मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: छत्तीसगढ़ के भरतपुर बहुल वनांचल क्षेत्र में स्थित घघरा शिव मंदिर इतिहास और रहस्य का अनूठा संगम है. माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा है और पांडवों के वनवास के दौरान उनकी तपस्थली रहा है. यह मंदिर अपनी अनोखी निर्माण शैली, झुकी हुई संरचना और हजारों वर्षों की ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है.
कैसे पहुंचे घघरा शिव मंदिर: घघरा शिव मंदिर जनकपुर के पास स्थित घाघरा गांव में स्थित है, जो भरतपुर जिले में आता है. यह मंदिर जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर है और जनकपुर से सिर्फ 15 किलोमीटर दूर है. जनकपुर तक बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध है. सड़क मार्ग से सीधे घाघरा गांव तक पहुंचा जा सकता है.
घघरा शिव मंदिर से जुड़ी मान्यताएं: लोकमान्यता के अनुसार पांडवों ने वनवास काल के दौरान इस क्षेत्र में समय बिताया था और भगवान शिव की आराधना की थी. मंदिर से जुड़ी कथाओं के अनुसार, यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है. यहां आज भी कई रहस्यमयी घटनाएं घटती हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि घघरा मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है, जो पांडवों के काल से ही यहां स्थित है.

घघरा का शिव मंदिर जनकपुर से15 किलोमीटर दूर है. एक पत्थर पर टिका हुआ है. बताया जाता है कि मुगल काल के दौरान मूर्तियों को तोड़ दिया गया था. मंदिर को बनाने में पत्थरों को सिर्फ टिका कर रखा गया है.-रमाशंकर सिंह वैद्य, पुरातत्व विशेषज्ञ


हमारे दादा बताते थे कि पांडव कौरव के समय का मंदिर है.यहां खुदाई में कई मूर्तियां मिलती है. बताया जाता है कि बिजली गिरने से मंदिर एक तरफ झुक गया है.-रामकृपाल पांडव, स्थानीय
पुरातत्व विशेषज्ञ रमाशंकर सिंह वैद्य बताते हैं कि मंदिर में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी प्रकार के चूने, सीमेंट या मिट्टी का प्रयोग नहीं किया गया है. मंदिर केवल पत्थरों के संतुलन पर खड़ा है, जो प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करता है. विशेषज्ञ ये भी कहते हैं कि किसी भूगर्भीय हलचल या बिजली गिरने से मंदिर का झुकाव एक तरफ हो गया है लेकिन इसकी संरचना आज भी स्थिर बनी हुई है.
पांडव कालीन वनवास के दौरान घघरा शिव मंदिर स्थापित किया गया था-रामचंद्र शरण महाराज

स्थानीय बताते हैं कि मंदिर सैकड़ों वर्षों से उपेक्षित पड़ा हुआ है. शासन-प्रशासन की ओर से इस मंदिर के संरक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. इसके अलावा मंदिर के आसपास कोई सुरक्षा दीवार भी नहीं है.जिससे यह असुरक्षित बना हुआ है, साथ ही मंदिर तक पहुंचने वाला रास्ता भी खराब है. जिससे श्रद्धालुओं को यहां आने में काफी परेशानी होती है.

मंदिर को पर्यटन विभाग ध्यान नहीं देता. मंदिर की साफ सफाई की जाए. मंदिर को सुरक्षित किया जाएं.-हनुमान यादव, स्थानीय ग्रामीण

घघरा गांव के ग्रामीणों की प्रशासन से मांग
- घघरा शिव मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो, जिससे स्थानीय को मिले रोजगार
- मंदिर तक जाने के लिए सड़क का निर्माण हो
- मंदिर परिसर की सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
- मान्यताओं के अनुसार घाघरा शिव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है. पांडवों के वनवास से जुड़ी यह जगह हजारों वर्षों से श्रद्धालुओं और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.