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मरीजों-तीमारदारों समेत डॉक्टरों को इन्फेक्शन से बचाएगा ये मेडिकल कॉलेज, जानें कैसे? - SIRMAUR MEDICAL COLLEGE

जिला सिरमौर के मेडिकल कॉलेज में इन्फेक्शन से बचने के लिए हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.

Medical College and Hospital Nahan
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 6, 2025 at 12:41 PM IST

Updated : April 6, 2025 at 12:59 PM IST

4 Min Read

सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन नाहन अब मरीजों, तीमारदारों सहित डॉक्टरों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए हर संभव इंतजाम करेगा. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इसको लेकर पूरी रणनीति तैयार कर ली है. इसके तहत इन्फेक्शन से बचाव को लेकर प्रबंधन की तरफ से कई उचित कदम उठाए जाएंगे. बता दें कि हाल ही में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन की हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिन्हें प्रबंधन की तरफ से धरातल पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

अस्पताल में इस तरह फैल रहा इन्फेक्शन

दरअसल अधिकतर इन्फेक्शन फिर चाहे वह अस्पताल हो या फिर अन्य कोई स्थान, हाथों के जरिए ही फैलता है. मरीज के तीमारदार अस्पताल आते हैं, जो अस्पताल में रैलिंग सहित परिसर में खड़े होकर दाएं-बाएं टच करते हैं, जिसके बाद वह अस्पताल के अंदर आकर या बाहर मरीज को भी टच करते हैं. इसी तरह से डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी एक मरीज के बाद दूसरे व अन्य मरीजों को टच करते हैं. इस तरह से हाथों के जरिए इंफेक्शन एक दूसरे में फैलता है.

डॉ. अजय पाठक, एसएमएस, मेडिकल कॉलेज नाहन (ETV Bharat)

"इस गंभीर समस्या को देखते हुए हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी ने फैसला लिया है कि अस्पताल में जगह-जगह हैंड हाइजीन की एसओपी को लगाया जाए. साथ ही हैंड सेनेटाइजेशन के भी पुख्ता इंतजाम किए जाए. हालांकि हैंड सेनेटाइजेशन की सुविधा अस्पताल में मौजूद है, लेकिन जहां पर उपलब्ध नहीं है, वहां भी इसका इंतजाम किया जाएगा." - डॉ. अजय पाठक, एसएमएस, मेडिकल कॉलेज नाहन

मेडिकल कॉलेज नाहन के सीनियर मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजय पाठक ने बताया कि इसके अलावा मरीजों और उनके तीमारदारों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाएगा. चूंकि हाथों की स्वच्छता से ही संक्रमण से बचाव होता है. खांसी, जुकाम, और फ्लू जैसे श्वसन संबंधी रोग आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं. लिहाजा अस्पताल में आने वाले लोगों को यह मालूम हो कि हैंड हाइजीन कितनी जरूरी है.

डॉक्टर का एप्रन पहनना होगा अनिवार्य

डॉ. अजय पाठक ने कहा कि अस्पताल में अक्सर ये भी देखने में आता है कि चेकअप के दौरान अक्सर मरीज डॉक्टर पर खांस या छींक देते हैं. कई बार ड्रेसिंग आदि करने पर पस आदि भी स्टाफ पर गिर जाती है. लिहाजा हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी ने यह भी फैसला लिया है कि डॉक्टर अस्पताल में अधिकतर स्थानों पर एप्रन पहने, जहां पर मरीजों से इंफेक्शन फैलने की अधिक संभावना रहती है, ताकि इन्फेक्शन से डॉक्टर, स्टाफ सहित उनके परिवार भी सुरक्षित रहे.

नीडल स्टिक इंजरी से बचाव को लेकर ट्रेनिंग सेशन

डॉ. पाठक ने कहा कि बैठक में यह भी तय किया गया कि नीडल स्टिक इंजरी से बचाव को लेकर भी उचित कदम उठाए जाए. इसके तहत मेडिकल स्टूडेंट्स, इंटर्न या नर्सिंग स्टूडेंट्स के लिए ट्रेनिंग सेशन भी लगाए जाएंगे, क्योंकि कई बार संबंधित स्टूडेंट्स और इंटर्न के हाथ इतने सधे हुए नहीं होते. ऐसे में ब्लड लेने या स्टीच आदि के लिए जो नीडल इस्तेमाल हो रही है, वह उनकी उंगली में चुभ जाती है. इससे इन्हें इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इससे एचआईवी और हेपेटाइटिस-बी संक्रमण फैलने की संभावना रहती है. इसी के मद्देनजर इनके ट्रेनिंग सेशन करवाने का फैसला लिया गया है.

