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ऋषिकेश में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त, गढ़वाल कमिश्नर को कोर्ट में पेश होने के आदेश - RISHIKESH ILLEGAL CONSTRUCTION

ऋषिकेश में अवैध निर्माण को कम्पाउंड करने का मामला, गढ़वाल कमिश्रर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के आदेश

Uttarakhand High Court
नैनीताल हाईकोर्ट (फोटो सोर्स- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 2, 2025 at 6:39 PM IST

2 Min Read

नैनीताल: देहरादून जिले के ऋषिकेश में अवैध निर्माण को लेकर दायर याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने गढ़वाल कमिश्रर को 5 अप्रैल को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है. कोर्ट ने उनसे ये भी बताने को कहा कि किस तरह से एमडीडीए अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंड कर रहा है. जबकि, अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंड नहीं किया जा सकता.

दरअसल, ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल समेत अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि ऋषिकेश में स्वीकृत मानचित्र के विपरीत जाकर कुछ लोगों की ओर से अवैध निर्माण किए जा रहे हैं. जिस पर कार्रवाई करते हुए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद विकास प्राधिकरण के एई ने उक्त सीलिंग से प्रतिबंध हटाकर अवैध निर्माण को कम्पाउंड कर मानचित्र स्वीकृत कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध निर्माणों पर रोक लगाई जाए. ताकि, पर्यावरण को बचाया जा सके.

निचले स्तर के अधिकारियों पर आदेश की अनदेखी का आरोप: याचिका में आगे ये भी कहा गया है कि अवैध निर्माण का कार्य ऋषिकेश में ही नहीं देहरादून और मसूरी में भी चल रहा है, लेकिन गढ़वाल कमिश्नर की रोक के बाद भी निचले स्तर के अधिकारी उनके आदेश का अनदेखी कर अवैध निर्माण कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं. उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंड कर रहे हैं. इसलिए इन अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी.

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दरअसल, ऋषिकेश निवासी पंकज अग्रवाल समेत अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि ऋषिकेश में स्वीकृत मानचित्र के विपरीत जाकर कुछ लोगों की ओर से अवैध निर्माण किए जा रहे हैं. जिस पर कार्रवाई करते हुए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया था, लेकिन कुछ समय बाद विकास प्राधिकरण के एई ने उक्त सीलिंग से प्रतिबंध हटाकर अवैध निर्माण को कम्पाउंड कर मानचित्र स्वीकृत कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध निर्माणों पर रोक लगाई जाए. ताकि, पर्यावरण को बचाया जा सके.

निचले स्तर के अधिकारियों पर आदेश की अनदेखी का आरोप: याचिका में आगे ये भी कहा गया है कि अवैध निर्माण का कार्य ऋषिकेश में ही नहीं देहरादून और मसूरी में भी चल रहा है, लेकिन गढ़वाल कमिश्नर की रोक के बाद भी निचले स्तर के अधिकारी उनके आदेश का अनदेखी कर अवैध निर्माण कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं. उनके प्रार्थना पत्र के आधार पर अवैध निर्माण कार्यों को कम्पाउंड कर रहे हैं. इसलिए इन अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. अब पूरे मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी.

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