ETV Bharat / state

महाकुंभ 2025; अमृत स्नान के बाद इन 9 स्थानों पर जरूर घूमें, पता चलेगा क्यों प्रयागराज को कहते हैं तीर्थराज? - MAHA KUMBH PRAYAGRAJ TOURISM

महाकुंभ में आए श्रद्धालु प्रयागराज के प्रसिद्ध, ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन स्थलों से जरूर रूबरू हों, तभी यहां की खूबसूरती का लगा सकेंगे अंदाजा.

ETV Bharat
ETV Bharat (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 22, 2025, 6:43 AM IST

Updated : Jan 25, 2025, 2:46 PM IST

प्रयागराज : 144 साल बाद लग रहे महाकुंभ में आए हैं तो त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने के बाद प्रयागराज के प्रमुख स्थानों को देखना न भूलें. क्योंकि, इन्हीं धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को देखकर ही आपको आभास होगा कि क्यों प्रयागराज को तीर्थराज कहते हैं?

बता दें कि प्रयागराज को मुख्य रूप से पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. यह शहर गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों के संगम से युक्त है. कहा जाता है कि यह शहर हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी संबंधित है, जहां भगवान राम, से लेकर महाभारत और मुगल सम्राट अकबर, बड़े बड़े राजा और नेताओं तक के सफर प्रयागराज से शुरू हुए.

इसीलिए यह पवित्र स्थानों में से एक है. तीर्थ स्थल ही नहीं बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी प्रयागराज सबसे अच्छी जगहों में से एक है. आईए आपको बताते हैं तीर्थराज प्रयागराज के प्रमुख दर्शनीय और धार्मिक स्थलों के बारे में...

बड़े हनुमान जी का मंदिर: त्रिवेणी संगम में स्थित यह मंदिर कम से कम 600-700 वर्ष पुराना माना जाता है. यहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमान जी लौट रहे थे तो रास्‍ते में उन्‍हें थकान महसूस हुई, तो सीता माता के कहने पर वे यहां संगम के तट पर लेटकर विश्राम किए. इसलिए यहां लेटे हनुमानजी का मंदिर बन गया. इन्‍हें बड़े हनुमानजी, लेटे हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी और बंधवा वाले हनुमानजी के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.

social media
बड़े हनुमान जी (लेटे हुए) का मंदिर (Photo Credit; social media)

मनकामेश्वर मंदिर: यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है. मनकामेश्वर मंदिर में मन की इच्छा को पूरा करने वाले भगवान शिव विराजमान हैं. इसलिए बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं, और इस मंदिर की खास मान्यता है कि शिव की आराधना से यहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ का वर्णन है, यह वही कामेश्वर धाम है जहां काम को भस्म करके भगवान शिव स्वयं यहां विराजमान हुए थे. इसके थोड़ा सा आगे बढे़गें तो सरस्वती घाट पड़ेगा, जहां से नदियों और ब्रिज का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है.

social media
मनकामेश्वर मंदिर (Photo Credit; social media)

खुसरो बाग: लुकरगंज में स्थित, इतिहास के पन्नों से जुड़ा खुसरो बाग इलाहाबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. अपने पिता जहांगीर के प्रति विद्रोह करने के बाद खुसरो को पहले इसी बाग में नजरबंद रखा गया था. यहां से भागने के प्रयास में खुसरो मारा गया था. खुसरो बाग में आपको मुगल वास्तुकला भी देखने को मिलेगी.

social media
खुसरो बाग (Photo Credit; social mediat)

चंद्रशेखर आजाद पार्क: 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क का निर्माण किया गया. जो शहर के सिविल लाइन्स में स्थित है. यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख स्थान रहा है. वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आजाद शहीद हुए थे. इसलिए इसे शहीद पार्क के नाम से भी जानते हैं. यहां आपको चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा, विक्टोरिया मेमोरियल, इलाहाबाद संग्रहालय, राजकीय लोक पुस्तकालय थॉर्नहिल मेन मेमोरियल भवन में स्थित है.

