नर्मदापुरम : ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर बुधवार को महास्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गए. अब भगवान को खाने में केवल मूंग की दाल ही मिलेगी. साथ ही आयुर्वेद पद्धति से उपचार शुरू कर दिया गया है. स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए 27 जून को रथ से निकलेंगे.
हर साल मनाते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव
दरअसल, नर्मदापुरम के 750 वर्ष प्राचीन जगदीश मंदिर में जगन्नाथपुरी की भांति ज्येष्ठ पूर्णिमा उत्सव हर वर्ष मनाया जाता है. इस दौरान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर मंदिर में भगवान जगन्नाथ का महास्नान कराया गया. मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर महास्नान के बाद भगवान कृष्ण, बलदाऊ, एवं सुभद्रा बीमार हो जाते हैं. तीनों 15 दिनों के लिए शयन कक्ष में चले जाते हैं. अब आषाढ़ मास की द्वितीया तक भगवान शयन कक्ष में रहेंगे और मंदिर में उनके मुकुट की पूजा होगी. इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक औषधियां ही दी जाएंगी.
बीमार होकर भगवान भक्तों को संदेश देते हैं
आचार्यों के मुताबिक "ज्येष्ठ पूर्णिमा से 15 दिन का समय मौसम का संधिकाल होता है, जिसमे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं होती हैं. भगवान भक्तों को इस मौसम में स्वस्थ्य संबंधी परहेज बरतने का संदेश देने के लिए बीमार होते हैं." पौराणिक मान्यता के अनुसार "भगवान अपने भक्त माधवदास के लिए भी बीमार होते हैं. वह 15 दिन अपने भक्त के कष्ट अपने ऊपर ले लेते हैं. इसीलिए पूर्णिमा पर उन्हें स्नान कराकर 15 दिन तक आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है."

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सैकड़ों वर्ष पुरानी मान्यता का पालन

जगदीश मंदिर के महंत नारायण दास बताते हैं "पूर्णिमा के अवसर पर सैकड़ों वर्षों पूर्व से गुरु परंपरा अनुसार प्रत्येक वर्ष की पूर्णिमा पर भगवान का महास्नान होता हैं. विधिविधान से पूजा की जाती है. भगवान ज्वार से पीड़ित हो जाएंगे. क्योंकि भगवान ने महास्नान किया है. नर्मदा जी और पंचामृत से भगवान का स्नान हुआ. यह एक परंपरा है. 15 दिन तक भगवान को मूंग की दाल, दरिया, संजीवनी वटी जैसी ज्वर की दवाइयां लगती हैं. उनका भोग भी लगाया जाता है."