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हजारीबाग में महुदी जुलूस मार्ग पर क्यों लगाई गई रोक, हथियार बांटने पर क्यों उठा सवाल, सांसद मनीष जायसवाल ने सभी सवालों के दिए जवाब - HAZARIBAG RAM NAVAMI

हजारीबाग में रामनवमी की तैयारियों को लेकर सांसद मनीष जायसवाल से ईटीवी भारत संवाददाता गौरव प्रकाश ने खास बातचीत की.

Hazaribag Ram Navami
हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 6, 2025 at 5:14 PM IST

Updated : April 6, 2025 at 5:29 PM IST

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हजारीबाग : रामनवमी के रंग में हजारीबाग रंग चुका है. हजारीबाग को अब दूसरा अयोध्या भी कहा जाने लगा है. हर व्यक्ति इसकी तैयारी में जुटा है. ईटीवी भारत संवाददाता ने हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल से हजारीबाग में रामनवमी को लेकर बात की और यह जानने की कोशिश की कि इसे लेकर उनकी क्या तैयारियां हैं. इसके साथ ही महुदी में जुलूस पर रोक, उनके द्वारा हथियार बांटना जैसे तमाम मुद्दों पर उनसे सवाल किए, जिसका सांसद ने जवाब दिए.

सवाल : क्या है आपकी तैयारी?

जवाब : हर साल की तरह इस साल भी सांसद सेवा कार्यालय राम भक्तों को कई सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. जिसमें पेयजल, चना, भोजन और मेडिकल सुविधाएं शामिल हैं. इसके साथ ही गांव के लोगों के लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं. हजारीबाग में रामनवमी उत्सव है. यहां के लोग इसे महोत्सव के रूप में मनाते हैं. यह त्योहार हजारीबाग की जान है. इसे देखते हुए आम जनता को हर वो सुविधा दी जाएगी जो बेहद जरूरी है. ताकि राम भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो. अगर किसी भी व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी है तो वह सांसद सेवा कार्यालय आ सकता है.

मनीष जायसवाल से बात करते संवाददाता गौरव प्रकाश (ईटीवी भारत)

सवाल : बदलते समय के साथ रामनवमी में क्या परिवर्तन हुए हैं?

जवाब : रामनवमी पहले की अपेक्षा अधिक भव्य तरीके से मनाई जा रही है. इस वर्ष 108 अखाड़ों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. अखाड़ों की संख्या भी बढ़ रही है. महोत्सव 100 साल पुराना है, लेकिन लोगों का उत्साह हर साल बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि अब इसे राजकीय महोत्सव का दर्जा देने की मांग तेज हो गई है. शुरुआती दिनों में ढोल बजते थे. इसके बाद बंगाल की ताशा पार्टी ने अपनी जगह बनाई. कालांतर में डीजे रामनवमी का अंग बन गया. अब फिर से रामनवमी पुराने रंग में लौट रही है. विद्युत साज में भी परिवर्तन हुआ है. कह सकते हैं कि रामनवमी में तकनीक का भी प्रयोग होने लगा है. पहले गांव-शहर से लोग आते थे. अब दूसरे राज्यों से भी कुछ लोग जुलूस देखने पहुंच रहे हैं. इसका महत्व पहले की अपेक्षा अधिक है. बदलते दौर में रामनवमी का स्वरूप भी बदल गया है. जो परंपरा चली आ रही थी, वह आज भी जीवित है. जिसमें शौर्य प्रदर्शन लाठी चलाना शामिल है.

सवाल : आपने कई अखाड़ों को परंपरागत हथियार और लाठी उपहार स्वरूप उपलब्ध कराया है , आरोप लगा कि जिन हाथों को किताब देना चाहिए था उसे हथियार दिया गया?

