भोपाल: मध्य प्रदेश में भले ही सरकार ने विद्युत वितरण का काम निजी कंपनियों के हाथों में सौंप दिया है. इसके बावजूद बिजली चोरी और लाइन लॉस के कारण कंपनियों का घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. बीते साल 2023-24 की बात करें, तो मध्य प्रदेश में मध्य और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र में 2 हजार करोड़ रुपए की बिजली चोरी हुई है. अब इसकी भरपाई बिजली कंपनियां आम उपभोक्ताओं पर टैरिफ बढ़ाकर करेंगी. जिससे अब उपभोक्ताओं को मिलने वाली बिजली मंहगी होने जा रही है.
'बिजली टैरिफ में 3.46 प्रतिशत की वृद्धि'
बिजली चोरी के कारण विद्युत वितरण कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है. अब इसकी भरपाई के लिए कंपनियां उपभोक्ताओं पर टैरिफ बढ़ा रही हैं. अधिकारियों ने बताया कि नुकसान की भरपाई करने के लिए टैरिफ में 3.46 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है. मई से इसे प्रदेश में लागू किया जाएगा. हालांकि बिजली के दाम बढ़ने की सूचना मिलते ही आम उपभोक्ता भी लामबंद हो गए हैं और उन्होंने बढ़ी हुई बिजली की दरों को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है.

'बिजली चोरी और लाइन लॉस रुके तो नहीं बढ़ाना पड़ेगा टैरिफ'
बिजली विभाग के पूर्व इंजीनियर पराग गुप्ता ने बताया कि "विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों को 8 से 10 प्रतिशत लाइन लॉस कम करने का टारगेट दिया है. लेकिन मध्य और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को कम नहीं कर पा रही हैं. इससे बिजली कंपनियां घाटे में चल रही हैं. पराग गुप्ता ने बताया कि यदि बिजली कंपनियां बिजली चोरी और लाइन लास रोक लेती हैं, तो कंपनियों को घाटा नहीं होगा. जिससे आम उपभोक्तओं पर मंहगा टैरिफ लगाने की जरुरत नहीं होगी."
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विद्युत वितरण कंपनियों को 2 हजार करोड़ रुपए का घाटा
बता दें कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को विद्युत नियामक आयोग ने 16.5 फीसदी तक लाइन लॉस का टारगेट दिया था. लेकिन कंपनी ने 25.70 फीसदी लाइन लॉस कर दिया है. इससे 371.1 करोड़ यूनिट बिजली का नुकसान हुआ. वहीं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को आयोग ने 15.5 फीसदी तक के घाटे का टारगेट दिया था, लेकिन कंपनी ने 28.04 फीसदी लाइन लॉस किया. इससे कंपनी को 427.8 करोड़ यूनिट बिजली का नुकसान हुआ. ऐसे में लाइन लॉस के कारण दोनों कंपनियों को 1 साल में करीब 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ.