भोपाल: मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का एलान जल्द हो सकता है. जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष के फैसले पर अंतिम निर्णय के संबध में पार्टी के वरिष्ठ जन दिल्ली में बैठक करने वाले हैं. माना जा रहा है कि इस बैठक में लंबे समय से पेंडिंग बीजेपी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के मामले को गति मिल सकती है.
जनवरी महीने में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का एलान होना था, लेकिन अप्रैल भी आधा बीत चुका है और पार्टी फैसला नहीं कर पाई है. इसके पहले देरी की वजह जिलाध्य़क्षों के चुनाव को बताया गया था, लेकिन अब वो प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. माना जा रहा है अप्रैल अंत तक बीजेपी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा.
कहां अटका है मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष का फैसला
मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष का फैसला अब से पहले पोखरण विस्फोट की तरह होता रहा है. दिवंगत नेता प्रभात झा को हटाने और नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का पूरा घटनाक्रम ऐसा ही था. ये पहली बार है कि प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय लेने मे पार्टी इतना समय ले रही है. हालांकि इस बार पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के पद के तलबगार नेताओं की कतार भी लंबी है.
नरोत्तम मिश्रा से लेकर अरविंद भदौरिया तक तमाम पार्टी के कद्दावर मंत्रियों से लेकर मौजूदा डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए चर्चा में है. बाकी विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम इनमें सबसे मजबूत माना जा रहा है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, "वाकई पहले के मुकाबले देखें तो बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय इतना लंबित नहीं हुआ है.
जो निर्णय जनवरी में हो जाना चाहिए था वो अप्रैल तक नहीं हो सका है. हालांकि इसकी एक वजह ये भी है कि बीजेपी में कोई भी निर्णय बहुत चिंतन मनन के बाद होता है. अभी मध्य प्रदेश में निकट भविष्य में चुनाव भी नहीं है, लेकिन पूरे बीस साल बाद सरकार का चेहरा बदला है. तो पार्टी सांमजस्य का भी ध्यान रखेगी और उसी आधार पर निर्णय लिया जाएगा. इस देर की एक वजह ये भी हो सकती है."

पाटी में सब निर्णय प्रक्रिया से होते हैं
हालांकि बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष के फैसले को लेकर हो रही देरी पर बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है "बीजेपी मे हर निर्णय पूरी प्रक्रिया से होता है. पार्टी से संबधित किसी भी निर्णय की घोषणा प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद ही होगी."
पार्टी के भीतर घमासान तभी नहीं हो पा रहा फैसला
उधर कांग्रेस बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर हो रही देरी की वजह बीजेपी में बढ़ती गुटबाजी को बता रही है. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता संगीता शर्मा कहती हैं कि "असल में पार्टी में इतने कद्दावर नेता बेचारे खाली बैठे हैं और उन सबकी निगाह अब प्रदेश अध्यक्ष के पद पर है. पार्टी में गुटबाजी इतनी ज्यादा है कि शिवराज सिंधिया सबके अपने अलग अलग गुट हैं.
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उन्होंने कहा कि अब जो नया प्रदेश अध्यक्ष बनेगा, उसकी जिम्मेदारी होगी कि पार्टी को एकजुट करे. तो नए अध्यक्ष के लिए भी जिम्मेदारी तलवार की धार पर चलने जैसा मामला हो जाएगा. असल में देरी इसलिए हो रही है कि पार्टी इन दिगगज नेताओं की खींचतान को संभाल नहीं पा रही है.