग में एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा की घंटी आधारित शिक्षक को 180 रुपये जिला में दिया जाता है. जो मनरेगा कर्मी से भी कम है.200 रुपये देने का प्रावधान है .ऐसे में 20 रुपये कहां जा रहा है इसका जवाब विभाग को देना चाहिए.

तीन दिनों के अंदर सवालों के जवाब देने का निर्देश

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग,नई दिल्ली की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने तीन दिनों के अंदर अधिकारी से कई सवालों का जवाब मांगा है. साथ ही उन्होंने कहा है कि जिला में इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाया जाए, ताकि जनजाति समाज के लोग अपनी शिकायत वहां दर्ज करा सकें. जिससे उनकी समस्या का समाधान सेल में हो सके. उन्हें कोर्ट या थाना जाने की जरूरत नहीं पड़े .आशा लकड़ा ने जिला प्रशासन को स्पष्ट कहा है कि जहां भी खामी है उसे दूर किया जाए. अन्यथा आयोग संज्ञान लेगा.

ये भी पढ़ें-

दुमका में अनुसूचित जनजाति योजनाओं की स्थिति लचर, पाकुड़ में छात्रों से मारपीट मामले की जांच करेगा आयोगः आशा लकड़ा - Scheduled Tribes Commission

सरायकेला में अनुसूचित जनजातियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं बुरा हाल, राज्य सरकार कर रही खानापूर्तिः आशा लकड़ा - ST Commission Member Asha Lakra

संथाल परगना में डेमोग्राफी चेंज और बांग्लादेशी घुसपैठ पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग गंभीर, कराई जाएगी स्वतंत्र एजेंसी से जांचः आशा लकड़ा - Infiltration In Santhal Pargana

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.