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वफादारी हो तो ऐसी; डॉगी ने अपनी जान देकर मालिक के बेटे को बचाया, सांप ने 18 बार डसा फिर भी हार नहीं मानी - MEERUT DOG FAITHFUL STORY

डॉगी मिनी के जाने के बाद परिवार वालों ने विधि-विधान से किया अंतिम संस्कार, अब वैसी ही दूसरी डॉगी घर लाए, नाम रखा मिनी.

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एक वफादार डॉगी की कहानी. (Photo Credit; Vansh Family)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : June 7, 2025 at 2:14 PM IST

Updated : June 7, 2025 at 2:44 PM IST

3 Min Read

मेरठ: कुत्तों के बारे में कहा जाता है कि ये बेहद ही वफादार होते हैं. खासतौर पर जब इन्हें कोई प्रेम और आश्रय दे तो फिर उसके लिए जान तक भी दे देते हैं. ऐसा ही वफादारी का एक मामला मेरठ में आया है. जहां एक पालतू फीमेल डॉगी ने अपनी जान देकर अपने मालिक के इकलौते बेटे को बचाया. आईए जानते हैं इस फीमेल डॉगी मिनी के संघर्ष की कहानी.

मेरठ के दौराला क्षेत्र के रामपुरी गांव में अजय कुमार उर्फ कल्लू का परिवार रहता है. वे खेती किसानी करते हैं. उन्हें कुत्तों से भी प्यार है. इसीलिए उन्होंने अपने घर में एक फीमेल डॉगी (अमेरिकन बुली नस्ल की डॉग) को पाल रखा था. जिसका नाम उन्होंने मिनी रखा हुआ था.

बीते दिनों रात में जब पूरा परिवार सो रहा था, उसी समय एक सांप उनके इकलौता बेटे 20-22 साल के वंश की चारपाई की ओर बढ़ रहा था. सांप रसेल वाइपर प्रजाति का था, जो काफी जहरीला माना जाता है. जब सांप वंश की चरपाई की ओर बढ़ रहा था तभी डॉगी मिनी की नजर उस पर पड़ गई.

मिनी सांप के सामने आ गई और उससे भिड़ गई. सांप लगातार मिनी पर एक के बाद एक अपने फन से उसे डसता रहा. लेकिन, मिनी ने हार नहीं मानी और सांप से टक्कर लेती रही. अपने दांतों में सांप को दबाकर संघर्ष करती रही. सांप ने मिनी को करीब 18 बार डसा. मिनी भौंकती भी रही.

मिनी के भौंकने की आवाज से घर के लोग भी जाग गए. सामने देखा तो मिनी और सांप एक दूसरे से लिपटे थे. सांप मिनी के पैर को जबड़े में जकड़े हुए था.
वंश ने परिवार वालों की मदद से सांप को एक लोहे की रॉड से मिनी से अलग किया. फिर सांप को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया गया.

इस बीच मिनी को परिवार के लोग मोदीपुरम स्थित एक डॉग क्लिनिक पर ले गए, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. जिसके बाद डॉक्टर्स ने मिनी को गाजियाबाद ले जाने की सलाह दी. परिवार मिनी को लेकर गाजियाबाद चला गया. लेकिन, वहां के डॉक्टर भी मिनी को बचा नहीं पाए.

वंश ने बताया कि उन्हें मिनी के जाने का बहुत गम है और उस पर गर्व भी है कि वह एक बहादुर की तरह लड़ी. वह पूरे परिवार के लिए घर के एक सदस्य की तरह थी, उसने अपनी वफादारी का सबूत दिया है. उसने न सिर्फ उसकी जान बचाई बल्कि साबित कर दिया कि सही मायने में डॉगी वफादार होते हैं.

वंश ने बताया कि उसका हम लोगों ने विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया. सभी को उसकी कमी खल रही थी, इसलिए एक नन्हा मेहमान घर में लाए हैं. उसका नाम भी मिनी रखा है. वंश के पिता का कहना है कि मिनी 5 साल उनके बीच रही. उसने जो अपनी वफादारी का परिचय उसे कभी नहीं भूलाया जा सकता.

ये भी पढ़ेंः मेरठ में डॉगी का आलीशान बर्थडे; 500 गेस्ट को परोसे 30 लजीज व्यंजन, रिटर्न गिफ्ट भी दिए

मेरठ: कुत्तों के बारे में कहा जाता है कि ये बेहद ही वफादार होते हैं. खासतौर पर जब इन्हें कोई प्रेम और आश्रय दे तो फिर उसके लिए जान तक भी दे देते हैं. ऐसा ही वफादारी का एक मामला मेरठ में आया है. जहां एक पालतू फीमेल डॉगी ने अपनी जान देकर अपने मालिक के इकलौते बेटे को बचाया. आईए जानते हैं इस फीमेल डॉगी मिनी के संघर्ष की कहानी.

मेरठ के दौराला क्षेत्र के रामपुरी गांव में अजय कुमार उर्फ कल्लू का परिवार रहता है. वे खेती किसानी करते हैं. उन्हें कुत्तों से भी प्यार है. इसीलिए उन्होंने अपने घर में एक फीमेल डॉगी (अमेरिकन बुली नस्ल की डॉग) को पाल रखा था. जिसका नाम उन्होंने मिनी रखा हुआ था.

बीते दिनों रात में जब पूरा परिवार सो रहा था, उसी समय एक सांप उनके इकलौता बेटे 20-22 साल के वंश की चारपाई की ओर बढ़ रहा था. सांप रसेल वाइपर प्रजाति का था, जो काफी जहरीला माना जाता है. जब सांप वंश की चरपाई की ओर बढ़ रहा था तभी डॉगी मिनी की नजर उस पर पड़ गई.

मिनी सांप के सामने आ गई और उससे भिड़ गई. सांप लगातार मिनी पर एक के बाद एक अपने फन से उसे डसता रहा. लेकिन, मिनी ने हार नहीं मानी और सांप से टक्कर लेती रही. अपने दांतों में सांप को दबाकर संघर्ष करती रही. सांप ने मिनी को करीब 18 बार डसा. मिनी भौंकती भी रही.

मिनी के भौंकने की आवाज से घर के लोग भी जाग गए. सामने देखा तो मिनी और सांप एक दूसरे से लिपटे थे. सांप मिनी के पैर को जबड़े में जकड़े हुए था.
वंश ने परिवार वालों की मदद से सांप को एक लोहे की रॉड से मिनी से अलग किया. फिर सांप को पकड़ कर जंगल में छोड़ दिया गया.

इस बीच मिनी को परिवार के लोग मोदीपुरम स्थित एक डॉग क्लिनिक पर ले गए, लेकिन उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ. जिसके बाद डॉक्टर्स ने मिनी को गाजियाबाद ले जाने की सलाह दी. परिवार मिनी को लेकर गाजियाबाद चला गया. लेकिन, वहां के डॉक्टर भी मिनी को बचा नहीं पाए.

वंश ने बताया कि उन्हें मिनी के जाने का बहुत गम है और उस पर गर्व भी है कि वह एक बहादुर की तरह लड़ी. वह पूरे परिवार के लिए घर के एक सदस्य की तरह थी, उसने अपनी वफादारी का सबूत दिया है. उसने न सिर्फ उसकी जान बचाई बल्कि साबित कर दिया कि सही मायने में डॉगी वफादार होते हैं.

वंश ने बताया कि उसका हम लोगों ने विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया. सभी को उसकी कमी खल रही थी, इसलिए एक नन्हा मेहमान घर में लाए हैं. उसका नाम भी मिनी रखा है. वंश के पिता का कहना है कि मिनी 5 साल उनके बीच रही. उसने जो अपनी वफादारी का परिचय उसे कभी नहीं भूलाया जा सकता.

ये भी पढ़ेंः मेरठ में डॉगी का आलीशान बर्थडे; 500 गेस्ट को परोसे 30 लजीज व्यंजन, रिटर्न गिफ्ट भी दिए

Last Updated : June 7, 2025 at 2:44 PM IST
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