जींद: जुलाना कस्बे में आरडी और एफडी के नाम पर 15 निवेशकों के 86 लाख 36 हजार ठगी के मामले में पुलिस की एसआईटी टीम जांच के लिए पहुंची और निवेशकों के बयान दर्ज किए. गत 22 मार्च को पुलिस ने एक एजेंट की शिकायत के आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया गया था. रविवार को एसआई पवन कुमार के नेतृत्व में टीम जुलाना पहुंची और आरडी एफडी के नाम पर जिन लोगों ने निवेश किया था उनके बयान दर्ज किए.
2016 में हुई थी सोसाइटी की स्थापनाः सोनीपत जिले के छपरा गांव निवासी जसवीर ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में एजेंट के रूप में काम करता था. आरोप लगाया कि सोसाइटी ने जनता को वित्तीय योजनाओं के माध्यम से धोखा देने का गंभीर अपराध किया है. सोसाइटी की स्थापना और उद्देश्य ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का गठन बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत किया गया था. इस सोसाइटी ने 16 सितंबर 2016 से हरियाणा सहित कई राज्यों में कार्य करना शुरू किया. इसके मुख्य कार्य फिक्स्ड डिपॉजिट और आवर्ती जमा (RD) जैसी बचत योजनाएं प्रदान करना था. सोसाइटी ने अपनी शुरुआत में खुद को एक भरोसेमंद और सुरक्षित वित्तीय संस्था के रूप में प्रस्तुत किया.
पहले विश्वास जीता, फिर घोखाधड़ीः सोसाइटी ने निवेशकों को आकर्षित करने और विश्वास दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया. उनकी योजनाएं न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी लोगों को भी अपनी ओर खींचने में सफल रहीं. यह दावा किया गया कि निवेशकों की रकम सुरक्षित रहेगी और समय पर परिपक्वता राशि का भुगतान किया जाएगा. प्रोत्साहन आधारित योजनाएं और निवेशकों का विश्वास सोसाइटी ने नए निवेशकों को जोड़ने के लिए इंसेंटिव आधारित योजना शुरू की. इस योजना के तहतए जो व्यक्ति अधिक निवेशकों को जोड़ेगा, उसे निवेश की राशि के आधार पर अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा.
2023 तक निवेशकों और एजेंट्स का था भरोसाः यह मॉडल मल्टी लेवल मार्केटिंग पर आधारित था, जिसने तेजी से निवेशकों की संख्या बढ़ाई. निवेशकों ने अपने परिचितों, दोस्तों और रिश्तेदारों को सोसाइटी से जोड़ना शुरू कर दिया. इसके परिणामस्वरूप एजेंट्स और निवेशकों का एक बड़ा नेटवर्क बन गया. एजेंट्स को प्रशिक्षित किया गया. जिससे उन्होंने अन्य निवेशकों का विश्वास जीतकर बड़ी मात्रा में धन सोसाइटी में जमा कराया. 2016 से 2023 तक का कार्यकाल और सफलता का भ्रम शुरुआती सात वर्षों तक सोसाइटी ने समय पर भुगतान और योजनाओं का सुचारू संचालन किया. निवेशकों को परिपक्वता राशि समय पर दी गई. एजेंट्स को नए निवेशकों को जोड़ने पर इंसेंटिव दिया गया. बड़ी सभाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से सोसाइटी ने अपना भरोसा बनाए रखा.
सीएडी समीर अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्जः सोसाइटी के मालिक और अधिकारी लगातार निवेशकों और एजेंट्स को यह विश्वास दिलाते रहे कि उनका मॉडल मजबूत और पारदर्शी है. इस दौरान, सोसाइटी ने अपनी वास्तविक मंशा को छिपाते हुए धोखाधड़ी के लिए एक ठोस आधार तैयार किया. 2023 में सोसाइटी के कामकाज में गंभीर समस्याएं आनी शुरू हुईं. पहले एजेंट्स के इंसेंटिव रोक दिए गए. निवेशकों की परिपक्वता राशि का भुगतान भी बाधित होने लगा. सोसाइटी के अधिकारी सिस्टम अपग्रेडेशन का बहाना बनाकर देरी को जायज ठहराने की कोशिश करते रहे. निवेशकों और एजेंट्स ने जब इन समस्याओं को लेकर अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें झूठे आश्वासन दिए गए. धीरे-धीरे, सोसाइटी के मालिकों ने सभी संपर्क समाप्त कर दिए और निवेशकों को उनकी मेहनत की कमाई वापस नहीं मिली. पुलिस ने शिकायत के आधार पर सोसाइटी और उसके के सीएडी समीर अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
बॉलीवुड एक्टर श्रेयस तलपड़े और आलोक नाथ भी आरोपीः जुलाना में खोले गए सोसाइटी के केंद्र के एजेंट जसवीर ने बताया कि सोसाइटी के प्रचार के लिए बॉलीवुड एक्टर तलपड़े और आलोक नाथ को ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था. इसके अलावा दुबई और मुंबई निवासी कई बड़े नाम भी आरोपियों में शामिल हैं.
अभी तक 86 लाख 36 हजार हड़पने का मामला आया सामनेः जुलाना के नत्थूराम मार्केट में सेंटर खोला गया था. पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में केवल 15 निवेशकों द्वारा निवेश की गई राशि का जिक्र है. जबकि सेंटर पर सैंकड़ों एजेंट हजारों निवेशकों की राशि को जमा करवाते थे. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब 15 निवेशकों के 86 लाख 36 हजार रुपये जमा हैं तो हजारों लोगों के कितने होंगे.
मैच्योरिटी नहीं मिलने पर तीन दिसंबर को हुआ था हंगामा: जुलाना में ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसायटी के नाम से कार्यालय लगभग आठ साल से चलाया जा रहा था. सोसायटी एफडी और आरडी के नाम पर बाजार में सीपी निवेशकों से रूपये जमा करवाते थे. सोसायटी के एजेंट सोनू ने बताया कि उसने लगभग 500 लोगों का सोसाइटी में निवेश करवाया है. ऐसे में लगभग करोड़ों रुपये उसके उपभोक्ताओं के सोसाइटी में जमा हैं. इसके अलावा काफी लोग स्वयं भी कार्यालय में जमा करवाते थे. सोसाइटी के शुरुआती दिनों में समय पर लेनदेन होता रहा है. ऐसे में निवेशकों का भरोसा सोसाइटी पर हो गया और लोग काफी संख्या में निवेश करने लगे. सोसाइटी में लोगों ने करोड़ों रुपये निवेश कर दिए. तीन माह बीत जाने के बावजूद सोसाइटी ने लोगों की समय अवधि पूरी होने पर भी रुपए नहीं दिए जा रहे थे तो को-ऑपरेटिव सोसायटी के कार्यालय में पहुंच कर हंगामा किया. इसके बाद वहां से एजेंट और कार्यालय स्टाफ भाग गए. पुलिस ने जांच के दौरान जब बुलाया तो दस दिन में मैच्योरिटी देने की बात सहमति बन गई. कुछ दिन बाद कार्यालय को बंद कर दिया गया और अब तक मैच्योरिटी नहीं दी गई है.