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138 वर्ष पहले डेढ़ लाख से बने राजभवन में कैबिनेट बैठक, 20 साल रही ग्रीष्मकालीन राजधानी - CABINET MEETING HELD IN RAJ BHAVAN

पचमढ़ी राजभवन में 3 जून को सीएम मोहन यादव कैबिनेट की बैठक, ग्रीष्मकालीन राजधानी में लिए जाएंगे कई फैसले.

Pachmarhi Raj Bhavan history
पचमढ़ी राजभवन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : June 2, 2025 at 11:51 AM IST

Updated : June 2, 2025 at 12:15 PM IST

4 Min Read

पचमढ़ी: साल 1887 में ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित गवर्नर हाउस में मोहन सरकार की कैबिनेट बैठक 3 जून को होगी. आजादी के बाद 20 वर्षों तक मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन में पहली बार किसी सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है. 1 सदी से अधिक का इतिहास समेटे राज भवन में पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के विकास सहित अन्य बड़े फैसले मंत्रिमंडल द्वारा लिए जाएंगे.

क्या संदेश देना चाह रही सरकार?

मोहन सरकार की कैबिनेट बैठक पहले पाइन के पेड़ों के नीचे होने वाली थी. इस स्थान पर वर्ष 2022 में शिवराज सिंह सरकार की कैबिनेट बैठक भी हुई थी. इस बार भी मंत्रिमंडल की बैठक के लिए उस जगह का चयन हो गया था, लेकिन बारिश की संभावना सहित दूसरी अवस्थाओं को लेकर नया स्थान तय किया गया. राजभवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बैठक के लिए पांच दिन पहले चुना गया. यहां कैबिनेट बैठक करके सरकार कुछ मैसेज भी देना चाह रही है.

पचमढ़ी राजभवन में होगी कैबिनेट की बैठक (ETV Bharat)

लाखों की लागत से अंग्रेजों ने बनवाई थी इमारत

ब्रिटिश शासन की ओर से वर्ष 1882 में अधिकारियों के रहने के लिए इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण शुरू किया. उस समय यह बिल्डिंग सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी. यहां वर्ष 1887 में भवन का निर्माण लगभग 1 लाख 55 हजार (1,55,828) से अधिक रुपए की लागत से पूरा हुआ. धीरे-धीरे 22.84 एकड़ में भवन को विकसित किया गया. यहां वर्ष 1889 में बावर्ची खाने और बरामदे भी बनाए गए. इस भवन में रिनोवेशन कार्य वर्ष 1933-34 और 1957-58 में किए गए. रिनोवेशन का काम अभी भी होता रहता है.

राजभवन निर्माण में देसी मटेरियल का उपयोग

अंग्रेजी शासन में ही राजभवन की दीवारें चूना पत्थर सहित दूसरे देसी मटेरियल से बनाई गई थीं, जो आज भी काफी मजबूत हैं. इसमें मार्बल और ब्लू-रेड कलर का इंडियन टाइल्स का उपयोग किया गया है. मुख्य इमारत में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम है. कॉन्फ्रेंस रूम से सटा हुआ एक डायनिंग हॉल भी है. डायनिंग हॉल के दोनों तरफ अतिथियों के लिए गेस्ट रूम बने हैं. मुख्य इमारत से अलग एक और बड़ी इमारत है, जो मीटिंग हॉल कहलाती है. इसी मीटिंग हॉल में पुराना पियानो है, जो अभी भी बजाया जाता है. भवन के पिछले हिस्से में एक बड़ी घुड़साल और हाथी रखने का भवन भी है. इसमें राज्यपाल निवास के अलावा उनके सेक्रेटरी, एडीसी और स्टाफ के आवास भी हैं.

20 सालों तक ग्रीष्मकालीन राजधानी रही

इतिहासकार डॉक्टर हंसा व्यास ने कहा, "बहुत ही कम लोगों को पता है कि मध्य प्रदेश की भोपाल के साथ पचमढ़ी भी ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी. आजादी के बाद करीब 20 वर्षों तक पचमढ़ी ग्रीष्मकालीन राजधानी रही. आजादी से पहले ब्रिटिश शासकों ने पचमढ़ी की ठंडक और यहां के वातावरण को देखकर इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. यहां गवर्नरों के लिए राज भवन का निर्माण इसी दौरान किया गया था."

गोविंद नारायण सिंह किए थे बड़े बदलाव

उन्होंने आगे कहा, "आजादी के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बनाया गया. लेकिन, तब गर्मियों के दौरान प्रदेश की राजधानी पचमढ़ी रहती थी. इसलिए राजधानी भोपाल और पचमढ़ी दोनों जगह राज भवन बनाया गया. इसके अलावा मुख्यमंत्री निवास और मंत्रियों तथा अफसरों के लिए ढेर सारे बंगले भी बनाए गए थे. स्वर्गीय गोविंद नारायण सिंह की सरकार ने गर्मियों में राजधानी पचमढ़ी शिफ्ट करने की प्रथा समाप्त कर दी. इस प्रकार साल 1967 के बाद फिर कभी राजधानी को पचमढ़ी नहीं ले जाया गया. लेकिन राजभवन आज भी मौजूद है. राजभवन में अभी भी प्रदेश सहित देश के दूसरे प्रदेशों के राज्यपाल आकर रुकते हैं."

राजभवन में तीन गेटों से एंट्री

राजभवन के बारे में पहले पचमढ़ी के लोगों को भी ज्यादा जानकारी नहीं थी. लेकिन मध्य प्रदेश के राज्यपाल बनने के बाद पहली बार पचमढ़ी आईं गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने आम लोगों के आने के रास्ते खोल दिए. पचमढ़ी के राज भवन में प्रवेश के लिए तीन गेट हैं. उन्हें हमेशा बंद रखा जाता था. कोई इसकी फोटो भी नहीं ले सकता था. लेकिन, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसे पर्यटक और आम लोगों के लिए खोलने के निर्देश दिए.

