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चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की करें पूजा, सुख-समृद्ध का मिलेगा आशीर्वाद - CHAITRA NAVRATRI 2025

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जा रही है.

मां कात्यायनी
मां कात्यायनी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : April 2, 2025 at 11:43 PM IST

2 Min Read

शिमला: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ की जा रही है. हिंदूओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली मां कात्यायनी को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है. इस दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और हवन का आयोजन किया जा रहा है.

मां कात्यायनी की महिमा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी को ऋषि कात्यायन की पुत्री माना जाता है. वे दानवों और राक्षसों का नाश करने वाली देवी हैं. भक्तों का मानना है कि उनकी उपासना करने से व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.

मां कात्यायनी की करें ऐसे पूजा

आज के दिन भक्तगण सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पीले वस्त्र धारण करते हैं और मां कात्यायनी की प्रतिमा की पूजा करते हैं. श्रद्धालु मां कात्यायनी की शहद, फूल, नारियल और मिठाइयों का भोग अर्पित करते हैं. इस दिन के विशेष मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

"ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा"

मां कात्यायनी कवच मंत्र

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

पूजा विधि में पहले मां कात्यायनी का ध्यान किया जाता है, फिर उन्हें गंगा जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद, अक्षत, कुमकुम, पुष्प और दुर्वा अर्पित की जाती हैं. फिर मां को पंचामृत स्नान कराया जाता है. माता को शहद, दूध, दही, घी और चीनी से विशेष भोग अर्पित की जाती है. इसके बाद घी का दीप जलाकर आरती की जाती है.

मां कात्यायनी से आशीर्वाद की कामना

नवरात्रि के इस पावन पर्व पर श्रद्धालु मां कात्यायनी से सुख-समृद्धि और शांति की कामना कर रहे हैं. मां की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में शुभता और शक्ति का संचार हो, यही प्रार्थना की जा रही है.

मां कात्यायनी की आरती

जय कात्यायनी देवी, मैया जय कात्यायनी।
सत्य धर्म की ज्योति जलाओ, दूर करो अज्ञानी॥

सिंह सवारी मां भवानी, रूप है निराला।
दुष्ट दलन करती मैया, पापी जग जाला॥

वरद हस्त में शुभ कर देती, भक्तन पर माया।
ध्यान लगाने से ही मैया, भवसागर से तराया॥

नमो नमो दुर्गा भवानी, जय जय मां कात्यायनी।
सच्चे मन से जो भी ध्यावे, भवसागर से पार करावे॥

ये भी पढ़ें: नवरात्रि के 9 दिन इन रंगों के पहने कपड़े, जानें कैसे लगाएं देवी को भोग

शिमला: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ की जा रही है. हिंदूओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में पूजी जाने वाली मां कात्यायनी को शक्ति और साहस की देवी माना जाता है. इस दिन मंदिरों में विशेष अनुष्ठान और हवन का आयोजन किया जा रहा है.

मां कात्यायनी की महिमा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी को ऋषि कात्यायन की पुत्री माना जाता है. वे दानवों और राक्षसों का नाश करने वाली देवी हैं. भक्तों का मानना है कि उनकी उपासना करने से व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है.

मां कात्यायनी की करें ऐसे पूजा

आज के दिन भक्तगण सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पीले वस्त्र धारण करते हैं और मां कात्यायनी की प्रतिमा की पूजा करते हैं. श्रद्धालु मां कात्यायनी की शहद, फूल, नारियल और मिठाइयों का भोग अर्पित करते हैं. इस दिन के विशेष मंत्र का जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

"ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा"

मां कात्यायनी कवच मंत्र

कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।

ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥

कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

पूजा विधि में पहले मां कात्यायनी का ध्यान किया जाता है, फिर उन्हें गंगा जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद, अक्षत, कुमकुम, पुष्प और दुर्वा अर्पित की जाती हैं. फिर मां को पंचामृत स्नान कराया जाता है. माता को शहद, दूध, दही, घी और चीनी से विशेष भोग अर्पित की जाती है. इसके बाद घी का दीप जलाकर आरती की जाती है.

मां कात्यायनी से आशीर्वाद की कामना

नवरात्रि के इस पावन पर्व पर श्रद्धालु मां कात्यायनी से सुख-समृद्धि और शांति की कामना कर रहे हैं. मां की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में शुभता और शक्ति का संचार हो, यही प्रार्थना की जा रही है.

मां कात्यायनी की आरती

जय कात्यायनी देवी, मैया जय कात्यायनी।
सत्य धर्म की ज्योति जलाओ, दूर करो अज्ञानी॥

सिंह सवारी मां भवानी, रूप है निराला।
दुष्ट दलन करती मैया, पापी जग जाला॥

वरद हस्त में शुभ कर देती, भक्तन पर माया।
ध्यान लगाने से ही मैया, भवसागर से तराया॥

नमो नमो दुर्गा भवानी, जय जय मां कात्यायनी।
सच्चे मन से जो भी ध्यावे, भवसागर से पार करावे॥

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