ETV Bharat / state

लक्ष्मणजी ने बाण मारकर निकाली थी जलधारा, उज्जैन में फूटेगा पानी का फव्वारा - MOHAN YADAV UJJAIN VISIT

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने चिंतामण गणेश मंदिर में की पूजा-अर्चना, ऐतिहासिक बावड़ी के जीर्णोद्धार की भी पूजा-अर्चना की.

MOHAN YADAV UJJAIN VISIT
लक्ष्मणजी ने बाण मारकर निकाली थी जलधारा (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 6, 2025 at 5:23 PM IST

3 Min Read

उज्जैन: धार्मिक नगरी अवंतिका उज्जयनी में शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर विराजमान भगवान गणेश का चिंतामण गणेश मंदिर अति प्राचिन है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मंदिर पहुंचे. यहां सीएम ने भगवान चिंतामण, इच्छामण और सिद्धविनायक तीन रूप में गणेश की स्वयंभू प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. मंदिर प्रांगण में ही त्रेता युग के समय से मौजूद लक्ष्मण बावड़ी के जीर्णोद्धार को लेकर भी सीएम ने पूजा की.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा "3000 से ज्यादा कुआं और बावड़ी को लेकर हमने पूरे प्रदेश में काम किया है. जहां से जल धारा प्रकट हुई है. बावड़ी मूल स्वरूप में आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संरक्षण के आव्हान को लेकर पूरे प्रदेश में ये काम चल रहा है. आज चिंतामण गणेश मंदिर की ये बावड़ी जहां खुद लक्ष्मण ने अपने तीर बाण से जलधारा निकाली थी, ये तब का इतिहास है.

20 हजार से 25000 दर्शनार्थी रोज

मंदिर के पुजारी गणेश गुरु ने बताया कि "मंदिर आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी भगवान को लड्डूओं का भोग लगाते हैं. मंदिर में करीब 20 से 25 हजार दर्शनार्थी रोज दर्शन कर आते हैं. जबकि किसी खास पर्व पर यह संख्या तीन गुना ज्यादा हो जाता है.

Historical Stepwell Renovation in Ujjain
उज्जैन बावड़ी (ETV Bharat)

मंदिर का महत्व

गणेश गुरु ने बताया कि "कहा जाता है त्रेता युग में प्रभु श्री राम, लक्षण व माता सीता के वनवास के दौरान यहां जंगल हुआ करता था. उस समय तीनों ने भगवान गणेश का इस स्थान पर आव्हान किया, तो यहां भगवान तीन स्वरूप में पहुंचे. जो चिंतामण, इच्छामण व सिद्धिविनायक है. जिनका भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता ने पूजन किया और आशीर्वाद लिया. मान्यता है तभी से स्वयं भू प्रतिमा तीनों स्वरूप में एक साथ यहां स्थापित है.

चिंतामण गणेश का आव्हान प्रभु श्रीराम , इच्छामण का लक्ष्मण जी और सिद्धविनायक का माता सीता ने आव्हान किया था. मंदिर में भक्त चिंता दूर करने, इच्छा पूरी होने और हर कार्य की सिद्धि की मनोकामनाएं लिए पहुंचते है. मंदिर में पुजारी गणेश गुरु के अनुसार भक्त भगवान के दर्शन के साथ संतान प्राप्ति, मांगलिक कार्य के लिए पहुंचते हैं."

मंदिर परिसर में है लक्ष्मण बावड़ी

मंदिर में अति प्राचीन बावड़ी आज भी है. जिसका नाम लक्ष्मण बावड़ी दिया गया है. गणेश गुरु के अनुसार वनवास के दौरान भगवान गणेश का पूजन करने व माता सीता को प्यास लगने पर आस पास जंगल में पानी नहीं होने से परेशान लक्षमण ने यहां बांण मारकर पानी निकाला था. तभी से यहां लक्ष्मण बावड़ी स्थापित है. जिसमें कभी पानी खत्म नहीं होता. मंदिर में उल्टा स्वास्तिक और धागा बांधने की परंपरा है.

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव चिंतामण गणेश मंदिर में पूजन-अर्चन कर चिंतामण गणेश मंदिर के प्रांगण में ही लक्ष्मण बावड़ी है, उसके जीर्णोद्धार के लिए पूजन अर्चन किया. मुख्यमंत्री ने कहा 3000 से ज्यादा कुएं और बावड़ी को लेकर हमने पूरे प्रदेश में काम किया है. जहां से जल धारा प्रकट हुई है. बावड़ी मूल स्वरूप में आई है.

