भोपाल (शिफाली पांडे): मीटिंग्स के मिनट और सरकारी फाइलों के धूसर रंगों से आगे आसमान का नीला शामियाना और धरती की हरी चादर है. रिटायर्ड आईएएस आलोक श्रीवास्तव फाइलों को हटाकर कुदरत की छटा जो देखते रहे. मध्य प्रदेश के आईएएस अफसर के रिटायरमेंट प्लान में कैनवास और वॉटर कलर थे.
क्या 60 की उम्र सीखने की होती है, लेकिन आलोक श्रीवास्तव ने जीवन के उत्तरार्ध में वो भी किया. छात्र रहते हुए कई बार ऑइल पेंटिंग की थी, लेकिन लॉकडाउन के खाली वक्त में वाटर कलर पर हाथ आजमाए. रिटायरमेंट के बाद के इन्ही रंगों से दिन का खालीपन भरा गया.
रिटायर्ड आईएएस अफसर आलोक श्रीवास्तव कैनवास पर कुदरत उतारते हैं. जिसमे ऊंघते जंगल भी होते हैं और छतरी पर पलटती बरसात की बूंदे भी. चौंकते हिरण भी हैं और नदियो से किनारे का संवाद भी.


आईएएस का रिटायरमेंट प्लान, कलम के बाद उठाई कूची
पूरी जिंदगी हाथ में कलम थामे हुए फाइलों की संगत में गुजारी, लेकिन रिटायरमेंट के साथी ने कैनवास और कूची को चुना. रिटायर्ड आईएएस आलोक श्रीवास्तव से सीखिए कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती. जिंदगी में जब शुरुआत की जाए. तब नई इबारत लिखी जा सकती है. आलोक श्रीवास्तव ने आईआईटी रुड़की से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा का रुख किया.


वे बताते हैं 2020 में रिटायरमेंट हुआ, उसके बाद पहली बार वाटर कलर में हाथ आजमाए. इसके पहले एजुकेशन के दौरान ऑइल पेंटिग कई बार की थी, लेकिन वॉट कलर में पेंटिग कैसे की जाती है. ये मैंने रिटायरमेंट के बाद ही सीखा. पहली प्रदर्शनी 2024 में इंडिया इटरनेशनल सेंटर में एकल चित्र प्रदर्शनी आयोजित हुई.


कुदरत का हर रंग उतरा कैनवास पर
आलोक श्रीवास्तव की पेंटिग्स बोलती मालूम होती हैं. कुदरत का हर रंग जिनमें पूरी शिद्दत के साथ उभरकर आता है. चट्टानों से टकराती नदियों का संवाद, जंगल का सन्नाटा और छतरी पर पलटती बारिश की बूंदे. हमारे जीवन में कुदरत के जो रंग दूर हैं. जो आखों से ओझल हैं. इन पेंटिग्स में वही रंग नुमाया होते हैं.


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आलोक श्रीवास्तव बताते हैं "पेंटिग्स के साथ जो रचनात्मक आनंद होता है, उसकी कोई मिसाल नहीं. वे कहते हैं, प्रकृति के रंगों की विविधता, जीव जंतुओं के विविध आकार प्रकार और वृक्ष वनस्पति का विराट संसार मुझे आकर्षित करता था. प्रकृति के प्रति असीम रागात्मकता ने ही मुझे चित्रकला की तरफ मोड़ा."