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5 साल के तेंजिन ने रिबन काटकर मनाली-लेह रोड़ खोली, BRO ने 50 फीट ऊंचे बर्फ के 'पहाड़' काटकर बहाल की सड़क - MANALI LEH HIGHWAY

देश का सबसे ऊंचा और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-03) आखिरकार वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर दिया गया है.

BRO का जज़्बा सलामत!
BRO का जज़्बा सलामत! (Border Roads Organisation)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 13, 2025 at 9:44 AM IST

4 Min Read

मनाली: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह नेशनल हाइवे करीब 5 महीने बाद फिर से खुल गया है. BRO यानी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने हर साल की तरह कड़ी मशक्कत के बाद बर्फ को चीरते हुए लगभग 431 किलोमीटर लंबे मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग अब पूरी तरह से बहाल कर दिया है. देश के सबसे ऊंचे और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-03) पर एक बार फिर वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से शुरू हो जाएगी.

5 साल के बच्चे ने काटा रिबन

सोमवार को हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के बॉर्डर पर स्थित सरचू में मनाली-लेह हाइवे की ओपनिंग सेरेमनी हुई. जहां इस बार लद्दाख के 5 वर्षयी बच्चे तेंजिन देचन ने रिबन काटकर मनाली-लेह हाइवे की बहाली की. इस मौके पर सीमा सड़क संगठन (BRO) की हिमांक और दीपक प्रोजेक्ट यूनिट की ओर से हैंडशेक सेरेमनी का आयोजन भी किया गया.

फिर शुरू हुआ मनाली-लेह हाइवे,5 साल के तेंजिन ने काटा रिबन
फिर शुरू हुआ मनाली-लेह हाइवे,5 साल के तेंजिन ने काटा रिबन (Border Roads Organisation)

मनाली-लेह हाइवे से बर्फ हटाने के काम में जुटी बीआरओ की 70 आरसीसी के कैप्टन संजय कृष्णन ने बताया कि "बीआरओ की हिमांक और दीपक यूनिट मनाली-लेह हाइवे के दोनों ओर से बर्फ हटाने का काम करते हैं. बर्फ हटने के बाद दोनों यूनिट मिलती हैं और इसे ही हैंडशेक सेरेमनी कहा जाता है. हर बार बीआरओ की ओर से इस तरह की सेरेमनी का आयोजन होता है, इस बार रिबन काटने के लिए एक पांच साल के स्थानीय बच्चे तेंजिन देचन को बुलाया गया था."

बर्फ के पहाड़ काटकर 431 किमी. का हाइवे किया बहाल

गौरतलब है कि हर साल बर्फबारी के बाद ये सड़क बंद हो जाती है. सोलंगनाला और मनाली से बर्फ हटाने का काम शुरू होता है लेकिन असली मुश्किल अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल केलांग से शुरू होती हैं. जहां बर्फ की चादर और भी मोटी हो जाती है और कई जगह इस दौरान 40 से 50 फुट तक के ऊंचे हिमखंड तक बन जाते हैं. इसी रास्ते में बीआरओ की सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. BRO को अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल केलांग से लेकर सरचू तक सड़क बहाल करने में करीब 43 दिन का समय लगा. इस दौरान करीब 50 फीट ऊंचे हिमखंड और 5 से 8 फीट मोटी बर्फ को हटाने के लिए 12 हैवी मशीनों का इस्तेमाल किया गया. BRO के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, बर्फ के नीचे दब चुकी सड़क को खोज निकालना, जिसे टीम ने बखूबी अंजाम दिया.

बर्फ की चादर हटी...फिर दौड़ी उम्मीदों की सड़क
बर्फ की चादर हटी...फिर दौड़ी उम्मीदों की सड़क (Border Roads Organisation)

हाइवे को बहाल करने के मिशन के बीच अचानक हिमपात भी बाधा बनता रहा. जिसके कारण 10 किमी. पीछे दारचा से अभियान दोबारा शुरू करना पड़ा. इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व BRO की 70 आरसीसी के कैप्टन संजय कृष्णन ने किया.

इस बार 19 दिन देरी से खुला मार्ग

हर साल नवंबर दिसंबर में बर्फबारी के बाद मनाली-लेह हाइवे पर बर्फ की मोटी चादर बिछने लगती है. इस सड़क मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी जाती है. प्रशासन की ओर से एहतियातन यह मार्ग हर साल 15 नवंबर को बंद कर दिया जाता है, हालांकि इस बार मौसम साफ रहने पर दिसंबर तक ट्रैफिक चलता रहा. वहीं पिछले साल मनाली-लेह मार्ग 23 अप्रैल को खुल गया था, लेकिन इस बार बर्फबारी में देरी के कारण रास्ता 19 दिन बाद, मई में बहाल हो पाया है.

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

कारगिल युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 1999 के युद्ध में मनाली-लेह मार्ग ने लॉजिस्टिक सप्लाई में बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्होंने इसे भारत-पाकिस्तान सीमा को जोड़ने वाला रणनीतिक जीवनरेखा बताया है.