social media
चंद्रशेखर आजाद पार्क (Photo Credit; social media)

आनन्द भवन: आनंद भवन इलाहाबाद का एक ऐतिहासिक भवन संग्रहालय है. इसका निर्माण मोतीलाल नेहरू ने वर्ष 1930 में कराया था. पंडित नेहरू का पूरा परिवार आनंद भवन में रहता था. इसे अब एक संग्रहालय का रूप दे दिया गया है. इस संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी कई कलाकृतियां और वस्तुएं रखी गई हैं. यहां जवाहर तारामंडल, इंदिरा गांधी का विवाह स्थल, स्वतंत्रता सग्राम से जुड़ी कई तस्वीरें, यूरोपीय फर्नीचर आदि अभी तक मौजूद हैं. 1970 में, जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी ने हवेली को भारत सरकार को दान कर दिया था. तभी से इसके रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार पर है.

social media
आनन्द भवन (Photo Credit; social media)

श्री अखिलेश्वर महादेव: श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर रसूलाबाद के पास तेलियरगंज में स्थित है. गुलाबी पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित यह स्थान अद्भुत है. एक बार मंदिर में प्रवेश मात्र से ही आपको सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होगी. मंदिर के अंदर सफेद संगमरमर से बनी भगवान शिव की मूर्ति के साथ शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर के सुंदर दृश्य के अलावा, आप प्राकृतिक सुन्दरता को भी महसूस करेंगे. मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है. शाम के समय मंदिर की दीवारें लाइटों से रंग बदलती हुई प्रतीत होती हैं.

social media
श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर (Photo Credit; social media)

इलाहाबाद का किला(अकबर किला): त्रिवेणी संगम में स्थित किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने सन 1583 में कराया था. सम्राट अकबर ने अपनी बेगम जोधाबाई के लिए हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां किले में स्थापित कराई. यह किला काफी खूबसूरती के साथ ऐतिहासिक महत्व और आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए फेमस है. इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कई पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं.

social media
इलाहाबाद का किला(अकबर किला) (Photo Credit; social media)

भारद्वाज पार्क: बालसन चौराहे पर स्थित भरद्वाज पार्क का पुराणों में भी उल्लेख है. बताया गया है कि वनवास के समय चित्रकूट जाते वक्त श्री राम सीता और लक्ष्मण ने प्रयागराज में महर्षि भरद्वाज के इसी आश्रम में आशीर्वाद लिया था. उनके नाम पर ही यह पार्क स्थापित किया गया. कहा जाता है महर्षि भरद्वाज ने ही प्रयागराजनगरी को बसाया था. यहां महर्षि भारद्वाज की 30 फीट ऊंची और 12 टन वजनी प्रतिमा स्थापित है. इस पार्क में आपको मूर्तियों के साथ कई आकर्षक चीजें देखने को मिलेगीं, शाम के समय इस पार्क में आप जरूर जाएं.

social media
भारद्वाज पार्क (Photo Credit; social media)

न्यू यमुना ब्रिज: इसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नैनी ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे लंबे केबल वाले पुलों में से एक यह यमुना नदी पर उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित यह नैनी क्षेत्र को प्रयागराज से जोड़ता है. यह वर्ष 2004 में पुराने नैनी ब्रिज पर यातायात की भीड़ को कम करने के लिए बनाया गया था. शाम के समय यहां से सूरज के ढलने का नजारा और लाइटों से जगमगाते ब्रिज की खूबसूरती देखने के लिए लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है.

social media
न्यू यमुना ब्रिज (Photo Credit; social media)

यह भी पढ़ें : 144 साल पहले 1882 के महाकुंभ में पहुंचे थे 10 लाख श्रद्धालु, 500 ब्रिटिश पुलिस की मौजूदगी में अखाड़ों ने संभाली थी व्यवस्था

प्रयागराज : 144 साल बाद लग रहे महाकुंभ में आए हैं तो त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान करने के बाद प्रयागराज के प्रमुख स्थानों को देखना न भूलें. क्योंकि, इन्हीं धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को देखकर ही आपको आभास होगा कि क्यों प्रयागराज को तीर्थराज कहते हैं?

