मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : आजकल जहां शादी ब्याह में लाखों रुपए पानी के तरह बहाए जा रहे हैं.वहीं चिरमिरी क्षेत्र में सामूहिक विवाह लोगों के लिए मिसाल बना.यहां बलरामपुर, सरगुजा और जशपुर जिलों से आए तीन जोड़ों ने संत रामपाल जी के मार्गदर्शन में शादी की रस्में पूरी कीं.जिसमें ना कोई बैंड-बाजा था, ना साज-सज्जा, ना कोई रिवाज.केवल था तो बस सादगी, संस्कार और समर्पण.
सादगी से संपन्न हुआ विवाह : नगर निगम चिरमिरी के पोंडी क्षेत्र में अनोखा सामूहिक विवाह हुआ.जिसने समाज को नई दिशा की ओर सोचने पर मजबूर किया है. संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों ने विवाह समारोह में बिना किसी दिखावे, दहेज या फिजूल खर्ची के केवल 17 मिनट में तीन जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया. विवाह गुरुवाणी के पावन उच्चारण के साथ संपन्न हुआ.
शादी संपन्न होने के बाद नवविवाहिता सुचित्रा ने कहा कि आज के समय में शादियां खर्चीली हो गई हैं. बेटियों को बोझ समझा जाने लगा है. माता-पिता कर्ज लेकर शादी करते हैं.

संत रामपाल जी महाराज ने हमें सिखाया कि विवाह सादगी से भी संभव है. हमें समाज को ये संदेश देना है कि दिखावे से ऊपर उठकर विवाह एक सामाजिक कर्तव्य और धार्मिक अनुष्ठान है. माता-पिता हमें पालते हैं, पढ़ाते हैं, लाखों खर्च करते हैं. अगर हम उनके लिए बोझ न बनें और अपने विवाह को साधारण तरीके से करें, तो यही उनकी सच्ची सेवा होगी. दहेज लेना-देना समाज के लिए अभिशाप बन चुका है.इसे खत्म करना हमारी जिम्मेदारी है- सुचित्रा,नवविवाहिता

जशपुर से आई नवविवाहिता सुलेखा ने विवाह के बाद 'सुलेखा दासी' नाम धारण किया. सुलेखा के मुताबिक आजकल शादी को दिखावे और शौक का माध्यम बना दिया गया है. लोग लाखों रुपये खर्च करते हैं, पर रिश्तों में सच्चाई और समर्पण नहीं होता.हमारे गुरुजी संत रामपाल जी ने सिखाया कि विवाह एक संस्कार है, व्यापार नहीं. यह आयोजन उसी का प्रमाण है.
आज गरीब माता-पिता शादी की चिंता में मरते हैं.दहेज के लिए बेटियों को मारा जाता है. हम यह सब नहीं चाहते. हमने ठाना है कि न दहेज लेंगे, न देंगे. विवाह सरल, शुद्ध और सामाजिक रूप से सार्थक होना चाहिए- सुलेखा दासी, नवविवाहिता
बेटियां अभिशाप नहीं आशीर्वाद : विवाह आयोजन के संयोजक पंकज दास ने बताया कि चिरमिरी में संत रामपाल जी महाराज के मार्गदर्शन में दहेज मुक्त तीन विवाह संपन्न कराए गए. यह केवल शादी नहीं, समाज सुधार का आंदोलन है. समाज में बेटियों को बोझ समझा जाता है, भ्रूण हत्या होती है, परंतु संत रामपाल जी महाराज ने यह दिखाया कि बेटियां अभिशाप नहीं, आशीर्वाद हैं.
कार्यक्रम की हुई सराहना : कार्यक्रम के दौरान 20 लोगों ने रक्तदान किया और देहदान शिविर भी आयोजित किया गया. यह आयोजन समाज को नई दिशा देने के लिए किया गया था. विवाह में आए सभी परिजनों और स्थानीय लोगों ने इस सादगीपूर्ण व्यवस्था की सराहना की.उनका कहना था कि इस तरह के आयोजनों से समाज में बदलाव संभव है. अगर हर कोई अपने बच्चों की शादी ऐसे ही करे, तो ना सिर्फ अनावश्यक खर्च रुकेगा, बल्कि समाज से दहेज जैसी कुप्रथा भी समाप्त हो जाएगी.
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