गोरखपुरः कोतवाली क्षेत्र के घोष कंपनी चौक के पास चार मंजिला मस्जिद के ऊपरी दो तल को प्रबंधन से जुड़े हुए लोग खुद तोड़ना शुरू कर दिया है. नगर निगम की जमीन के बगल में बनाई गई अबु हुरैरा मस्जिद को अवैध तरीके से निर्माण बताकर कुछ दिनों पहले नोटिस भेजा था.
नोटिस में ऊपर की दो मंजिल को 15 दिन के भीतर तोड़ने के लिए 15 फरवरी को नोटिस दिया गया था. हालांकि जीडीए के नोटिस को गैर कानूनी बताते हुए मस्जिद प्रबंधन हाई कोर्ट में PIL भी दाखिल कर चुका है. जिस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है. स्थानीय कमिश्नर कोर्ट में भी मामला चल रहा है. फिर भी जीडीए की समय सीमा बीतने के बाद शनिवार को मस्जिद की ऊपरी दो मंजिल को तोड़ना शुरू कर दिया गया है.
15 फरवरी को मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के बेटे शुऐब अहमद को नोटिस देकर 15 दिन में निर्माण हटाने को कहा गया था. नोटिस में कहा गया था कि अगर ये खुद से निर्माण को नहीं हटाएंगे तो जीडीए खुद इसे ध्वस्त कराएगा और इसका खर्च इसके निर्माणकर्ता से वसूलेगा.
वहीं, मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल हमीद कासमी ने कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए नगर निगम और जिलाधिकारी दोनों से अनुमति प्राप्त हुई थी. जीडीए में नक्शा पास कराने गए हुए थें. हमें मना किया गया था. कहा था कि इतनी कम जमीन में नक्शे की कोई जरूरत नहीं होती. अब मस्जिद निर्माण के बाद बिना मानचित्र के पास बताकर GDA इसके तोड़ने की नोटिस जारी किया. मस्जिद चार मंजिल इसलिए बनाई गई, क्योंकि सड़क पर कोई भी नमाजी नमाज न अदा करें. यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है, जिसका पालन किया. इसके हम कोर्ट गए हैं लेकिन फैसला भी नहीं आया है. ऊपर के दो मंजिल तोड़ने का आदेश था तो हम तोड़ रहे हैं. कोर्ट का जो आदेश होगा वह देखा जायेगा.
बता दें कि गोरखपुर के घोष कंपनी चौराहे के पास नगर निगम की 47 डिसमिल भूमि पर अवैध कब्जा किया गया था. 7 माह पहले नगर निगम टीम ने बुलडोजर के माध्यम से इस अवैध कब्जे को खाली कराया था. इसी जमीन के 520 स्क्वायर फीट में चार मंजिला मस्जिद का निर्माण हुआ है, जो बिना स्वीकृत मानचित्र बताया गया है. 25 फरवरी 2024 को एक अभियान चला कर यहां स्थित 31 दुकानों और 12 आवासीय परिसर को हटाया था.
इस दौरान वहां पर मौजूद मस्जिद को भी नगर निगम द्वारा गिराए जाने लगा. जिस पर मस्जिद के मुतवल्ली और कई लोगों ने इसका विरोध किया. इसके बाद नगर निगम ने मस्जिद निर्माण के लिए 60 वर्ग मीटर भूमि दक्षिण पूर्वी कोने पर देने की समिति जताई थी. इसके बाद नगर निगम बोर्ड ने मंजूरी दे दी थी. जिसके बाद मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू हो गया था. मस्जिद से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे पहले मस्जिद 1200 स्क्वायर फीट में थी. वहां से कम जगह में हम लोग शिफ्ट हुए हैं. इस मस्जिद को बनाने में पूरे शहर का पैसा लगा है.
जीडीए के मुख्य अभियंता किशन सिंह ने कहा है कि जमीन छोटी हो या बड़ी, किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए उसके लिए मानचित्र GDA में दाखिल करना ही होगा. अन्यथा वह अवैध मान लिया जाता है और कार्रवाई की परिधि में आता है.
इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद को साफ कराने का दिया आदेश, रंगाई-पुताई पर सुनवाई 4 मार्च को