भोपाल( ब्रिजेंद्र पटेरिया): दूसरे फसलों में फायदा न उठा पाने वाले किसान हल्दी की खेती से मालामाल हो सकते हैं. मध्य प्रदेश में हल्दी को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करती, लेकिन इसका बाजार मूल्य जबरदस्त है. मध्य प्रदेश की मंडी में हल्दी का अधिकतम मूल्य 20 हजार 200 रुपए प्रति क्विंटल है. हालांकि इस फसल को तैयार होने में 7 माह का समय लगता है, लेकिन 9 माह बाद यह भरपूर पैसा देकर जाती है. पीली हल्दी के अलावा काली हल्दी तो 9 माह में किसानों को करोड़पति बना सकती है.
600 रुपए किलो बिकती है काली हल्दी
कृषि वैज्ञानिक एसआर जरियाल बताते हैं कि "हल्दी की खेती आमतौर पर सीजन में दो बार होती है. आमतौर पर इसकी खेती जून जुलाई के महीने में होती है, लेकिन यदि सिंचाई की व्यवस्था अच्छी है तो अप्रैल में भी इसकी रोपाई की जा सकती है. हल्दी की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन यह ध्यान रखना होता है कि बारिश के पानी में खेत में पानी जमा न होता हो.

हल्दी की खेती के लिए एक हेक्टेयर में करीबन 25 क्विंटल बीज की जरूरत होती है. हालांकि अलग-अलग वैरायटी के हिसाब से यह मात्रा अलग-अलग हो सकती है. हल्दी की फसल को तैयार होने में करीबन 230 दिन का समय लगता हैं. वे बताते हैं कि केन्द्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौध संस्थान ने हल्दी की पीतांबर वैरायटी विकसित की है. इसे तैयार होने में 5 से 6 माह का समय लगता है और एक एकड़ में इसका उत्पादन 270 क्विंटल तक का होता है."

काली हल्दी से बड़ा मुनाफा
पीली हल्दी के अलावा काली हल्दी किसानों के लिए बड़ी कमाई का जरिया हो सकता है. सागर जिले के किसान आकाश चौरसिया 2023 से काली हल्दी की खेती कर रहे हैं. उन्होंने ढाई एकड़ में काली हल्दी लगाई और इससे करीबन 65 क्विंटल हल्दी की पैदावार हुई है. हालांकि वे कहते हैं कि "काली हल्दी की फसल में कमाई ज्यादा है, लेकिन इसका बीज काफी महंगा होता है.
काली हल्दी की खेती में प्रति एकड़ करीबन ढाई लाख की लागत आती है और इससे 10 लाख तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. बाजार में गीली काली हल्दी 500 से 900 रुपए प्रति किलो कीमत पर बिक जाती है, जबकि इसका पाउडर बनाकर बेचा जाए तो बाजार मूल्य इसका 2500 रुपए किलो तक है."

नहीं लगता कोई रोग
नर्मदापुरम जिले के किसान संतोष सिंह कहते हैं कि "आमतौर पर क्षेत्र में गेहूं की फसल होती है, लेकिन प्रयोग के तौर पर 2 एकड़ क्षेत्र में हल्दी की खेती की है, उम्मीद है उत्पादन अच्छा होगा. हल्दी की फसल का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें किसी तरह का रोग नहीं लगता और न ही पशुओं से फसल को नुकसान का डर होता है. हालांकि इस फसल को तैयार होने में 7 महीने लग जाते हैं और हल्दी को धोन, सुखाने और प्रोसेस करने में लेबर की जरूरत पड़ती है."
- बुरहानपुर के संदीप के लिए हल्दी बनी सोना, प्रोसेसिंग यूनिट लगा हुए मालामाल
- मूंग की खेती करने में हो गई देरी, तो न हों परेशान, इन किस्मों से बंपर होगी पैदावार
मध्य प्रदेश के दो जिले
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और शहडोल जिले में बड़ी संख्या में किसान हल्दी की खेती करते हैं. शहडोल को हल्दी की खेती के लिए एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया गया है. शहडोल की हल्दी को जीआई टैग भी मिला है. इन दोनों जिलों से मध्य प्रदेश के बाहर भी हल्दी की सप्लाई होती है. बुरहानपुर जिले में हल्दी की 32 प्रोसेस यूनिट स्थापित की जा चुकी है. यहां की हल्दी की डिमांड विदेश तक में है.