हल्द्वानी: आज चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन यानी दुर्गा अष्टमी है. देवी के मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ रही है. नैनीताल के शीतला माता मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ लगी है. माता शीतला को रोग निवारण की देवी माना जाता है. शीतला माता, मां पार्वती का ही दूसरा स्वरूप हैं. शीतला माता को आरोग्य और स्वच्छता की देवी कहा गया है. स्कंद पुराण में शीतला माता के स्वरूप और उनकी कथा के बारे में वर्णन किया गया है. शीतला माता गर्दभ या गधे पर विराजती हैं. शीतला माता अपने हाथों में कलश, सुप, झाड़ू और नीम के पत्ते धारण करती हैं.
नैनीताल जिले के हल्द्वानी से महज 9 किलोमीटर दूर रानीबाग स्थित पहाड़ी की चोटी पर माता शीतला का अद्भुत और पौराणिक मंदिर है. ये मंदिर देश-विदेश के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में मां के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मां से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं.
शीतला माता मंदिर को लेकर एक कथा बहुत ही प्रचलित है. कथा के अनुसार, भीमताल के पांडे गांव के लोग चेचक बीमारी से ग्रसित थे. बीमारी के निवारण के लिए अपने गांव में माता शीतला का मंदिर बनाना चाहते थे. इसके लिए गांव के लोग बनारस से माता की मूर्ति लेकर आ रहे थे. इस स्थान पर पहुंचने तक शाम हो गई और उन्होंने इसी स्थान पर रात को विश्राम किया.
कहा जाता है कि उनमें से एक व्यक्ति को माता ने रात में सपने में दर्शन दिए और यहीं पर मूर्ति स्थापित करने की बात कही. जब उस व्यक्ति ने सुबह अपने साथियों को सपने के बारे में बताया तो उन्हें पहले तो यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब लोगों ने मूर्ति उठाने की कोशिश की तो वह मूर्ति उठा नहीं पाए. इसके बाद पांडे गांव के लोगों ने मूर्ति की यहीं स्थापना की. माता के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और जो भी मंदिर में सच्चे मन से मुराद मांगता है, माता उनकी मुरादें जरूर पूरी करती हैं. नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.
नवरात्रों में शीतला माता को समर्पित नवरात्र के आठवें दिन दिन लोग व्रत रखते हैं और उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि शीतला माता को बासी चीजों का भोग लगाया जाता है. इसलिए नवरात्र की अष्टमी को शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
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