हिसार: हरियाणा के हिसार में अग्रोहा धाम में वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग की अध्यक्षता में प्रतिनिधियों की बैठक हुई. अग्रोहा स्थल टीले पर पुरातत्व विभाग की ओर से टीले की खुदाई का कार्य लगातार जारी है. इस दौरान स्थल टीले पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पुरातत्व संस्थान ज्ञान केंद्र ग्रेटर नोएडा के पीजी डिप्लोमा पुरातत्व के 15 छात्रों की टीम लगातार प्राचीन स्थल टीले पर खोदाई व शोध करने में लगे हुए हैं.
टीले की खुदाई का निरीक्षण: शनिवार को वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने अग्रोहा प्राचीन टीले पर खुदाई काम का निरीक्षण किया. उन्होंने भारतीय पुरातत्व विभाग चंडीगढ़ सर्कल के उपनिदेशक डिप्टी डायरेक्टर डॉ. बनानी भट्टाचार्य व डॉ. अंकित प्रधान के टीले की खुदाई की जानकारी ली. टीले की खुदाई 6 फुट तक हो चुकी है. बजरंग गर्ग ने टीले की खुदाई का निरीक्षण करने पर कहा कि अग्रोहा प्राचीन टीला जो पहले 125 एकड़ में महाराजा अग्रसेन जी का महल होता था. अग्रोहा महाराजा अग्रसेन जी की राजधानी धर्मनगरी थी. अग्रोहा टीले में महाराजा अग्रसेन जी की यादें जुड़ी हैं.
खुदाई में मिलेगा खजाना!: टीले की खुदाई में बेशुमार कीमती सामान मिलेगा. जबकि 23 दिन की टीले की खुदाई में अनेकों सामग्री मिली है. यहां तक की 28 ईंटों की दीवार, पत्थर, मनके की माला, सीढ़ियां, मिट्टी के खिलौने, कुल्हड़, बर्तन, कलाकृति पत्थर आदि समान मिलने से सिद्ध हो जाता है कि खुदाई में बेशुमार कीमती सामान मिलेगा.
पहले भी मिल चुका है बेशकीमती सामान: बजरंग गर्ग ने कहा कि अग्रोहा टीले की पहले 1937-38 व 1978 से 1981 तक दो बार सरकार ने खुदाई की थी. उस समय भी भारी मात्रा में कीमती सामग्री निकली थी. जिसमें सिक्के, पत्थर की मूर्तियां, मुहरें, बर्तन, लोहे, तांबे के उपकरण, कई लेर की ईंटों की अनेकों दीवारें आदि निकली थी. अग्रोहा टीले में इतिहास का भंडार दबा हुआ है. जबकि प्राकृतिक आपदा के कारण महाराजा अग्रसेन जी महल दब गया था और इस टीले की खुदाई में महाराजा अग्रसेन जी का खजाना मिल सकता है.
'क्षेत्र का होगा विकास': बजरंग गर्ग ने कहा कि अग्रोहा टीले की खुदाई से क्षेत्र के विकास को नया आयाम मिलेगा. टीले की खुदाई महाराजा अग्रसेन जी के इतिहास को उजागर करने के साथ-साथ पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल के रूप में विकसित होगा. अग्रोहा शहर तक्षशिला और मथुरा के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग पर स्थित था. यह फिरोज शाह तुगलक 1351-88 ईस्वी की नई बस्ती हिसार-ए-फिरोजा 1354 ईस्वी के अस्तित्व में आने तक वाणिज्य और राजनीतिक क्षेत्र रहा है. खुदाई शुरू होने से पहले संभावित क्षेत्रों में जीपीआरएस का सर्वेक्षण कराया गया.
ये भी पढ़ें: हिसार में 40 साल बाद फिर अग्रोहा टीले की खुदाई हुई शुरू, मिल सकता है ऐतिहासिक चीजों का खजाना
ये भी पढ़ें: हिसार आएंगे सीएम सैनी, अग्रोहा में ऐतिहासिक टीले की खुदाई का करेंगे उद्घाटन, छात्र करेंगे शोध