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विस्थापन को लेकर एनटीपीसी जिला प्रशासन और रैयतों के बीच बैठक, सांसद ने उठाए सवाल - NTPC MEETING HELD IN HAZARIBAG

हजारीबाग में विस्थापित रैयतों को मुआवजा देने को लेकर एनटीपीसी ने जिला मुख्यालय में बैठक की. बैठक में एनटीपीसी पर सांसद ने सवाल उठाए.

NTPC MEETING HELD IN HAZARIBAG
बैठक में मौजूद सांसद, डीसी, पूर्व विधायक व अन्य (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 12, 2025 at 8:52 PM IST

3 Min Read

हजारीबाग: जिले के बड़कागांव प्रखंड इन दिनों विस्थापन को लेकर पूरे राज्य भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. विस्थापन के समस्या को लेकर एनटीपीसी कोल खनन परियोजना के विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर हजारीबाग समाहरणालय में उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. बैठक का आयोजन मुख्यमंत्री के निर्देश पर किया गया.

बैठक में विस्थापन, पुनर्वास, मुआवजा, प्रदूषण, रोजगार, सड़क, ब्लास्टिंग के समय स्थानीय लोगों की समस्या, सड़क दुर्घटना में उचित मुआवजा नहीं मिलना, धार्मिक स्थल का पुनर्स्थापना, समेत कई मुद्दे पर चर्चा किया गया. विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आयुक्त ने 3 से 4 समितियों के गठित करने पर बल दिया. निर्धारित कमेटी हर एक महीने में संबंधित समस्याओं का सर्वे करके उचित समाधान प्रस्तुत करेगी. जिसके उपरांत इन समस्याओं का निराकरण किया जाएगा.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)



उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त पवन कुमार ने कहा समाज की प्रगति, आर्थिक समृद्धि और लोगों की भलाई के लिए विकास एक महत्वपूर्ण है. लेकिन यह भी अत्यंत आवश्यक है कि जिनकी जमीन पर विकास हो रहा है, उन स्थानीय निवासियों और प्रभावित लोगों की समस्याओं और चिंताओं को नजरअंदाज न किया जाए. उनके समस्याओं का समाधान करते हुए विकास की ओर कदम बढ़ाया जाए. इसके साथ ही उन्हें उचित मुआवजा, रोजगार के अवसर और संभावित भूमि पुनर्वास जैसे विकल्प प्रदान किए जाएं.

बैठक में शामिल हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि कई ऐसे नियम हैं, जो एनटीपीसी के तर्कसंगत नहीं हैं. पहले विस्थापितों को बसाने का काम करना चाहिए. उसके बाद विस्थापित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2016 में कोई अगर जमीन का अधिग्रहण करता है और 2021 में उसे मुआवजा 2016 के अनुसार देता है तो यह भी गलत है.

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र सोनी इस पूरे बैठक को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. पूर्व मंत्री ने कहा कि सिर्फ कमेटी बनती है, लेकिन विस्थापितों को लाभ नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि अगर समस्या का समाधान करना है तो एक्सपर्ट को बुलाकर हर बिंदुओं पर चर्चा करने की आवश्यकता है. पूर्व मंत्री ने कहा कि वह इस बैठक से संतुष्ट नहीं है.

बैठक में शामिल रैयतों ने कहा कि एनटीपीसी के दबाव में बैठक का आयोजन किया गया था. जिसका उद्देश्य विस्थापित के समस्या को समाधान करना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रैयतों ने कहा कि बैठक में सिर्फ एनटीपीसी और प्रशासन अपनी बात कह कर समस्या का समाधान करने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि कमेटी का गठन होता है, तब तक एनटीपीसी का काम ही बंद होना चाहिए. एक तरफ कमेटी अपना विचार देगी और दूसरे तरफ काम होते रहेगा. ऐसे में विस्थापितों को क्या न्याय मिलेगा.

बैठक में हजारीबाग जिला प्रशासन के साथ-साथ एनटीपीसी पदाधिकारी, हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल, बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, बड़कागांव से पूर्व विधायक अंबा प्रसाद और विस्थापित परिवारों के सदस्य शामिल हुए थे.

