नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (MCD) नरेला-बवाना में एक नया वेस्ट-टू-एनर्जी (WTE) प्लांट स्थापित करने जा रहा है. यह संयंत्र प्रतिदिन 3,000 टन अपशिष्ट को प्रोसेस कर 30 मेगावाट बिजली उत्पन्न करेगा. यह दिल्ली में कचरा प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह शहर के कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करेगा, जिससे पर्यावरण की समस्याएं कम होंगी और बिजली का उत्पादन बढ़ेगा. इससे शहर के कचरे के बोझ को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा.
परियोजना को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए, प्रस्तावित स्थल के एक हिस्से को खाली करना आवश्यक था, जहां वर्तमान में तीन 400 किलोवाट (केवी) की ट्रांसमिशन लाइनें गुजरती हैं. इनमें से एक दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड (डीटीएल) और दो पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) की हैं. इस स्थान के कुशल उपयोग के लिए डीटीएल और पावरग्रिड ने एक डीटीएल लाइन और एक पावरग्रिड लाइन को मल्टी-सर्किट टावरों पर मर्ज करने का निर्णय लिया है.
MCD clears the path, Delhi moves ahead!
— Municipal Corporation of Delhi (@MCD_Delhi) April 15, 2025
In a big step towards a cleaner capital, MCD signs a tripartite agreement with @pgcilindia and DTL to shift transmission lines for the upcoming 3000 TPD Waste-to-Energy Plant at Narela-Bawana.#mcd #mcdcares #Delhi pic.twitter.com/qjw0XN6oB5
विद्युत ट्रांसमिशन प्रणाली को बनाएगा सही: ट्रांसमिशन लाइनों के इस ट्रांसफर का कार्य पॉवरग्रिड से किया जाएगा, जिसकी एकमुश्त पूंजीगत लागत दिल्ली नगर निगम द्वारा वहन की जाएगी. यह महत्वपूर्ण बदलाव वेस्ट-टू-एनर्जी परियोजना की निर्बाध प्रगति सुनिश्चित करेगा. साथ ही विद्युत ट्रांसमिशन प्रणाली को सही बनाए रखेगा.
हुआ त्रिपक्षीय समझौता: इस व्यवस्था को औपचारिक रूप देने के लिए मंगलवार को दिल्ली नगर निगम पॉवरग्रिड और डीटीएल के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस अवसर पर आयुक्त अश्वनी कुमार, अतिरिक्त आयुक्त जितेंद्र यादव, प्रमुख अभियंता पीसी मीणा और निगम, डीटीएल और पावरग्रिड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. इस दौरान निगम अधिकारियों ने कहा कि स्वच्छ दिल्ली के लिए आधुनिक एवं पर्यावरण अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन समाधान लागू करने के निगम के निरंतर प्रयासों को आगे बढ़ाएगा.
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