मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर भीतर घने जंगलों के बीच मौत का सुरंग है, जहां चरमारी डांड और उसके आसपास के ग्रामीण रोज कोयले का अवैध खनन कर रहे हैं जबकि सुरंग के अंदर ऑक्सीजन का स्तर बेहद कम रहता है.
अंधेरे सुरंग में कोयले का अवैध खनन: कोयला निकालने वालों में ग्रामीणों के साथ नाबालिग भी रहते हैं. जो अपनी जान जोखिम में डालकर ये काम करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि वे कोयला निकालकर मार्केट में बेचते हैं. जिससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते हैं. इसके अलावा कई बार ठेकेदारों को भी कोयला सप्लाई करते हैं. इस बात की भी जानकारी मिली है कि पीएम आवास बनाने के लिए लगने वाली ईंट अब ग्रामीण खुद ही बना रहे हैं. जिससे ईंट को पकाने के लिए भी जो कोयला लगता है वो ग्रामीण अवैध खनन कर ही लाते हैं.
डर तो लगेगा ही मौत के मुंह में जा रहे हैं. लेकिन रोजी मजदूरी के लिए जा रहे हैं. बरसात में खदान में जाना मुश्किल होता है. इसलिए अभी कोयला लेने जाते हैं.- ग्रामीण
गांव की महिला सरपंच ने कहा कि वह हाल ही में चुनी गई हैं, उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी मिली है और अब वह इस पर गंभीरता से विचार करेंगी.
मैं खुद जाकर ग्रामीणों को समझाउंगी कि वहां ना जाएं.-सोनू, महिला सरपंच
वन विभाग ने झाड़ा पल्ला, खनिज विभाग पर ठीकरा: बिहारपुर वन परिक्षेत्र के रेंजर ने बताया कि गांव से लगा हुआ एक नाला है. उस नाले में कोयले की खुदाई होती है. साथ ही किसान की लगानी पट्टा भूमि है. जहां से ग्रामीण कोयला का अवैध खनन कर रहे हैं. रेंजर का कहना है कि वन विभाग की सीमा मुरारो से 200 मीटर की दूरी पर ये क्षेत्र स्थित है. जो वन विभाग के अंतर्गत नहीं आता, इसमें खनिज विभाग कुछ कर सकता है.

किसान की मर्जी है कि वह कोयला व्यपारी के साथ मिलजुल कर क्या करते हैं. जिसकी जमीन से खुदाई हो रही है उन्हें भी बुलाया गया और बताया गया है.--लवकुश पांडे, रेंजर, वन परिक्षेत्र बिहारपुर
वन संपदा की सुरक्षा वन विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, तो वहीं खनिज विभाग पर अवैध खनन रोकने और राजस्व कीरक्षा करने का दायित्व होता है. लेकिन हकीकत इससे बिलकुल उलट है.