जवाब : हजारीबाग में रामनवमी के दौरान हथियार चलाने की परंपरा रही है. वह परंपरा लुप्त होती जा रही थी, लेकिन उसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है. जो भी हथियार दिए जाते हैं, वह धारदार नहीं होते हैं. उस हथियार से शौर्य प्रदर्शन किया जा सकता है. लाठी से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है. जैसा समय होता है वैसा उपहार दिया जाता है. जरूरत पड़ने पर सांसद कार्यालय ने पुस्तक और लोगों को कपड़ा, राशन तक मुहैया कराया है. कुछ लोगों ने इसे नकारात्मक रूप से लिया. उन्हें जवाब देने की जरूरत नहीं है. जिन्होंने इसे लेकर सवाल उठाया है, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनके पर्व-त्योहारों में भी दंड लाठी खेलने की परंपरा है. मनीष जायसवाल करें तो गलत और वे करें तो सही. जनता जानती है कि क्या सही है और क्या गलत. इसलिए जिन्होंने सवाल उठाया है, उन्हें जवाब देने की भी जरूरत नहीं है.

सवाल : हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड के महुदी में जुलूस पर प्रतिबंध लगाया गया है. एक ही देश और एक ही जिला में अलग-अलग नियम आखिर क्यों?

जवाब : हजारीबाग के महुदी में जुलूस पर रोक लगाना निंदनीय है. सरकार और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए था कि जुलूस पर रोक न लगे. यह देश सेकुलर है जिसमें सभी मार्गों का उपयोग समाज के हर व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है. भारत में कोई भी मार्ग किसी एक समुदाय या व्यक्ति का नहीं है. प्रशासन और सरकार ने जुलूस के लिए किसी मार्ग पर रोक लगा दी है या यह तुष्टिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण है. सरकार इसे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है. यह एक गलत परिपाटी की शुरुआत हजारीबाग में की गई है. इसके लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ही दोषी है.

सवाल : हजारीबाग समस्त पूरे देशवासियों को रामनवमी में क्या संदेश देंगे?

जवाब: नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर हजारीबाग समेत पूरे देशवासियों को ढेरों शुभकामनाएं. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाएं. उत्साह में मर्यादा का ख्याल रखें. नशामुक्त पर्व होना सबसे जरूरी है. यह पर्व सनातनियों के लिए सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है. दशमी और एकादशी को हजारीबाग में विश्व प्रसिद्ध शोभायात्रा निकाली जाएगी. राम भक्त 36 घंटे तक नाचते-गाते भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाएंगे. संयम और धैर्य के साथ इस पर्व को मनाएं. किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें. संशय की स्थिति हो तो सांसद कार्यालय, जिला प्रशासन से जरूर संपर्क करें.

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हजारीबाग : रामनवमी के रंग में हजारीबाग रंग चुका है. हजारीबाग को अब दूसरा अयोध्या भी कहा जाने लगा है. हर व्यक्ति इसकी तैयारी में जुटा है. ईटीवी भारत संवाददाता ने हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल से हजारीबाग में रामनवमी को लेकर बात की और यह जानने की कोशिश की कि इसे लेकर उनकी क्या तैयारियां हैं. इसके साथ ही महुदी में जुलूस पर रोक, उनके द्वारा हथियार बांटना जैसे तमाम मुद्दों पर उनसे सवाल किए, जिसका सांसद ने जवाब दिए.

सवाल : क्या है आपकी तैयारी?

जवाब : हर साल की तरह इस साल भी सांसद सेवा कार्यालय राम भक्तों को कई सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है. जिसमें पेयजल, चना, भोजन और मेडिकल सुविधाएं शामिल हैं. इसके साथ ही गांव के लोगों के लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं. हजारीबाग में रामनवमी उत्सव है. यहां के लोग इसे महोत्सव के रूप में मनाते हैं. यह त्योहार हजारीबाग की जान है. इसे देखते हुए आम जनता को हर वो सुविधा दी जाएगी जो बेहद जरूरी है. ताकि राम भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो. अगर किसी भी व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी है तो वह सांसद सेवा कार्यालय आ सकता है.

मनीष जायसवाल से बात करते संवाददाता गौरव प्रकाश (ईटीवी भारत)

सवाल : बदलते समय के साथ रामनवमी में क्या परिवर्तन हुए हैं?

