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मध्य प्रदेश में MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग, मोहन यादव सरकार का बड़ा ऐलान - MOHAN GOVT ON MOONG MSP

मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खबर, न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं खरीदी जाएगी मूंग, मोहन यादव सरकार का फैसला.

MOHAN GOVT ON MOONG MSP
मध्य प्रदेश MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 4, 2025 at 11:39 PM IST

Updated : June 5, 2025 at 10:32 AM IST

4 Min Read

इंदौर: मध्य प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी नहीं होगी. इसकी वजह यह है कि किसानों द्वारा इस फसल को जल्द से जल्द लेने के लिए खरपतवार का उपयोग करते हैं, जिससे इंसानों की हेल्थ को खतरा होता है. इसको देखते हुए मोहन यादव सरकार ने एमएसपी पर मूंग न खरीदने का फैसला लिया है.

MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग

मध्य प्रदेश में यह पहला मौका है, जब मूंग की खरीदी का इंतजार कर रहे लाखों किसानों को इस बार एमएसपी के बजाय कम कीमतों पर अपनी फसल सीधे बाजार में बेचनी पड़ेगी. बुधवार को इंदौर में रबी एवं खरीफ 2025 की फसल के कार्यक्रम निर्धारण के लिए आयोजित संभागीय बैठक में राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने यह जानकारी दी. अशोक वर्णवाल ने कहा इस बात की जानकारी मोहन यादव पहले ही दे चुके हैं, क्योंकि किसान मूंग में बीड़ी पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है."

मध्य प्रदेश में MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग (ETV Bharat)

सीएम भी जता चुके हैं चिंता

इस साल एमपी में समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी नहीं होगी, क्योंकि कम समय में फसल लेने के लालच में किसानों द्वारा मूंग की फसल में बीड़ी साइड नामक खरपतवार का बहुतायत उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा इस स्थिति पर पूर्व में मुख्यमंत्री भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

बैठक में उद्यानिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन, कृषि विभाग के सचिव एम. शेलवेन्द्रम, संभागायुक्त दीपक सिंह, उद्यानिकी विभाग की आयुक्त प्रीति मैथिल, मार्केफेड एमडी के आलोक सिंह, सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प, कृषि विभाग के संचालक अजय गुप्ता, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

MOHAN YADAV GOVT DECISION
मोहन यादव सरकार का बड़ा ऐलान (ETV Bharat)

अशोक वर्णवाल ने कहा कि "मूंग की फसल को लेकर सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, क्योंकि किसान फसल में बड़े पैमाने पर बीड़ी साइट (खरपतवार नाशक) डाल रहे हैं.

आखिर क्या है बीड़ी साइड, क्यों डालते हैं किसान

दरअसल, गेहूं की कटाई के बाद गर्मी के सीजन में किसान प्रदेश के करीब 12 लाख हेक्टेयर रकबे में 120 मीट्रिक टन मूंग का उत्पादन करते हैं. जैसे हर साल सरकार गेहूं की तरह ही समर्थन मूल्य पर करीब 8700 प्रति क्विंटल के भाव से खरीदती है. इस बार बारिश का सीजन जल्दी शुरू होने से किसानों ने मूंग की फसल को 65 दिनों से भी कम में तैयार कर समर्थन मूल्य पर बेचने की तैयारी कर रखी है.

मूंग खरीदी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ शुरू

मूंग की खरीदी शुरू हो इसे लेकर भारती किसान संघ और कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ने भी मूंग की खरीद के लिए नीति घोषित करने की मांग की है. इतना ही नहीं मूंग की खरीदी शुरू नहीं होने के कारण नर्मदापुरम, हरदा, देवास, रायसेन और बैतूल जैसे मूंग उत्पादक जिलों में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बीते साल 20 मई से ही मूंग खरीदी के रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे, लेकिन इस बार सरकार ने अब तक मूंग की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू नहीं की है.

बाजार के जरिए पहंचेगी जहरीली मूंग

एमपी के करीब 12 लाख हेक्टेयर में उत्पादित होने वाली मूंग की सरकारी खरीदी नहीं हो पाने के कारण किसान सीधे मंडी व्यापारियों को 6 से ₹7000 रुपए क्विंटल के भाव से बेचने को मजबूर हैं. जाहिर है यह मूंग बाजार में बिकने के बाद आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगी. जिसका खामियाजा इसे खाने वाले लोगों पेस्टिसाइड के दुष्प्रभाव के रूप में भुगतना पड़ सकता है.

