भरतपुर: एक समय था जब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में काले हिरणों के झुंड, फिशिंग कैट की झलक और ऑटर(ऊदबिलाव) की झलक देखने को मिलती थी, लेकिन बदलते पर्यावरण, घटते जलस्रोतों और मानवीय दखल के चलते ये प्रजातियां धीरे-धीरे यहां से विलुप्त हो गईं. अब चार दशक बाद एक बार फिर प्रयास किए जा रहे हैं कि इन प्रजातियों को उनके पुराने घर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में दोबारा बसाया जाए. री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम के तहत यह महत्वाकांक्षी योजना शुरू तो हो गई, लेकिन अब तक सिर्फ काले हिरणों की सीमित शिफ्टिंग ही हो सकी है. ऊदबिलाव और कैट फिश जैसे जीवों की वापसी की योजना अभी भी ठंडे बस्ते में है. पानी की कमी, पर्यावरणीय असमानता और प्रशासनिक जटिलताएं इस मिशन के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट बनी हुई हैं.
चार दशक पहले यानी 1980 के दशक में केवलादेव उद्यान में काले हिरण, ऑटर और फिशिंग कैट की मौजूदगी हुआ करती थी. समय के साथ जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी असंतुलन और मानवीय दखल ने इन प्रजातियों को यहां से विलुप्त कर दिया. उद्यान की जैव विविधता को पुनः समृद्ध करने के उद्देश्य से री-इंट्रोडक्शन प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी, लेकिन फिलहाल यह कार्यक्रम अपनी पूरी गति नहीं पकड़ पाया है.
सिर्फ काले हिरण पहुंचे घना: इस कार्यक्रम के तहत काले हिरणों की शिफ्टिंग को प्राथमिकता दी गई. डीएफओ मानससिंह ने बताया कि अभी तक केवल तीन काले हिरणों को केवलादेव लाया गया है. वर्तमान में घना में चार काले हिरण मौजूद हैं. बरसात के मौसम में इनकी संख्या बढ़ाकर 15 तक पहुंचाने की योजना है.
ऊदबिलाव की राह में पानी सबसे बड़ी बाधा: ऊदबिलाव की शिफ्टिंग को लेकर कई चुनौतियां सामने आ रही हैं. डीएफओ मानस सिंह ने बताया कि धौलपुर के चंबल क्षेत्र में ऊदबिलाव प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, लेकिन घना में उन्हें बसाना एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी, जो वर्तमान परिस्थितियों में संभव नहीं दिख रही. ऊदबिलाव की शिफ्टिंग से पहले हमें कई पारिस्थितिक और व्यवहारिक पहलुओं पर अध्ययन करना होगा. फिलहाल घना में वर्षभर स्थायी जल स्रोत का अभाव है, जो ऊदबिलाव के जीवन के लिए अनिवार्य है.ऊदबिलाव के साथ ही कैट फिश की पुनर्स्थापना का भी विचार था, लेकिन इस दिशा में अब तक कोई औपचारिक योजना तैयार नहीं की जा सकी है.
चरणबद्ध प्रक्रिया: विशेषज्ञों का मानना है कि केवलादेव जैसे संवेदनशील और विविधतापूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र में प्रजातियों की पुनर्स्थापना एक समयसाध्य और चरणबद्ध प्रक्रिया है. जब तक बुनियादी संसाधनों जैसे जल, सुरक्षित आवास और प्राकृतिक भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं होती, तब तक ऊदबिलाव और कैट फिश की वापसी बड़ी चुनौती है. फिलहाल केवल काले हिरणों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. यह कार्यक्रम सफल होता है तो भविष्य में ऑटर और कैट फिश की वापसी की संभावना पर दोबारा विचार किया जा सकता है.