बता दें कि प्रयागराज को मुख्य रूप से पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है. यह शहर गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों के संगम से युक्त है. कहा जाता है कि यह शहर हिन्दू पौराणिक कथाओं से भी संबंधित है, जहां भगवान राम, से लेकर महाभारत और मुगल सम्राट अकबर, बड़े बड़े राजा और नेताओं तक के सफर प्रयागराज से शुरू हुए.

इसीलिए यह पवित्र स्थानों में से एक है. तीर्थ स्थल ही नहीं बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी प्रयागराज सबसे अच्छी जगहों में से एक है. आईए आपको बताते हैं तीर्थराज प्रयागराज के प्रमुख दर्शनीय और धार्मिक स्थलों के बारे में...

बड़े हनुमान जी का मंदिर: त्रिवेणी संगम में स्थित यह मंदिर कम से कम 600-700 वर्ष पुराना माना जाता है. यहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमान जी लौट रहे थे तो रास्‍ते में उन्‍हें थकान महसूस हुई, तो सीता माता के कहने पर वे यहां संगम के तट पर लेटकर विश्राम किए. इसलिए यहां लेटे हनुमानजी का मंदिर बन गया. इन्‍हें बड़े हनुमानजी, लेटे हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी और बंधवा वाले हनुमानजी के नाम से भी जाना जाता है. यहां हर समय श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है.

social media
बड़े हनुमान जी (लेटे हुए) का मंदिर (Photo Credit; social media)

मनकामेश्वर मंदिर: यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है. मनकामेश्वर मंदिर में मन की इच्छा को पूरा करने वाले भगवान शिव विराजमान हैं. इसलिए बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं, और इस मंदिर की खास मान्यता है कि शिव की आराधना से यहां श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ का वर्णन है, यह वही कामेश्वर धाम है जहां काम को भस्म करके भगवान शिव स्वयं यहां विराजमान हुए थे. इसके थोड़ा सा आगे बढे़गें तो सरस्वती घाट पड़ेगा, जहां से नदियों और ब्रिज का नजारा बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है.

social media
मनकामेश्वर मंदिर (Photo Credit; social media)

खुसरो बाग: लुकरगंज में स्थित, इतिहास के पन्नों से जुड़ा खुसरो बाग इलाहाबाद के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है. अपने पिता जहांगीर के प्रति विद्रोह करने के बाद खुसरो को पहले इसी बाग में नजरबंद रखा गया था. यहां से भागने के प्रयास में खुसरो मारा गया था. खुसरो बाग में आपको मुगल वास्तुकला भी देखने को मिलेगी.

social media
खुसरो बाग (Photo Credit; social mediat)

चंद्रशेखर आजाद पार्क: 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क का निर्माण किया गया. जो शहर के सिविल लाइन्स में स्थित है. यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख स्थान रहा है. वर्ष 1931 में इसी पार्क में क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्र शेखर आजाद शहीद हुए थे. इसलिए इसे शहीद पार्क के नाम से भी जानते हैं. यहां आपको चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा, विक्टोरिया मेमोरियल, इलाहाबाद संग्रहालय, राजकीय लोक पुस्तकालय थॉर्नहिल मेन मेमोरियल भवन में स्थित है.

social media
चंद्रशेखर आजाद पार्क (Photo Credit; social media)