ये भी पढ़ें- बोकारो में विस्थापितों पर की गई बर्बर कार्रवाई के लिए केंद्रीय गृह मंत्री और उद्योग मंत्री मांगें माफी- केशव महतो कमलेश

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हजारीबाग: जिले के बड़कागांव प्रखंड इन दिनों विस्थापन को लेकर पूरे राज्य भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. विस्थापन के समस्या को लेकर एनटीपीसी कोल खनन परियोजना के विस्थापितों की समस्याओं के समाधान को लेकर हजारीबाग समाहरणालय में उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. बैठक का आयोजन मुख्यमंत्री के निर्देश पर किया गया.

बैठक में विस्थापन, पुनर्वास, मुआवजा, प्रदूषण, रोजगार, सड़क, ब्लास्टिंग के समय स्थानीय लोगों की समस्या, सड़क दुर्घटना में उचित मुआवजा नहीं मिलना, धार्मिक स्थल का पुनर्स्थापना, समेत कई मुद्दे पर चर्चा किया गया. विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए आयुक्त ने 3 से 4 समितियों के गठित करने पर बल दिया. निर्धारित कमेटी हर एक महीने में संबंधित समस्याओं का सर्वे करके उचित समाधान प्रस्तुत करेगी. जिसके उपरांत इन समस्याओं का निराकरण किया जाएगा.

संवाददाता गौरव प्रकाश की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)



उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त पवन कुमार ने कहा समाज की प्रगति, आर्थिक समृद्धि और लोगों की भलाई के लिए विकास एक महत्वपूर्ण है. लेकिन यह भी अत्यंत आवश्यक है कि जिनकी जमीन पर विकास हो रहा है, उन स्थानीय निवासियों और प्रभावित लोगों की समस्याओं और चिंताओं को नजरअंदाज न किया जाए. उनके समस्याओं का समाधान करते हुए विकास की ओर कदम बढ़ाया जाए. इसके साथ ही उन्हें उचित मुआवजा, रोजगार के अवसर और संभावित भूमि पुनर्वास जैसे विकल्प प्रदान किए जाएं.

बैठक में शामिल हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि कई ऐसे नियम हैं, जो एनटीपीसी के तर्कसंगत नहीं हैं. पहले विस्थापितों को बसाने का काम करना चाहिए. उसके बाद विस्थापित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2016 में कोई अगर जमीन का अधिग्रहण करता है और 2021 में उसे मुआवजा 2016 के अनुसार देता है तो यह भी गलत है.

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र सोनी इस पूरे बैठक को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. पूर्व मंत्री ने कहा कि सिर्फ कमेटी बनती है, लेकिन विस्थापितों को लाभ नहीं मिलता है. उन्होंने कहा कि अगर समस्या का समाधान करना है तो एक्सपर्ट को बुलाकर हर बिंदुओं पर चर्चा करने की आवश्यकता है. पूर्व मंत्री ने कहा कि वह इस बैठक से संतुष्ट नहीं है.

बैठक में शामिल रैयतों ने कहा कि एनटीपीसी के दबाव में बैठक का आयोजन किया गया था. जिसका उद्देश्य विस्थापित के समस्या को समाधान करना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. रैयतों ने कहा कि बैठक में सिर्फ एनटीपीसी और प्रशासन अपनी बात कह कर समस्या का समाधान करने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि कमेटी का गठन होता है, तब तक एनटीपीसी का काम ही बंद होना चाहिए. एक तरफ कमेटी अपना विचार देगी और दूसरे तरफ काम होते रहेगा. ऐसे में विस्थापितों को क्या न्याय मिलेगा.

बैठक में हजारीबाग जिला प्रशासन के साथ-साथ एनटीपीसी पदाधिकारी, हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल, बड़कागांव विधायक रोशन लाल चौधरी, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, बड़कागांव से पूर्व विधायक अंबा प्रसाद और विस्थापित परिवारों के सदस्य शामिल हुए थे.

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