मेडिकल वेस्ट पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता

बता दें कि किसी भी अस्पताल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट बहुत डेंजरस होता है. हालांकि मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन में नियमों के मुताबिक इसका उचित तरीके से डिस्पोजल किया जा रहा है, लेकिन इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी बैठक में फैसला लिया गया कि इस दिशा में और अधिक विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. डॉ. पाठक में कहा कि इन्फेक्शन से बचाव को लेकर हर संभव कदम उठाए जाएंगे, ताकि डॉक्टरों, स्टाफ सहित लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के इस मेडिकल कॉलेज में जल्द लागू होगी एंटीबायोटिक पॉलिसी, असरदार दवा ही लिख पाएंगे डॉक्टर

ये भी पढ़ें: PGI और IGMC की तर्ज पर अब इस मेडिकल कॉलेज में भी जारी होंगे विजिटर पास, हर 2 घंटे में होगी अस्पताल की पेट्रोलिंग

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सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर का डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन नाहन अब मरीजों, तीमारदारों सहित डॉक्टरों को इन्फेक्शन से बचाने के लिए हर संभव इंतजाम करेगा. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इसको लेकर पूरी रणनीति तैयार कर ली है. इसके तहत इन्फेक्शन से बचाव को लेकर प्रबंधन की तरफ से कई उचित कदम उठाए जाएंगे. बता दें कि हाल ही में मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन की हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिन्हें प्रबंधन की तरफ से धरातल पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

अस्पताल में इस तरह फैल रहा इन्फेक्शन

दरअसल अधिकतर इन्फेक्शन फिर चाहे वह अस्पताल हो या फिर अन्य कोई स्थान, हाथों के जरिए ही फैलता है. मरीज के तीमारदार अस्पताल आते हैं, जो अस्पताल में रैलिंग सहित परिसर में खड़े होकर दाएं-बाएं टच करते हैं, जिसके बाद वह अस्पताल के अंदर आकर या बाहर मरीज को भी टच करते हैं. इसी तरह से डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी एक मरीज के बाद दूसरे व अन्य मरीजों को टच करते हैं. इस तरह से हाथों के जरिए इंफेक्शन एक दूसरे में फैलता है.

डॉ. अजय पाठक, एसएमएस, मेडिकल कॉलेज नाहन (ETV Bharat)

"इस गंभीर समस्या को देखते हुए हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी ने फैसला लिया है कि अस्पताल में जगह-जगह हैंड हाइजीन की एसओपी को लगाया जाए. साथ ही हैंड सेनेटाइजेशन के भी पुख्ता इंतजाम किए जाए. हालांकि हैंड सेनेटाइजेशन की सुविधा अस्पताल में मौजूद है, लेकिन जहां पर उपलब्ध नहीं है, वहां भी इसका इंतजाम किया जाएगा." - डॉ. अजय पाठक, एसएमएस, मेडिकल कॉलेज नाहन

मेडिकल कॉलेज नाहन के सीनियर मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजय पाठक ने बताया कि इसके अलावा मरीजों और उनके तीमारदारों को भी इस दिशा में जागरूक किया जाएगा. चूंकि हाथों की स्वच्छता से ही संक्रमण से बचाव होता है. खांसी, जुकाम, और फ्लू जैसे श्वसन संबंधी रोग आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं. लिहाजा अस्पताल में आने वाले लोगों को यह मालूम हो कि हैंड हाइजीन कितनी जरूरी है.

डॉक्टर का एप्रन पहनना होगा अनिवार्य

डॉ. अजय पाठक ने कहा कि अस्पताल में अक्सर ये भी देखने में आता है कि चेकअप के दौरान अक्सर मरीज डॉक्टर पर खांस या छींक देते हैं. कई बार ड्रेसिंग आदि करने पर पस आदि भी स्टाफ पर गिर जाती है. लिहाजा हॉस्पिटल इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी ने यह भी फैसला लिया है कि डॉक्टर अस्पताल में अधिकतर स्थानों पर एप्रन पहने, जहां पर मरीजों से इंफेक्शन फैलने की अधिक संभावना रहती है, ताकि इन्फेक्शन से डॉक्टर, स्टाफ सहित उनके परिवार भी सुरक्षित रहे.

नीडल स्टिक इंजरी से बचाव को लेकर ट्रेनिंग सेशन

डॉ. पाठक ने कहा कि बैठक में यह भी तय किया गया कि नीडल स्टिक इंजरी से बचाव को लेकर भी उचित कदम उठाए जाए. इसके तहत मेडिकल स्टूडेंट्स, इंटर्न या नर्सिंग स्टूडेंट्स के लिए ट्रेनिंग सेशन भी लगाए जाएंगे, क्योंकि कई बार संबंधित स्टूडेंट्स और इंटर्न के हाथ इतने सधे हुए नहीं होते. ऐसे में ब्लड लेने या स्टीच आदि के लिए जो नीडल इस्तेमाल हो रही है, वह उनकी उंगली में चुभ जाती है. इससे इन्हें इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इससे एचआईवी और हेपेटाइटिस-बी संक्रमण फैलने की संभावना रहती है. इसी के मद्देनजर इनके ट्रेनिंग सेशन करवाने का फैसला लिया गया है.

मेडिकल वेस्ट पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता

बता दें कि किसी भी अस्पताल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट बहुत डेंजरस होता है. हालांकि मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नाहन में नियमों के मुताबिक इसका उचित तरीके से डिस्पोजल किया जा रहा है, लेकिन इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी बैठक में फैसला लिया गया कि इस दिशा में और अधिक विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. डॉ. पाठक में कहा कि इन्फेक्शन से बचाव को लेकर हर संभव कदम उठाए जाएंगे, ताकि डॉक्टरों, स्टाफ सहित लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके.

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Last Updated : April 6, 2025 at 12:59 PM IST
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