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रिश्वत मामला में मुख्य कोषाधिकारी को HC से नहीं मिली राहत, जमानत के लिए लगाई थी अर्जी - UTTARAKHAND HIGH COURT

शुक्रवार को भी रिश्वत मामला में नैनीताल मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा की जमानत याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

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उत्तराखंड हाईकोर्ट. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : June 6, 2025 at 6:00 PM IST

2 Min Read

नैनीताल: रिश्वत लेने के आरोप फंसे नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा को उत्तराखंड हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली. विजिलेंस ने बीते 9 मई को मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. आरोपी दिनेश राणा ने अपनी जमानत के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बीते तीन दिनों से उत्तराखंड हाईकोर्ट दिनेश राणा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. शुक्रवार को भी कोर्ट ने दिनेश राणा कोई राहत नहीं दी. अब मामले की अगली सुनवाई 18 जून होगी.

शुक्रवार 6 जून को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि उनके द्वारा शिकायतकर्ता की एसीपी के क्लेम की फाइल पहले ही वापस लौटा दी थी. इससे नाराज होकर उनके द्वारा यह षडयंत्र रचा गया, जो पैसों की रिकवरी हुई वह अकाउंट के दराज से हुई है. जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि जब मामले की जांच हुई तो पाए गए नोटों पर अकाउंट व मुख्य कोषाधिकारी के उंगलियों के निशान पाए गए. इसकी पुष्टि के लिये कांच के गिलास में पानी भरकर व सोडियम कार्बोनेट डाला गया, जिसमें आरोपियों हाथ धोए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया. नोटों में भी आरोपियों के उंगलियों के निशान लगे हुए हैं.

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी कर्मचारी या अधिकारी को ट्रेप करने या गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़आईआर होना अनिवार्य है. किंतु विजिलेंस द्वारा यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है. इस मामले में सीबीआई की प्रक्रिया को भी कोर्ट के समक्ष रखा गया. सीबीआई द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़आईआर दर्ज की जाती है.

हाईकोर्ट के समक्ष शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी व अन्य मामले में दिए गए आदेश को भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें किसी कर्मचारी या अधिकारी की गिरफ्तारी से पूर्व एफ़आईआर दर्ज किया जाना आवश्यक बताया गया है. इन सभी तथ्यों को कोर्ट ने रिकॉर्ड में ले लिया गया है.

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नैनीताल: रिश्वत लेने के आरोप फंसे नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा को उत्तराखंड हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिली. विजिलेंस ने बीते 9 मई को मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था. आरोपी दिनेश राणा ने अपनी जमानत के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. बीते तीन दिनों से उत्तराखंड हाईकोर्ट दिनेश राणा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. शुक्रवार को भी कोर्ट ने दिनेश राणा कोई राहत नहीं दी. अब मामले की अगली सुनवाई 18 जून होगी.

शुक्रवार 6 जून को मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि उनके द्वारा शिकायतकर्ता की एसीपी के क्लेम की फाइल पहले ही वापस लौटा दी थी. इससे नाराज होकर उनके द्वारा यह षडयंत्र रचा गया, जो पैसों की रिकवरी हुई वह अकाउंट के दराज से हुई है. जबकि सरकार की तरफ से कहा गया कि जब मामले की जांच हुई तो पाए गए नोटों पर अकाउंट व मुख्य कोषाधिकारी के उंगलियों के निशान पाए गए. इसकी पुष्टि के लिये कांच के गिलास में पानी भरकर व सोडियम कार्बोनेट डाला गया, जिसमें आरोपियों हाथ धोए गए तो पानी का रंग गुलाबी हो गया. नोटों में भी आरोपियों के उंगलियों के निशान लगे हुए हैं.

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि भ्रष्टाचार के मामले में किसी कर्मचारी या अधिकारी को ट्रेप करने या गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़आईआर होना अनिवार्य है. किंतु विजिलेंस द्वारा यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है. इस मामले में सीबीआई की प्रक्रिया को भी कोर्ट के समक्ष रखा गया. सीबीआई द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पूर्व एफ़आईआर दर्ज की जाती है.

हाईकोर्ट के समक्ष शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी व अन्य मामले में दिए गए आदेश को भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें किसी कर्मचारी या अधिकारी की गिरफ्तारी से पूर्व एफ़आईआर दर्ज किया जाना आवश्यक बताया गया है. इन सभी तथ्यों को कोर्ट ने रिकॉर्ड में ले लिया गया है.

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