पचमढ़ी: साल 1887 में ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित गवर्नर हाउस में मोहन सरकार की कैबिनेट बैठक 3 जून को होगी. आजादी के बाद 20 वर्षों तक मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन में पहली बार किसी सरकार की कैबिनेट बैठक होने जा रही है. 1 सदी से अधिक का इतिहास समेटे राज भवन में पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र के विकास सहित अन्य बड़े फैसले मंत्रिमंडल द्वारा लिए जाएंगे.

क्या संदेश देना चाह रही सरकार?

मोहन सरकार की कैबिनेट बैठक पहले पाइन के पेड़ों के नीचे होने वाली थी. इस स्थान पर वर्ष 2022 में शिवराज सिंह सरकार की कैबिनेट बैठक भी हुई थी. इस बार भी मंत्रिमंडल की बैठक के लिए उस जगह का चयन हो गया था, लेकिन बारिश की संभावना सहित दूसरी अवस्थाओं को लेकर नया स्थान तय किया गया. राजभवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बैठक के लिए पांच दिन पहले चुना गया. यहां कैबिनेट बैठक करके सरकार कुछ मैसेज भी देना चाह रही है.

पचमढ़ी राजभवन में होगी कैबिनेट की बैठक (ETV Bharat)

लाखों की लागत से अंग्रेजों ने बनवाई थी इमारत

ब्रिटिश शासन की ओर से वर्ष 1882 में अधिकारियों के रहने के लिए इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण शुरू किया. उस समय यह बिल्डिंग सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार स्टेट के अधीन थी. यहां वर्ष 1887 में भवन का निर्माण लगभग 1 लाख 55 हजार (1,55,828) से अधिक रुपए की लागत से पूरा हुआ. धीरे-धीरे 22.84 एकड़ में भवन को विकसित किया गया. यहां वर्ष 1889 में बावर्ची खाने और बरामदे भी बनाए गए. इस भवन में रिनोवेशन कार्य वर्ष 1933-34 और 1957-58 में किए गए. रिनोवेशन का काम अभी भी होता रहता है.

राजभवन निर्माण में देसी मटेरियल का उपयोग

अंग्रेजी शासन में ही राजभवन की दीवारें चूना पत्थर सहित दूसरे देसी मटेरियल से बनाई गई थीं, जो आज भी काफी मजबूत हैं. इसमें मार्बल और ब्लू-रेड कलर का इंडियन टाइल्स का उपयोग किया गया है. मुख्य इमारत में एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम है. कॉन्फ्रेंस रूम से सटा हुआ एक डायनिंग हॉल भी है. डायनिंग हॉल के दोनों तरफ अतिथियों के लिए गेस्ट रूम बने हैं. मुख्य इमारत से अलग एक और बड़ी इमारत है, जो मीटिंग हॉल कहलाती है. इसी मीटिंग हॉल में पुराना पियानो है, जो अभी भी बजाया जाता है. भवन के पिछले हिस्से में एक बड़ी घुड़साल और हाथी रखने का भवन भी है. इसमें राज्यपाल निवास के अलावा उनके सेक्रेटरी, एडीसी और स्टाफ के आवास भी हैं.

20 सालों तक ग्रीष्मकालीन राजधानी रही

इतिहासकार डॉक्टर हंसा व्यास ने कहा, "बहुत ही कम लोगों को पता है कि मध्य प्रदेश की भोपाल के साथ पचमढ़ी भी ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी. आजादी के बाद करीब 20 वर्षों तक पचमढ़ी ग्रीष्मकालीन राजधानी रही. आजादी से पहले ब्रिटिश शासकों ने पचमढ़ी की ठंडक और यहां के वातावरण को देखकर इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. यहां गवर्नरों के लिए राज भवन का निर्माण इसी दौरान किया गया था."

गोविंद नारायण सिंह किए थे बड़े बदलाव

उन्होंने आगे कहा, "आजादी के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को बनाया गया. लेकिन, तब गर्मियों के दौरान प्रदेश की राजधानी पचमढ़ी रहती थी. इसलिए राजधानी भोपाल और पचमढ़ी दोनों जगह राज भवन बनाया गया. इसके अलावा मुख्यमंत्री निवास और मंत्रियों तथा अफसरों के लिए ढेर सारे बंगले भी बनाए गए थे. स्वर्गीय गोविंद नारायण सिंह की सरकार ने गर्मियों में राजधानी पचमढ़ी शिफ्ट करने की प्रथा समाप्त कर दी. इस प्रकार साल 1967 के बाद फिर कभी राजधानी को पचमढ़ी नहीं ले जाया गया. लेकिन राजभवन आज भी मौजूद है. राजभवन में अभी भी प्रदेश सहित देश के दूसरे प्रदेशों के राज्यपाल आकर रुकते हैं."

राजभवन में तीन गेटों से एंट्री

राजभवन के बारे में पहले पचमढ़ी के लोगों को भी ज्यादा जानकारी नहीं थी. लेकिन मध्य प्रदेश के राज्यपाल बनने के बाद पहली बार पचमढ़ी आईं गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने आम लोगों के आने के रास्ते खोल दिए. पचमढ़ी के राज भवन में प्रवेश के लिए तीन गेट हैं. उन्हें हमेशा बंद रखा जाता था. कोई इसकी फोटो भी नहीं ले सकता था. लेकिन, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इसे पर्यटक और आम लोगों के लिए खोलने के निर्देश दिए.

Last Updated : June 2, 2025 at 12:15 PM IST
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