जयपुर: प्रदेश में भले ही चुनाव नहीं हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के नेताओं में सियासी बयानबाजी तेज है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने प्रदेश की भजन लाल सरकार पर सवाल उठाए तो पलटवार में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल उतर आए. पटेल ने डोटासरा के बयान की निंदा करते हुए इसे कांग्रेस की हताशा, निराशा और अंतर्कलह बताया.
पटेल ने कहा कि डोटासरा को अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में जिस तरह साइडलाइन किया गया, उससे उनकी मनोदशा समझी जा सकती है. वे पार्टी में सचिन पायलट के बढ़ते कद से परेशान हैं. इसलिए डोटासरा अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए बिना किसी आधार के गलत बयानबाजी कर रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में समान विकास कार्यों को पूर्ण करने का प्रयास किया है.
मुख्यमंत्री ने तो डोटासरा से बजट पूर्व यहां तक कह दिया था कि यदि कोई विधायक अपने क्षेत्र में विकास करवाने की बात मुझ तक पहुंचाना चाहता है तो वह आपके मार्फत भी पहुंचा सकता है. सीएम प्रदेश के विकास के लिए सदैव तत्पर हैं और विकास कार्यों को बिना किसी भेद भाव के प्राथमिकता दी. ऐसे में विशेषाधिकार का हनन का सवाल ही नहीं होता.
मंत्री पटेल ने कहा कि डोटासरा ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का नाम लेकर अनर्गल आरोप लगाए हैं. ये आरोप पूर्ण रूप से मिथ्या व गलत है. पंचायतों का पुनर्गठन प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था है. पंचायतों का पुनर्गठन पंचायतीराज अधिनियम और नगर पालिका का पुनर्गठन नगरपालिका अधिनियम के अनुसार किया जाता है. ये पूर्णरूप से प्रशासनिक ईकाई है, जिसमें विधायकों, जनप्रतिनिधियों का मात्र सुझाव देने तक का रोल हो सकता है.
निर्णय कानून के अनुसार पूर्ण पारदर्शिता से ये ईकाई करती है. इस ईकाई के फैसले के बाद भी आपत्तियों को सुनवाई का अधिकार जिला एवं प्रदेश समिति के समक्ष किया जाता है. ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा का बयान गलत और गैर जिम्मेदाराना है. यह बयान कांग्रेस के अंतर्कलह को स्पष्ट कर रहा है.
तथ्यों से परे जाकर गैरजिम्मेदाराना बयान: पटेल ने 1975 के दौरान के ऐसे ही एक प्रकरण का उदाहरण देते हुए बताया कि तब विधानसभा में ऐसा ही प्रकरण आया था. तत्कालीन पंचायतीराज मंत्री ने कहा था कि हम पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन कार्यकाल बढ़ाया गया. उस वक्त भी प्रो केदार और एक और विधायक ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस वक्त भी यह स्पष्ट हो गया था कि यह विशेषाधिकार के क्षेत्र में नहीं आता.
डोटासरा ने तथ्यों से परे जाकर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया और ऐसे में उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस केवल और केवल राजनीतिक माहौल ख़राब करने में लगी हुई है, जबकि मुख्यमंत्री शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान की मज़बूत सरकार विकसित राजस्थान की दिशा में आगे बढ़ रही है.