आनन्द भवन: आनंद भवन इलाहाबाद का एक ऐतिहासिक भवन संग्रहालय है. इसका निर्माण मोतीलाल नेहरू ने वर्ष 1930 में कराया था. पंडित नेहरू का पूरा परिवार आनंद भवन में रहता था. इसे अब एक संग्रहालय का रूप दे दिया गया है. इस संग्रहालय में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी कई कलाकृतियां और वस्तुएं रखी गई हैं. यहां जवाहर तारामंडल, इंदिरा गांधी का विवाह स्थल, स्वतंत्रता सग्राम से जुड़ी कई तस्वीरें, यूरोपीय फर्नीचर आदि अभी तक मौजूद हैं. 1970 में, जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी ने हवेली को भारत सरकार को दान कर दिया था. तभी से इसके रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार पर है.

social media
आनन्द भवन (Photo Credit; social media)

श्री अखिलेश्वर महादेव: श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर रसूलाबाद के पास तेलियरगंज में स्थित है. गुलाबी पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित यह स्थान अद्भुत है. एक बार मंदिर में प्रवेश मात्र से ही आपको सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होगी. मंदिर के अंदर सफेद संगमरमर से बनी भगवान शिव की मूर्ति के साथ शिवलिंग स्थापित है. इस मंदिर के सुंदर दृश्य के अलावा, आप प्राकृतिक सुन्दरता को भी महसूस करेंगे. मंदिर प्रतिदिन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है. शाम के समय मंदिर की दीवारें लाइटों से रंग बदलती हुई प्रतीत होती हैं.

social media
श्री अखिलेश्वर महादेव मंदिर (Photo Credit; social media)

इलाहाबाद का किला(अकबर किला): त्रिवेणी संगम में स्थित किले का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने सन 1583 में कराया था. सम्राट अकबर ने अपनी बेगम जोधाबाई के लिए हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियां किले में स्थापित कराई. यह किला काफी खूबसूरती के साथ ऐतिहासिक महत्व और आश्चर्यजनक वास्तुकला के लिए फेमस है. इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कई पर्यटक यहां घूमने के लिए आते हैं.

social media
इलाहाबाद का किला(अकबर किला) (Photo Credit; social media)

भारद्वाज पार्क: बालसन चौराहे पर स्थित भरद्वाज पार्क का पुराणों में भी उल्लेख है. बताया गया है कि वनवास के समय चित्रकूट जाते वक्त श्री राम सीता और लक्ष्मण ने प्रयागराज में महर्षि भरद्वाज के इसी आश्रम में आशीर्वाद लिया था. उनके नाम पर ही यह पार्क स्थापित किया गया. कहा जाता है महर्षि भरद्वाज ने ही प्रयागराजनगरी को बसाया था. यहां महर्षि भारद्वाज की 30 फीट ऊंची और 12 टन वजनी प्रतिमा स्थापित है. इस पार्क में आपको मूर्तियों के साथ कई आकर्षक चीजें देखने को मिलेगीं, शाम के समय इस पार्क में आप जरूर जाएं.

social media
भारद्वाज पार्क (Photo Credit; social media)

न्यू यमुना ब्रिज: इसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नैनी ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, भारत के सबसे लंबे केबल वाले पुलों में से एक यह यमुना नदी पर उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थित यह नैनी क्षेत्र को प्रयागराज से जोड़ता है. यह वर्ष 2004 में पुराने नैनी ब्रिज पर यातायात की भीड़ को कम करने के लिए बनाया गया था. शाम के समय यहां से सूरज के ढलने का नजारा और लाइटों से जगमगाते ब्रिज की खूबसूरती देखने के लिए लोगों की भीड़ इकठ्ठा होती है.

social media
न्यू यमुना ब्रिज (Photo Credit; social media)

यह भी पढ़ें : 144 साल पहले 1882 के महाकुंभ में पहुंचे थे 10 लाख श्रद्धालु, 500 ब्रिटिश पुलिस की मौजूदगी में अखाड़ों ने संभाली थी व्यवस्था

Last Updated : Jan 25, 2025, 2:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.