ETV Bharat / state

त्रिकुट पहाड़ रोपवे बंद होने से इंसान ही नहीं बंदर भी परेशान, भूख प्यास से हो रहे बेहाल - TRIKUTA HILL OF DEOGHAR

देवघर के त्रिकुट पहाड़ के रोप वे बंद होने से सैलानियों का जाना बंद हो गया है. जिससे पहाड़ के बंदर भी परेशान हैं.

TRIKUTA HILL OF DEOGHAR
त्रिकुट पहाड़ पर बेबस बंदर (ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 2, 2025 at 6:42 PM IST

Updated : April 2, 2025 at 9:08 PM IST

2 Min Read

देवघर: जिले का त्रिकुट पहाड़ दार्शनिक स्थल में शुमार है. प्रतिदिन इस पहाड़ पर हजारों सैलानी घूमने आते थे. त्रिकुट पहाड़ पर तीन चोटिया हैं. जिसे ब्रह्मा विष्णु और महेश के नाम से जानी जाती है. त्रिकुट पहाड़ पर आने वाले सैलानियों के लिए यहां पर रहने वाले बंदर भी आकर्षण का केंद्र है. लेकिन त्रिकुट पहाड़ पर सरकार की उदासीन रवैये के कारण पहाड़ पर आकर्षण का केंद्र बने बंदर भी यहां से भाग रहे हैं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि रोप वे बंद होने के बाद जो बंदर पहाड़ के ऊपर में रहते थे वो सभी बंदर पलायन कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि रोप वे जब संचालित हुआ करता था तो उस वक्त ऊपर जाने वाले सैलानी पहाड़ पर रहने वाले बंदरों के बीच भोजन का वितरण किया करते थे. लेकिन अब पहाड़ पर सैलानियों का आना जाना बंद हो गया है.

संवाददाता हितेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

सैलानियों के पहाड़ के ऊपर नहीं जाने से वहां रहने वाले बंदरों को खाने-पीने नहीं मिल पा रहा है. जिससे बंदर पहाड़ के ऊपर से दूसरी जगहों पर जा रहे हैं. पहाड़ पर गाइड का काम कर रहे जयदीप कुमार ने बताया कि पहाड़ के ऊपर रहने वाले बंदर अब यहां से जा चुके हैं. जो बंदर पहाड़ पर रहते थे वो बंदर अब गांव में किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं.

गौरतलब है कि त्रिकुट पहाड़ को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर भगवान बजरंगबली की मंदिर स्थापित है. लेकिन रोप वे के बंद होने से अब यहां लोग नहीं आ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने अपील की है कि जल्द से जल्द रोप वे व्यवस्था की शुरुआत की जाए, ताकि यहां लोग फिर से आएं और यह जगह गुलजार हो.

ये भी पढ़ें- 50 बेड से कम के निजी अस्पतालों को एक्ट से अलग रखने की मांग, आईएमए की बैठक में उठा डॉक्टरों के पलायन का मुद्दा

भीषण गर्मी में वन्य जीवों को पानी देना चुनौती, पिछले साल एक साथ मारे गये थे 35 बंदर!

झुंड से बिछड़े बंदरों ने मचाया उत्पात, वनकर्मी सहित 35 लोगों को किया घायल - Monkeys injured forest worker

देवघर: जिले का त्रिकुट पहाड़ दार्शनिक स्थल में शुमार है. प्रतिदिन इस पहाड़ पर हजारों सैलानी घूमने आते थे. त्रिकुट पहाड़ पर तीन चोटिया हैं. जिसे ब्रह्मा विष्णु और महेश के नाम से जानी जाती है. त्रिकुट पहाड़ पर आने वाले सैलानियों के लिए यहां पर रहने वाले बंदर भी आकर्षण का केंद्र है. लेकिन त्रिकुट पहाड़ पर सरकार की उदासीन रवैये के कारण पहाड़ पर आकर्षण का केंद्र बने बंदर भी यहां से भाग रहे हैं.

स्थानीय लोगों ने बताया कि रोप वे बंद होने के बाद जो बंदर पहाड़ के ऊपर में रहते थे वो सभी बंदर पलायन कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि रोप वे जब संचालित हुआ करता था तो उस वक्त ऊपर जाने वाले सैलानी पहाड़ पर रहने वाले बंदरों के बीच भोजन का वितरण किया करते थे. लेकिन अब पहाड़ पर सैलानियों का आना जाना बंद हो गया है.

संवाददाता हितेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

सैलानियों के पहाड़ के ऊपर नहीं जाने से वहां रहने वाले बंदरों को खाने-पीने नहीं मिल पा रहा है. जिससे बंदर पहाड़ के ऊपर से दूसरी जगहों पर जा रहे हैं. पहाड़ पर गाइड का काम कर रहे जयदीप कुमार ने बताया कि पहाड़ के ऊपर रहने वाले बंदर अब यहां से जा चुके हैं. जो बंदर पहाड़ पर रहते थे वो बंदर अब गांव में किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं.

गौरतलब है कि त्रिकुट पहाड़ को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर भगवान बजरंगबली की मंदिर स्थापित है. लेकिन रोप वे के बंद होने से अब यहां लोग नहीं आ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने अपील की है कि जल्द से जल्द रोप वे व्यवस्था की शुरुआत की जाए, ताकि यहां लोग फिर से आएं और यह जगह गुलजार हो.

ये भी पढ़ें- 50 बेड से कम के निजी अस्पतालों को एक्ट से अलग रखने की मांग, आईएमए की बैठक में उठा डॉक्टरों के पलायन का मुद्दा

भीषण गर्मी में वन्य जीवों को पानी देना चुनौती, पिछले साल एक साथ मारे गये थे 35 बंदर!

झुंड से बिछड़े बंदरों ने मचाया उत्पात, वनकर्मी सहित 35 लोगों को किया घायल - Monkeys injured forest worker

Last Updated : April 2, 2025 at 9:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.