ये भी पढ़ें: सीजरफायर के बाद HRTC ने लिया निर्णय, जालंधर, अमृतसर और कटरा के लिए फिर से बस सेवा बहाल

मनाली: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मनाली-लेह नेशनल हाइवे करीब 5 महीने बाद फिर से खुल गया है. BRO यानी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने हर साल की तरह कड़ी मशक्कत के बाद बर्फ को चीरते हुए लगभग 431 किलोमीटर लंबे मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग अब पूरी तरह से बहाल कर दिया है. देश के सबसे ऊंचे और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-03) पर एक बार फिर वाहनों की आवाजाही सुचारू रूप से शुरू हो जाएगी.

5 साल के बच्चे ने काटा रिबन

सोमवार को हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के बॉर्डर पर स्थित सरचू में मनाली-लेह हाइवे की ओपनिंग सेरेमनी हुई. जहां इस बार लद्दाख के 5 वर्षयी बच्चे तेंजिन देचन ने रिबन काटकर मनाली-लेह हाइवे की बहाली की. इस मौके पर सीमा सड़क संगठन (BRO) की हिमांक और दीपक प्रोजेक्ट यूनिट की ओर से हैंडशेक सेरेमनी का आयोजन भी किया गया.

फिर शुरू हुआ मनाली-लेह हाइवे,5 साल के तेंजिन ने काटा रिबन
फिर शुरू हुआ मनाली-लेह हाइवे,5 साल के तेंजिन ने काटा रिबन (Border Roads Organisation)

मनाली-लेह हाइवे से बर्फ हटाने के काम में जुटी बीआरओ की 70 आरसीसी के कैप्टन संजय कृष्णन ने बताया कि "बीआरओ की हिमांक और दीपक यूनिट मनाली-लेह हाइवे के दोनों ओर से बर्फ हटाने का काम करते हैं. बर्फ हटने के बाद दोनों यूनिट मिलती हैं और इसे ही हैंडशेक सेरेमनी कहा जाता है. हर बार बीआरओ की ओर से इस तरह की सेरेमनी का आयोजन होता है, इस बार रिबन काटने के लिए एक पांच साल के स्थानीय बच्चे तेंजिन देचन को बुलाया गया था."

बर्फ के पहाड़ काटकर 431 किमी. का हाइवे किया बहाल

गौरतलब है कि हर साल बर्फबारी के बाद ये सड़क बंद हो जाती है. सोलंगनाला और मनाली से बर्फ हटाने का काम शुरू होता है लेकिन असली मुश्किल अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल केलांग से शुरू होती हैं. जहां बर्फ की चादर और भी मोटी हो जाती है और कई जगह इस दौरान 40 से 50 फुट तक के ऊंचे हिमखंड तक बन जाते हैं. इसी रास्ते में बीआरओ की सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. BRO को अटल टनल के नॉर्थ पोर्टल केलांग से लेकर सरचू तक सड़क बहाल करने में करीब 43 दिन का समय लगा. इस दौरान करीब 50 फीट ऊंचे हिमखंड और 5 से 8 फीट मोटी बर्फ को हटाने के लिए 12 हैवी मशीनों का इस्तेमाल किया गया. BRO के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, बर्फ के नीचे दब चुकी सड़क को खोज निकालना, जिसे टीम ने बखूबी अंजाम दिया.

बर्फ की चादर हटी...फिर दौड़ी उम्मीदों की सड़क
बर्फ की चादर हटी...फिर दौड़ी उम्मीदों की सड़क (Border Roads Organisation)

हाइवे को बहाल करने के मिशन के बीच अचानक हिमपात भी बाधा बनता रहा. जिसके कारण 10 किमी. पीछे दारचा से अभियान दोबारा शुरू करना पड़ा. इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व BRO की 70 आरसीसी के कैप्टन संजय कृष्णन ने किया.

इस बार 19 दिन देरी से खुला मार्ग

हर साल नवंबर दिसंबर में बर्फबारी के बाद मनाली-लेह हाइवे पर बर्फ की मोटी चादर बिछने लगती है. इस सड़क मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी जाती है. प्रशासन की ओर से एहतियातन यह मार्ग हर साल 15 नवंबर को बंद कर दिया जाता है, हालांकि इस बार मौसम साफ रहने पर दिसंबर तक ट्रैफिक चलता रहा. वहीं पिछले साल मनाली-लेह मार्ग 23 अप्रैल को खुल गया था, लेकिन इस बार बर्फबारी में देरी के कारण रास्ता 19 दिन बाद, मई में बहाल हो पाया है.

सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण

कारगिल युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने बताया कि 1999 के युद्ध में मनाली-लेह मार्ग ने लॉजिस्टिक सप्लाई में बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्होंने इसे भारत-पाकिस्तान सीमा को जोड़ने वाला रणनीतिक जीवनरेखा बताया है.

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