उज्जैन: धार्मिक नगरी अवंतिका उज्जयनी में शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर विराजमान भगवान गणेश का चिंतामण गणेश मंदिर अति प्राचिन है. शुक्रवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव मंदिर पहुंचे. यहां सीएम ने भगवान चिंतामण, इच्छामण और सिद्धविनायक तीन रूप में गणेश की स्वयंभू प्रतिमा की पूजा-अर्चना की. मंदिर प्रांगण में ही त्रेता युग के समय से मौजूद लक्ष्मण बावड़ी के जीर्णोद्धार को लेकर भी सीएम ने पूजा की.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा "3000 से ज्यादा कुआं और बावड़ी को लेकर हमने पूरे प्रदेश में काम किया है. जहां से जल धारा प्रकट हुई है. बावड़ी मूल स्वरूप में आई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जल संरक्षण के आव्हान को लेकर पूरे प्रदेश में ये काम चल रहा है. आज चिंतामण गणेश मंदिर की ये बावड़ी जहां खुद लक्ष्मण ने अपने तीर बाण से जलधारा निकाली थी, ये तब का इतिहास है.

20 हजार से 25000 दर्शनार्थी रोज

मंदिर के पुजारी गणेश गुरु ने बताया कि "मंदिर आने वाले प्रत्येक दर्शनार्थी भगवान को लड्डूओं का भोग लगाते हैं. मंदिर में करीब 20 से 25 हजार दर्शनार्थी रोज दर्शन कर आते हैं. जबकि किसी खास पर्व पर यह संख्या तीन गुना ज्यादा हो जाता है.

Historical Stepwell Renovation in Ujjain
उज्जैन बावड़ी (ETV Bharat)

मंदिर का महत्व

गणेश गुरु ने बताया कि "कहा जाता है त्रेता युग में प्रभु श्री राम, लक्षण व माता सीता के वनवास के दौरान यहां जंगल हुआ करता था. उस समय तीनों ने भगवान गणेश का इस स्थान पर आव्हान किया, तो यहां भगवान तीन स्वरूप में पहुंचे. जो चिंतामण, इच्छामण व सिद्धिविनायक है. जिनका भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व माता सीता ने पूजन किया और आशीर्वाद लिया. मान्यता है तभी से स्वयं भू प्रतिमा तीनों स्वरूप में एक साथ यहां स्थापित है.

चिंतामण गणेश का आव्हान प्रभु श्रीराम , इच्छामण का लक्ष्मण जी और सिद्धविनायक का माता सीता ने आव्हान किया था. मंदिर में भक्त चिंता दूर करने, इच्छा पूरी होने और हर कार्य की सिद्धि की मनोकामनाएं लिए पहुंचते है. मंदिर में पुजारी गणेश गुरु के अनुसार भक्त भगवान के दर्शन के साथ संतान प्राप्ति, मांगलिक कार्य के लिए पहुंचते हैं."

मंदिर परिसर में है लक्ष्मण बावड़ी

मंदिर में अति प्राचीन बावड़ी आज भी है. जिसका नाम लक्ष्मण बावड़ी दिया गया है. गणेश गुरु के अनुसार वनवास के दौरान भगवान गणेश का पूजन करने व माता सीता को प्यास लगने पर आस पास जंगल में पानी नहीं होने से परेशान लक्षमण ने यहां बांण मारकर पानी निकाला था. तभी से यहां लक्ष्मण बावड़ी स्थापित है. जिसमें कभी पानी खत्म नहीं होता. मंदिर में उल्टा स्वास्तिक और धागा बांधने की परंपरा है.

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव चिंतामण गणेश मंदिर में पूजन-अर्चन कर चिंतामण गणेश मंदिर के प्रांगण में ही लक्ष्मण बावड़ी है, उसके जीर्णोद्धार के लिए पूजन अर्चन किया. मुख्यमंत्री ने कहा 3000 से ज्यादा कुएं और बावड़ी को लेकर हमने पूरे प्रदेश में काम किया है. जहां से जल धारा प्रकट हुई है. बावड़ी मूल स्वरूप में आई है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.