जवाब : रामनवमी पहले की अपेक्षा अधिक भव्य तरीके से मनाई जा रही है. इस वर्ष 108 अखाड़ों का रजिस्ट्रेशन हुआ है. अखाड़ों की संख्या भी बढ़ रही है. महोत्सव 100 साल पुराना है, लेकिन लोगों का उत्साह हर साल बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि अब इसे राजकीय महोत्सव का दर्जा देने की मांग तेज हो गई है. शुरुआती दिनों में ढोल बजते थे. इसके बाद बंगाल की ताशा पार्टी ने अपनी जगह बनाई. कालांतर में डीजे रामनवमी का अंग बन गया. अब फिर से रामनवमी पुराने रंग में लौट रही है. विद्युत साज में भी परिवर्तन हुआ है. कह सकते हैं कि रामनवमी में तकनीक का भी प्रयोग होने लगा है. पहले गांव-शहर से लोग आते थे. अब दूसरे राज्यों से भी कुछ लोग जुलूस देखने पहुंच रहे हैं. इसका महत्व पहले की अपेक्षा अधिक है. बदलते दौर में रामनवमी का स्वरूप भी बदल गया है. जो परंपरा चली आ रही थी, वह आज भी जीवित है. जिसमें शौर्य प्रदर्शन लाठी चलाना शामिल है.

सवाल : आपने कई अखाड़ों को परंपरागत हथियार और लाठी उपहार स्वरूप उपलब्ध कराया है , आरोप लगा कि जिन हाथों को किताब देना चाहिए था उसे हथियार दिया गया?

जवाब : हजारीबाग में रामनवमी के दौरान हथियार चलाने की परंपरा रही है. वह परंपरा लुप्त होती जा रही थी, लेकिन उसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है. जो भी हथियार दिए जाते हैं, वह धारदार नहीं होते हैं. उस हथियार से शौर्य प्रदर्शन किया जा सकता है. लाठी से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है. जैसा समय होता है वैसा उपहार दिया जाता है. जरूरत पड़ने पर सांसद कार्यालय ने पुस्तक और लोगों को कपड़ा, राशन तक मुहैया कराया है. कुछ लोगों ने इसे नकारात्मक रूप से लिया. उन्हें जवाब देने की जरूरत नहीं है. जिन्होंने इसे लेकर सवाल उठाया है, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि उनके पर्व-त्योहारों में भी दंड लाठी खेलने की परंपरा है. मनीष जायसवाल करें तो गलत और वे करें तो सही. जनता जानती है कि क्या सही है और क्या गलत. इसलिए जिन्होंने सवाल उठाया है, उन्हें जवाब देने की भी जरूरत नहीं है.

सवाल : हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड के महुदी में जुलूस पर प्रतिबंध लगाया गया है. एक ही देश और एक ही जिला में अलग-अलग नियम आखिर क्यों?

जवाब : हजारीबाग के महुदी में जुलूस पर रोक लगाना निंदनीय है. सरकार और जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए था कि जुलूस पर रोक न लगे. यह देश सेकुलर है जिसमें सभी मार्गों का उपयोग समाज के हर व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है. भारत में कोई भी मार्ग किसी एक समुदाय या व्यक्ति का नहीं है. प्रशासन और सरकार ने जुलूस के लिए किसी मार्ग पर रोक लगा दी है या यह तुष्टिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण है. सरकार इसे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल कर रही है. यह एक गलत परिपाटी की शुरुआत हजारीबाग में की गई है. इसके लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ही दोषी है.

सवाल : हजारीबाग समस्त पूरे देशवासियों को रामनवमी में क्या संदेश देंगे?

जवाब: नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर हजारीबाग समेत पूरे देशवासियों को ढेरों शुभकामनाएं. मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्मोत्सव पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाएं. उत्साह में मर्यादा का ख्याल रखें. नशामुक्त पर्व होना सबसे जरूरी है. यह पर्व सनातनियों के लिए सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है. दशमी और एकादशी को हजारीबाग में विश्व प्रसिद्ध शोभायात्रा निकाली जाएगी. राम भक्त 36 घंटे तक नाचते-गाते भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाएंगे. संयम और धैर्य के साथ इस पर्व को मनाएं. किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें. संशय की स्थिति हो तो सांसद कार्यालय, जिला प्रशासन से जरूर संपर्क करें.

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Last Updated : April 6, 2025 at 5:29 PM IST
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