सुकमा: माओवादियों का सबसे मजबूत हथियार आईईडी ( इम्प्रोवाइज एक्सप्लोजीव डिवाइस) कैसे और क्यों बस्तर के जंगल में नुकसान दायक है. इसे सुकमा जिले में 9 जून को हुए आईईडी ब्लास्ट की घटना से समझ सकते हैं. इस ब्लास्ट में कोंटा ASP शहीद हो गए. वहीं SDOP व थाना प्रभारी घायल हुए. इस घटना को अंजाम देने के लिए माओवादियों ने एक बड़ी प्लानिंग की थी.
8 जून को पोकलेन में आग लगाकर IED किया प्लांट: दरअसल 10 जून को माओवादियों ने बस्तर बंद का आव्हान किया था. बंद से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नक्सली विभिन्न क्षेत्रों में आगजनी, उत्पात जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. 8 जून की रात को माओवादियों ने कोंटा के डोंड्रा स्थित गिट्टी खदान में माइनिंग में लगे पोकलेन को आग के हवाले कर दिया. माओवादियों को इस बात की जानकारी थी कि आगजनी के बाद पुलिस मौके पर पहुंचेगी. जिसे देखते हुए जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए उन्होंने जली हुई पोकलेन के आगे और पीछे करीब 2.5 किलो के 2 आईईडी बम प्लांट किये.
9 जून को आगजनी वाली जगह पहुंचे ASP ब्लास्ट की चपेट में आए: आगजनी की खबर मिलते ही 9 जून की सुबह कोंटा एएसपी आकाश कुमार गिरिपुंजे दूसरे पुलिस अधिकारियों और जवानों के साथ मौके के लिए निकले. नेशनल हाइवे में अपनी गाड़ी खड़ी करके घटना स्थल पहुंचे. इसी दौरान पोकलेन के सामने लगी प्रेशर आईईडी बम पर ASP आकाश राव का पैर पड़ गया और एक बड़ा धमाका हुआ. इस ब्लास्ट में ASP शहीद हो गए. वहीं 2 अधिकारी घायल हैं.

ब्लास्ट वाली जगह पर मिला दूसरा IED: इस घटना के बाद घटना स्थल की छानबीन करने के लिए बीडीएस ( बम निरोधक दस्ता) की टीम मौके पर पहुंची. पोकलेन के पीछे करीब 2.5 किलो के प्रेशर आईईडी बम को बरामद किया. जिसके बाद सुरक्षित तरीके से आईईडी को मौके पर ही नष्ट कर दिया. जिसका वीडियो भी सामने आया है. नष्ट किये वीडियो को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आईईडी ब्लास्ट की घटना कितनी भयावह थी. धमाका कितना जबरदस्त हुआ था. जिसके कारण ASP शहीद हो गए. इसके साथ ही बीडीएस की टीम ने घटना स्थल व आसपास के इलाके में करीब 6 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चलाया.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में IED बड़ी चुनौती: बस्तर में पिछले 4 दशकों से काबिज माओवादियों के लिए एक घातक मजबूत हथियार के रूप में आईईडी ( इम्प्रोवाइज एक्सपोजीव डिवाइस) निकलकर सामने आया है. इस आईईडी बम से जवानों को बड़ी संख्या में माओवादियों ने नुकसान पहुंचाया है. माओवादियों के बिछाए आईईडी बम की चपेट में न केवल जवान आते हैं बल्कि स्थानीय नागरिक व मवेशी भी कई दफा इस बम का शिकार हुए हैं. जिससे उनकी मौत हुई है. बस्तर के जंगलों में जमीन के अंदर दबे आईईडी सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं.