शिमला: हिमाचल में अब जरूरत के हिसाब से ही संस्थान खोले जाएंगे. जिसके लिए बजट सहित स्टाफ का पहले ही इंतजाम किया जाएगा. ये बात डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने प्रश्नकाल के दौरान विपक्ष की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में दी. उन्होंने कहा कि यदि कोई विपक्ष का सदस्य ऐसे बंद संस्थानों के दस्तावेज उपलब्ध करवाता है, जिनके लिए बजट और स्टाफ पूर्व सरकार द्वारा स्वीकृत कर दिए गए थे तो सरकार ऐसे संस्थानों को फिर से खोलने पर विचार करेगी.
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा, "पूर्व में जयराम सरकार ने सत्ता में वापस आने के लिए आखिरी 6 महीने में संस्थान खोले, लेकिन फिर भी भाजपा को जनता ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. पूर्व सरकार ने एक हजार ऐसे संस्थान खोले, जिनके लिए न तो बजट था और न ही कोई पद स्वीकृत किए गए थे".
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हमने पहले ही साल में 35 संस्थान खोले. उसके लिए पैसा भी उपलब्ध कराया जा रहा है. हम युक्तिकरण कर रहे हैं. शिक्षा विभाग और ग्रामीण विकास विभाग में युक्तिकरण का कार्य चल रहा है. सरकार राज्य हित में ही संस्थान खोलेगी. इसमें प्रदेश की संपदा अंधे तरीके से नहीं लुटाई जाएगी. वहीं, उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पूरी तरह से स्थिर, स्थायी और टिकाऊ है.
विधायक रणधीर शर्मा के मूल सवाल के जवाब में मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में जल शक्ति का एक-एक डिवीजन खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पूर्व सरकार के खोले गए संस्थान बंद रखे जाएंगे, उनको सरकार खोल रही है. मगर मेरिट व डी-मेरिट के आधार पर इनको खोला जा रहा है.
'प्रतिशोध की भावना से बंद किए गए संस्थान'
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा, "वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद पूर्व सरकार द्वारा खोले गए संस्थानों को राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से बंद किया". विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि 15 जनवरी 2024 तक सरकार ने मात्र 35 संस्थान खोले. विधायक सतपाल सत्ती, राकेश जम्वाल और डॉक्टर हंसराज ने भी इस मुद्दे पर प्रतिपूरक प्रश्न पूछे.
3327 मामले मंजूर
हिमाचल प्रदेश में बीते तीन सालों में एफआरए के तहत 3327 मामले मंजूर किए गए हैं. इनमें से 637 मामले एफआरए की धारा 3 (1)के तहत और 2690 मामले धारा 3 (2) के तहत मंजूर किए गए हैं. यह बात राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक आशीष बुटेल के एक सवाल के जवाब में कही.
जगत सिंह नेगी ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम ( एफआरए ) एक्ट 2006 पूर्व यूपीए सरकार का एक क्रांतिकारी कानून है, लेकिन हिमाचल में इस कानून का अभी तक पूरी सदुपयोग नहीं हो पाया है. प्रदेश सरकार एफआरए के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अप्रैल महीने में पंचायती राज प्रतिनिधियों की एक राज्य स्तरीय वर्कशॉप करने जा रही है. यह कानून बहुत अच्छा है और लोगों को इसका लाभ उठाना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार लोगों के हित में इस कानून को लागू करेगी. जगत सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा सरकार ने हमेशा ही इस कानून को प्रदेश में ठंडे बस्ते में डाले रखा, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इसी संबंध में लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा के प्रतिपूरक सवाल पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि एफआरए के तहत 52 मामले स्वीकृत किए गए हैं.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में एक महीने में करुणामूलक रोजगार नीति लाएगी सरकार, आउटसोर्स नीति में भी होगा बदलाव