नई दिल्ली: यमुना नदी की सफाई एक बड़ा मुद्दा बन गया है, गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उनके निवास पर बैठक हुई. जिसमें यमुना नदी की वर्तमान स्थिति का आकलन करने और इसकी सफाई और कायाकल्प के लिए चल रही और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा हुई.
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अन्य अधिकारी शामिल हुए. बैठक में नदी को साफ करने के लिए अलग-अलग एजेंसियों के कार्य योजना की समीक्षा की गई.
अलग-अलग समयसीमा के लिए योजनाः यमुना सफाई से संबंधित कार्ययोजना में अल्पकालिक गतिविधियां (3 महीने), मध्यम अवधि की गतिविधियां (3 महीने से 1.5 वर्ष) और दीर्घकालिक गतिविधियां (1.5 से 3 वर्ष) शामिल थीं.
ड्रेन मैनेजमेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, सीवेज मैनेजमेंट, सेप्टेज और डेयरी वेस्ट मैनेजमेंट, इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट, अपशिष्ट जल उपचार बुनियादी ढांचे की कमी की पहचान और निगरानी उपाय, यमुना नदी में प्रवाह में सुधार, बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा, हरित नदी तट विकास और सार्वजनिक आउटरीच के लिए की जाने वाली कार्रवाई पर समय सीमा के साथ चर्चा की गई.
दिल्ली में पीने के पानी की बर्बादी रोकने पर विशेष चर्चा: नदी की सफाई के लिए एजेंसीवार कार्ययोजना की समीक्षा की गई. इस बैठक में दिल्ली में पीने के लिए पानी की आपूर्ति में बर्बादी कम करने के लिए दिल्ली की पेयजल प्रणाली को दुरुस्त करने पर जोर दिया गया.
यह भी निर्णय लिया गया कि दिल्ली समग्र जल प्रबंधन के लिए एक शहरी नदी प्रबंधन योजना तैयार करेगी तथा इसे शहर के मास्टर प्लान के साथ इसे जोड़ेगी. बैठक के दौरान, नदी के समग्र स्वरूप पर चर्चा की गई, जिसमें नदी के हरियाणा खंड, नदी के दिल्ली खंड के साथ-साथ प्रयागराज में संगम तक दिल्ली के निचले हिस्से में की जाने वाली कार्रवाई शामिल थी.
जनभागीदारी को बढ़ाने की अपील: संबंधित राज्यों ने नदी में गिरने में नालों के पानी को रोकने में क्या इंतजाम किए, वर्तमान स्थिति और यमुना नदी की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले शासन संबंधी मुद्दों पर प्रधानमंत्री को जानकारी दी गई. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार छठ पूजा का त्योहार मनाते समय दिल्ली के लोगों के अनुभव में सुधार होना चाहिए. नदी के प्रति सम्मान पैदा करने और नदी को यमुना नदी के किनारे बसे शहरों में रहने वाले नागरिकों और युवाओं के जीवन का हिस्सा बनाने के लिए लोगों के बीच नदी संपर्क बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया. इसमें नदी के पुनरुद्धार और नदी के आसपास सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए जन भागीदारी आंदोलन शामिल होना चाहिए.
बैठक में नालों के प्रवाह और सीवेज प्लांट से गंदगी रोकने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेने के आदेश दिए गए. वहीं दिल्ली से गुजरने वाली यमुना के अलावा, ब्रज के आसपास के सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया जा सकता है, ताकि ब्रज यात्रा नदी जन आंदोलन का हिस्सा बन सके.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अनुसार प्रधानमंत्री ने सलाह दी कि नालों में प्रवाह को मापने के साथ-साथ सीवेज उपचार संयंत्रों के कामकाज की निगरानी के लिए सूक्ष्म स्तर के वास्तविक समय के डेटा को इकट्ठा करने के लिए सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीक का उपयोग किया जाना चाहिए. प्रदूषण निवारण बुनियादी ढांचे की आगे की योजना और कार्यान्वयन इस डेटा पर आधारित होना चाहिए. डेटा का उपयोग शासन में सुधार के लिए भी किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मौजूदा बुनियादी ढांचा प्रभावी रूप से काम कर रहा है. उन्होंने यह भी सलाह दी कि इस उद्देश्य के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- CM रेखा गुप्ता बोलीं- दिल्ली की यमुना को बनाएंगे स्वच्छ, जनता से किया हर एक वादा को करेंगे पूरा
ये भी पढ़ें- दिल्ली में यमुना नदी की निगरानी के लिए तैनात होगी टेरिटोरियल आर्मी, जानिए क्या है सरकार का मकसद ?
ये भी पढ़ें- दिल्ली में यमुना नदी की सेहत अब भी नाजुक, हल्का सुधार लेकिन प्रदूषण बरकरार