जबलपुर : दुष्कर्म के मामलों में आरोपियों का नाम सार्वजनिक किए जाने को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामलों में आरोपियों की पहचान जाहिर करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई को दौरान मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सरकार को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए जवाब पेश करने का समय दिया है.
जबतक दोष सिद्ध नहीं तबतक आरोपी निर्दोष
दरअसल, जबलपुर के डॉ. पीजी नाजपांडे व डॉ. एमए खान की ओर से ये याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया था कि आपराधिक नियम के तहत दुष्कर्म पीड़िता का नाम गुप्त रखने का प्रावधान है. इसके विपरीत दुष्कर्म के आरोपी का नाम सार्वजनिक कर दिया जाता है. ऐसा किया जाना लैंगिक भेदभाव है और संविधान की मंशा के विपरीत है. कानून में कहा गया है कि जब तक आरोप साबित नहीं हो जाता, तब तक अभियुक्त निर्दोष होता है. ऐसे गंभीर प्रकरणों में आरोपी का नाम सार्वजनिक करने से उसकी छवि प्रभावित होती है.
दोषमुक्त हुए भी तो छवि हो जाती है खराब
याचिका में उदाहरण देते हुए कहा गया कि फिल्मी अभिनेता मधुर भंडारकर सहित कई व्यक्तियों पर दुष्कर्म के आरोप लगे थे और वह उन आरोपों में दोषमुक्त हो गए थे. लेकिन दुष्कर्म के आरोपी के रूप में नाम आने से उनकी सार्वजनिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई थी. ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जिसमें आरोपी पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोप सिद्ध नहीं होते, लेकिन नाम सामने आ जाने से जीवन भर के लिए छवि धूमिल हो जाती है.
सरकार को जवाब पेश करने की अंतिम मोहलत
याचिका में मांग की गई कि ट्रायल पूरी होने तक दुष्कर्म के मामलों में आरोपी का नाम भी गुप्त रखा जाना चाहिए. चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि कई अवसर दिए जाने के बावजूद भी सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है. इसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने सरकार को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए जवाब पेश करने का समय दिया है.
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