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नानक विधि से खेती किसान भाइयों के लिए है वरदान, अवशेष प्रबंधन के साथ कम खाद-पानी में बेहतर पैदावार - WHAT IS NANAK FARMING

कम मात्रा में खाद-पानी से बेहतर फसल से ही खेती को लाभदायक होगा. इसके लिए खेती की नानक विधि काफी कारगर है.

WHAT IS NANAK FARMING
फसल अवशेष प्रबंधन का समाधान (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 9, 2025 at 4:50 PM IST

4 Min Read

चंडीगढ़ः आज के समय में महंगे खाद-बीज, अत्यधिक उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग से खेती काफी महंगी हो गई है. खाद और कीटनाशकों के कारण जमीन की उर्वरा क्षमता पर भी असर पड़ा है. इन सब के बाद खेती का अवशेष प्रबंधन किसानों के लिए अलग ही परेशानी का कारण बन जाता है. इन सब परेशानियों का हल नानक विधि खेती में है. पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनोद चौधरी का मानना है कि नानक विधि से खेती काफी लाभदायक है. इस विधि में फसल अवशेष का मल्चिंग बेड बनाने में उपयोग किया जाता है. इससे जमीन में नमी की मात्रा और उर्वरा क्षमता बढ़ जाती है. खाद-पानी की जरूरत सामान्य खेती के मुकाबले काफी कम पड़ती हैं. सबसे बड़ी बात नानक विधि में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन की चिंता नहीं होती है.

नानक विधि में 10 गुणा कम पानी की होती है जरूरत: पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनोद चौधरी ने कहा कि किसान नानक विधि से खेती करें, जिससे बचे अवशेष की चिंता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि "मेरा मानना है कि हर एक किसान को नानक खेती यानी पिकनिक खेती अपनानी चाहिए. इसके इस्तेमाल से वह अपने बचे हुए भूसे को अपनी जमीन के लिए ही इस्तेमाल कर पाएंगे. बचे हुए अवशेष को किसान मल्चिंग करते हुए, जमीन की उर्वरा क्षमता को मजबूत कर सकते हैं. नानक खेती सिंपलेस्ट फॉर्म ऑफ एग्रीकल्चर मानी जाती है. जिससे जमीन को नुकसान नहीं पहुंचाता है. पानी का इस्तेमाल 10 गुना कम हो जाता है. वहीं ट्रैक्टर का इस्तेमाल 8 से 10 गुना काम किया जाता है. इसमें सामान्य तरीके से खेती की जा सकती है.

नानक विधि से खेती किसानों के लिए वरदान (Etv Bharat)

बर्फी कटाई की तरह करें जुताईः खेतों की बर्फी की तरह कटाई करते हुए 3 फीट तक जुताई करें. इस दौरान को उलट-पलट नहीं किया जाता है. इस विधि में जमीन में बारिश और पटवन से नमी बनी रहती है. पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी होता है. मल्चिंग बेड के कारण देशी बीजों से बेहतर पैदावार होता है. इसमें विधि की खेती से जमीन में लाभदायक कीटों/जीवों की संख्या काफी बढ़ जाती है, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है.

क्या कहती हैं साइंस डायरेक्ट की गाइडलाइन:- प्रोफेसर विनोद चौधरी ने बताया कि साइंस डायरेक्ट की ओर से कुछ गाइडलाइंस दी गई है जिसमें किसानों को साफ तौर पर अगली फसलों को किस तरह लगाया जाए और मौजूदा फसलों से किस तरह फायदा लिया जाए इसे लेकर गाइडलाइन दी गई है. जिसमें माइक्रो ग्रीस एक्टिविटी को बताया गया है. गाइडलाइंस में मल्चिंग प्रक्रिया के तहत बिजाई करें जिसमें और एयर सीडर और हैप्पी सीड्स का इस्तेमाल करते हुए फसल को ज्यादा अच्छा पैदावार बनाते हैं.

बचे हुए अवशेष के खाद से होगी कमाई: प्रोफेसर विनोद ने बताया जिन किसानों की फसल कटाई के बाद अवशेष बच जाता है. वह उसे दूसरे किसानों को बेच सकते हैं. वहीं बचे हुई घास को ट्रैक्टर की मदद से जमीन में ही मिला देते हैं. जो की सही तरीका नहीं है. किसान बचे हुए गेहूं की जड़ को खाद बनाते हुए, उसे दूसरे किसानों को बेच सकते हैं.

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नानक विधि में 10 गुणा कम पानी की होती है जरूरत: पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विनोद चौधरी ने कहा कि किसान नानक विधि से खेती करें, जिससे बचे अवशेष की चिंता नहीं होगी. उन्होंने कहा कि "मेरा मानना है कि हर एक किसान को नानक खेती यानी पिकनिक खेती अपनानी चाहिए. इसके इस्तेमाल से वह अपने बचे हुए भूसे को अपनी जमीन के लिए ही इस्तेमाल कर पाएंगे. बचे हुए अवशेष को किसान मल्चिंग करते हुए, जमीन की उर्वरा क्षमता को मजबूत कर सकते हैं. नानक खेती सिंपलेस्ट फॉर्म ऑफ एग्रीकल्चर मानी जाती है. जिससे जमीन को नुकसान नहीं पहुंचाता है. पानी का इस्तेमाल 10 गुना कम हो जाता है. वहीं ट्रैक्टर का इस्तेमाल 8 से 10 गुना काम किया जाता है. इसमें सामान्य तरीके से खेती की जा सकती है.

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बर्फी कटाई की तरह करें जुताईः खेतों की बर्फी की तरह कटाई करते हुए 3 फीट तक जुताई करें. इस दौरान को उलट-पलट नहीं किया जाता है. इस विधि में जमीन में बारिश और पटवन से नमी बनी रहती है. पानी से ग्राउंड वाटर रिचार्ज भी होता है. मल्चिंग बेड के कारण देशी बीजों से बेहतर पैदावार होता है. इसमें विधि की खेती से जमीन में लाभदायक कीटों/जीवों की संख्या काफी बढ़ जाती है, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है.

क्या कहती हैं साइंस डायरेक्ट की गाइडलाइन:- प्रोफेसर विनोद चौधरी ने बताया कि साइंस डायरेक्ट की ओर से कुछ गाइडलाइंस दी गई है जिसमें किसानों को साफ तौर पर अगली फसलों को किस तरह लगाया जाए और मौजूदा फसलों से किस तरह फायदा लिया जाए इसे लेकर गाइडलाइन दी गई है. जिसमें माइक्रो ग्रीस एक्टिविटी को बताया गया है. गाइडलाइंस में मल्चिंग प्रक्रिया के तहत बिजाई करें जिसमें और एयर सीडर और हैप्पी सीड्स का इस्तेमाल करते हुए फसल को ज्यादा अच्छा पैदावार बनाते हैं.

बचे हुए अवशेष के खाद से होगी कमाई: प्रोफेसर विनोद ने बताया जिन किसानों की फसल कटाई के बाद अवशेष बच जाता है. वह उसे दूसरे किसानों को बेच सकते हैं. वहीं बचे हुई घास को ट्रैक्टर की मदद से जमीन में ही मिला देते हैं. जो की सही तरीका नहीं है. किसान बचे हुए गेहूं की जड़ को खाद बनाते हुए, उसे दूसरे किसानों को बेच सकते हैं.

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