मेरठ: जिले के बुढ़ाना गेट में स्थित सिद्धपीठ हनुमान मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. अंग्रेजी हुकूमत में इस धर्म स्थल पर बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा करता था. वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा और पंजाब से भी हनुमान जयंती पर लोग पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. इस मंदिर का प्रसाद लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
मंदिर समिति से जुड़े सदस्य गौरव पाठक ने बताया हनुमान जी की जो प्रतिमा मंदिर में विराजमान है, वह कभी जमीन से 15 फीट ऊंची थी. समय के बाद बड़े बदलाव यहां हुए हैं. मंदिर 150 सौ वर्ष पहले बना था. तब यहां अखाड़ा भी हुआ करता था. इसमें पहलवानी सीखने दूर से पहलवान आते थे. एक वक्त था, जब यहां सराय थी, जिसमें लोग एक जगह से दूसरी जगह जाया करते थे. मंदिर प्रांगण में बने कुंए की प्याऊ थी. उस वक्त आसपास में दूर-दूर तक हनुमान जी का कोई मंदिर नहीं था.
अनिल पाठक ने बताया कि कई पीढ़ियों से उनका परिवार यहां सेवा कर रहा है. दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है. यहां अखंड ज्योति जल रही है. हनुमान जी को चोला चढ़ाने की यहां परंपरा है. मंदिर की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है,कि यहां हर दिन भक्तों का आना जाना लगा रहता है. वहीं विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को तो घंटों भक्तों को अपनी बारी का इंतजार करना होता है. हनुमान जन्मोत्सव पर तो लंबी-लंबी कतारों में भक्त अपनी बारी का इंतजार करते हैं.
मंदिर समिति की तरफ से भक्तों के लिए विशेष प्रसाद की व्यवस्था की जाती है. यहां के बारे में प्रचलित है, कि जो भी इस धर्म स्थल में हनुमान जी की शरण में आते हैं, प्रभु उनकी हर मुराद पूरी करते हैं. दो दिन तक चलने वाले जन्मोत्सव कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी यूपी के हरियाणा और पंजाब से भी भक्त यहां दर्शन करने और प्रसाद चखने आते हैं. मंदिर समिति से जुड़े लोगों का दावा है, कि जो प्रसाद यहां बनता है, उसे हनुमान जी की तरफ से उपहार स्वरूप भक्त ग्रहण करते हैं. भक्तों के लिए रोजाना मंदिर के कपाट खुले रहते हैं.