रायपुर: छत्तीसगढ़ में शहीद परिवार के परिजनों ने सरकार से मांग की है. नक्सलियों के लिए सरकार नीति बना रही है. लेकिन शहीद के परिजनों के लिए उनके पास कोई नीति नहीं है. उन्हें सिर्फ माला पहनकर सरकार भूल जाती है और यही कारण है कि पिछले कई सालों से अपनी मांग को लेकर यह लगातार सरकार के चक्कर काट रहे हैं.
सरकार से परिजनों की अपील : नक्सल अभियान को लेकर के जिन लोगों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया आज उनका परिवार अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है. छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के घर वे लोग पहुंचे थे. जिनके परिजन नक्सल अभियान में अपनी जान दे चुके हैं. कोई नौकरी के लिए पहुंचा था, तो कोई पेंशन की बात कर रहा था. तो कोई समायोजन के लिए 6 साल से सरकार के दरवाजे पर दौड़ लगा रहे हैं. सुनने वाला कोई नहीं, यह वह है जो शहीद हुए लोगों के परिजन है.
माला पहनाने के अलावा कुछ नहीं : यूं तो इन्हें सरकार से काफी उम्मीद थी, लेकिन अब टूट रही है. जिन लोगों ने छत्तीसगढ़ से नक्सली बेड़ियों को तोड़ने का संकल्प लिया और अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दे दिया. आज उनके परिजन जिंदगी जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. शहीदों की परिजनों को क्या दिया जा रहा है.इसकी भी बानगी सुन लीजिए माला पहना दिया जाता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है.

'नक्सलियों के लिए नीतियां हमारे लिए क्या ?' : नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन में शहीद होने वालों की लिस्ट लंबी है. नक्सलियों की वारदात में अपने सपूत लगातार शहीद हो रहे हैं.उम्मीद इस बात की रहती है कि जिस देश के लिए जिस राज्य के लिए अपनी जान दे रहे हैं. वहां की सरकार उनके परिवार की जान की रक्षा के लिए जान लगा देगी. लेकिन आज वे जिंदगी जीने के लिए दो-चार हो रहे हैं. ऐसे परिजन अब इस बात को उठाने लगे हैं कि नक्सलियों के लिए नीतियां बनाई जा रही है,उनकी आत्मसमर्पण के लिए उनसे पूछा जा रहा है.लेकिन जो लोग शहीद हुए हैं, उनके परिजन किस हाल में है. इसे जानने वाला कोई नहीं है.
विजय शर्मा के घर पहुंचे यह शहीदों के परिजन अब इस बात को उठा रहे हैं, कि उनकी बात सुनी जाए, जरूरत इस बात का है कि दिल्ली से लेकर के पुलिस कैंप तक फोटो खिंचवाने से अलग जिन लोगों के फोटो पर माला चढ़ा है. उनके चेहरों पर कम से कम सुकून की वह खुशी जरूर हो. जो अपने के शहादत पर इतरा सके और कम से कम बता सके, बलिदान के बाद उनके जीवन में बहुत कुछ बदल गया है.लेकिन बदलने के लिए सरकार ने जो किया है, वह महज क्षतिपूर्ति है ।
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