ETV Bharat / state

संस्कृति बचानी है तो मांदर-नगाड़ा की थाप पर नृत्य करें, सरना कोड के लिए जारी रहेगा संघर्ष: चमरा लिंडा - SARHUL 2025

रांची में सरहुल पूजा महोत्सव में मंत्री चमरा लिंडा ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने आदिवासी संस्कृति को बचाने पर जोर दिया.

Sarhul Puja Festival In Ranchi
मंत्री चमरा लिंडा का पारंपरिक तरीके से स्वागत करतीं महिलाएं. (फोटो-ईटीवी भारत)
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 2, 2025 at 8:56 PM IST

2 Min Read

रांचीः फूलखोंसी के साथ तीन दिवसीय प्रकृति पर्व सरहुल का समापन हो गया. इस क्रम में बुधवार को कांके स्थित मायापुर सरना स्थल में आदिवासी 22 पड़ाहा सरना समिति, ओरमांझी कांके की ओर से 29वां सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें अनुचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री चमरा लिंडा ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संरक्षित करने की बात कही.

आदिवासी संस्कृति को बचाना जरूरी

मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना जरूरी है. सरहुल महोत्सव में पारंपरिक मांदर और नगाड़े की धुनों पर नृत्य करना चाहिए, न कि आधुनिक डीजे और फिल्मी गीतों के माध्यम से. उन्होंने कहा, "हमारा मंत्रालय आदिवासी कल्याण के लिए कार्य कर रहा है और हम आदिवासी समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

सरना कोड के लिए आंदोलन जारी रहेगा

सरना धर्म को मान्यता दिलाने के संघर्ष पर जोर देते हुए मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि जब तक हम संघर्ष करते रहेंगे, तब तक हम अपनी संस्कृति को बचाए रख पाएंगे. अगर केंद्र सरकार सरना कोड नहीं देती है, तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे. जरूरी हुआ तो संपूर्ण राज्य को बंद करने के लिए भी तैयार रहेंगे. उन्होंने समाज के सभी लोगों से एकजुट होकर इस आंदोलन को समर्थन देने की अपील की और कहा कि "संघर्ष ही जीवन है". हमें साथ मिलकर लड़ना होगा और अपने अधिकार प्राप्त करने होंगे.

आदिवासी समाज के विकास की योजनाएं

आदिवासी और ओबीसी समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल, ट्यूशन सेंटर, कॉलेज और अस्पताल खोले जाएंगे. हरिजन समुदाय के लिए भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा. छोटानागपुर क्षेत्र में सभी सरना स्थलों की बाउंड्री निर्माण के लिए सरकार कार्य करेगी. मंत्री चमरा लिंडा ने बताया कि आदिवासी समाज की पारंपरिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपये के मांदर-नगाड़े वितरित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व की मूल आत्मा को जीवंत बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें-

रांची में सरहुल की धूम, मांदर की थाप पर जमकर झूमे लोग

धनबाद पुलिस लाइन में सरहुल महोत्सव, मांदर की थाप पर झूमीं डीसी

झारखंड में धूमधाम से मना प्रकृति पर्व सरहुल, निकाली गई शोभायात्रा, सरना धर्म कोड की उठी मांग

रांचीः फूलखोंसी के साथ तीन दिवसीय प्रकृति पर्व सरहुल का समापन हो गया. इस क्रम में बुधवार को कांके स्थित मायापुर सरना स्थल में आदिवासी 22 पड़ाहा सरना समिति, ओरमांझी कांके की ओर से 29वां सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया. इसमें अनुचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री चमरा लिंडा ने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संरक्षित करने की बात कही.

आदिवासी संस्कृति को बचाना जरूरी

मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना जरूरी है. सरहुल महोत्सव में पारंपरिक मांदर और नगाड़े की धुनों पर नृत्य करना चाहिए, न कि आधुनिक डीजे और फिल्मी गीतों के माध्यम से. उन्होंने कहा, "हमारा मंत्रालय आदिवासी कल्याण के लिए कार्य कर रहा है और हम आदिवासी समाज को शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

सरना कोड के लिए आंदोलन जारी रहेगा

सरना धर्म को मान्यता दिलाने के संघर्ष पर जोर देते हुए मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि जब तक हम संघर्ष करते रहेंगे, तब तक हम अपनी संस्कृति को बचाए रख पाएंगे. अगर केंद्र सरकार सरना कोड नहीं देती है, तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे. जरूरी हुआ तो संपूर्ण राज्य को बंद करने के लिए भी तैयार रहेंगे. उन्होंने समाज के सभी लोगों से एकजुट होकर इस आंदोलन को समर्थन देने की अपील की और कहा कि "संघर्ष ही जीवन है". हमें साथ मिलकर लड़ना होगा और अपने अधिकार प्राप्त करने होंगे.

आदिवासी समाज के विकास की योजनाएं

आदिवासी और ओबीसी समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल, ट्यूशन सेंटर, कॉलेज और अस्पताल खोले जाएंगे. हरिजन समुदाय के लिए भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा. छोटानागपुर क्षेत्र में सभी सरना स्थलों की बाउंड्री निर्माण के लिए सरकार कार्य करेगी. मंत्री चमरा लिंडा ने बताया कि आदिवासी समाज की पारंपरिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपये के मांदर-नगाड़े वितरित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व की मूल आत्मा को जीवंत बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें-

रांची में सरहुल की धूम, मांदर की थाप पर जमकर झूमे लोग

धनबाद पुलिस लाइन में सरहुल महोत्सव, मांदर की थाप पर झूमीं डीसी

झारखंड में धूमधाम से मना प्रकृति पर्व सरहुल, निकाली गई शोभायात्रा, सरना धर्म कोड की उठी मांग

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.