इंदौर: मध्य प्रदेश में इस साल समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी नहीं होगी. इसकी वजह यह है कि किसानों द्वारा इस फसल को जल्द से जल्द लेने के लिए खरपतवार का उपयोग करते हैं, जिससे इंसानों की हेल्थ को खतरा होता है. इसको देखते हुए मोहन यादव सरकार ने एमएसपी पर मूंग न खरीदने का फैसला लिया है.

MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग

मध्य प्रदेश में यह पहला मौका है, जब मूंग की खरीदी का इंतजार कर रहे लाखों किसानों को इस बार एमएसपी के बजाय कम कीमतों पर अपनी फसल सीधे बाजार में बेचनी पड़ेगी. बुधवार को इंदौर में रबी एवं खरीफ 2025 की फसल के कार्यक्रम निर्धारण के लिए आयोजित संभागीय बैठक में राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने यह जानकारी दी. अशोक वर्णवाल ने कहा इस बात की जानकारी मोहन यादव पहले ही दे चुके हैं, क्योंकि किसान मूंग में बीड़ी पेस्टिसाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है."

मध्य प्रदेश में MSP पर नहीं खरीदी जाएगी मूंग (ETV Bharat)

सीएम भी जता चुके हैं चिंता

इस साल एमपी में समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी नहीं होगी, क्योंकि कम समय में फसल लेने के लालच में किसानों द्वारा मूंग की फसल में बीड़ी साइड नामक खरपतवार का बहुतायत उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा इस स्थिति पर पूर्व में मुख्यमंत्री भी चिंता व्यक्त कर चुके हैं.

बैठक में उद्यानिकी विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुपम राजन, कृषि विभाग के सचिव एम. शेलवेन्द्रम, संभागायुक्त दीपक सिंह, उद्यानिकी विभाग की आयुक्त प्रीति मैथिल, मार्केफेड एमडी के आलोक सिंह, सहकारिता आयुक्त मनोज पुष्प, कृषि विभाग के संचालक अजय गुप्ता, इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह सहित संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे.

MOHAN YADAV GOVT DECISION
मोहन यादव सरकार का बड़ा ऐलान (ETV Bharat)

अशोक वर्णवाल ने कहा कि "मूंग की फसल को लेकर सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है, क्योंकि किसान फसल में बड़े पैमाने पर बीड़ी साइट (खरपतवार नाशक) डाल रहे हैं.

आखिर क्या है बीड़ी साइड, क्यों डालते हैं किसान

दरअसल, गेहूं की कटाई के बाद गर्मी के सीजन में किसान प्रदेश के करीब 12 लाख हेक्टेयर रकबे में 120 मीट्रिक टन मूंग का उत्पादन करते हैं. जैसे हर साल सरकार गेहूं की तरह ही समर्थन मूल्य पर करीब 8700 प्रति क्विंटल के भाव से खरीदती है. इस बार बारिश का सीजन जल्दी शुरू होने से किसानों ने मूंग की फसल को 65 दिनों से भी कम में तैयार कर समर्थन मूल्य पर बेचने की तैयारी कर रखी है.

मूंग खरीदी का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ शुरू

मूंग की खरीदी शुरू हो इसे लेकर भारती किसान संघ और कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ने भी मूंग की खरीद के लिए नीति घोषित करने की मांग की है. इतना ही नहीं मूंग की खरीदी शुरू नहीं होने के कारण नर्मदापुरम, हरदा, देवास, रायसेन और बैतूल जैसे मूंग उत्पादक जिलों में किसान आंदोलन भी कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बीते साल 20 मई से ही मूंग खरीदी के रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए थे, लेकिन इस बार सरकार ने अब तक मूंग की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू नहीं की है.

बाजार के जरिए पहंचेगी जहरीली मूंग

एमपी के करीब 12 लाख हेक्टेयर में उत्पादित होने वाली मूंग की सरकारी खरीदी नहीं हो पाने के कारण किसान सीधे मंडी व्यापारियों को 6 से ₹7000 रुपए क्विंटल के भाव से बेचने को मजबूर हैं. जाहिर है यह मूंग बाजार में बिकने के बाद आम उपभोक्ताओं तक पहुंचेगी. जिसका खामियाजा इसे खाने वाले लोगों पेस्टिसाइड के दुष्प्रभाव के रूप में भुगतना पड़ सकता है.

Last Updated : June 5, 2025 at 10:32 AM IST
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