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विंध्यवासिनी मां की निकली भव्य चुनरी यात्रा, मां गंगा ने बरसाई भक्तों पर कृपा - GRAND CHUNRI YATRA IN NAVRATRI

चैत्र नवरात्रि में अलग-अलग जगहों पर माता की चुनरी यात्रा निकाली गई.

GRAND CHUNRI YATRA
विंध्यवासिनी मां की निकली भव्य चुनरी यात्रा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 3, 2025 at 1:13 PM IST

Updated : April 6, 2025 at 10:47 AM IST

4 Min Read

धमतरी : चैत्र नवरात्र पर्व को लेकर देश भर के देवी मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है.इस दौरान कई जगहों पर चुनरी यात्रा निकाली गई. धमतरी में देर शाम विंध्यवासिनी माता की चुनरी, पालकी और शोभायात्रा निकाली गई. इस भव्य शोभायात्रा को देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़े. इस साल खास तौर पर बाहर से कलाकार भी बुलाए गए.जिन्होंने अपनी कला से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

चैत्र नवरात्रि में चुनरी यात्रा : इसके अलावा धूमाल बैंड, माता का रथ और पालकी यात्रा इस बार विशेष तौर पर सजाई गई. माता के लिए चुनरी के लिए रथ को लाइट और फूलों से सजाया गया था. रोड शो में माता के जसगीतों ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. माता की चुनरी यात्रा शहर के हृदय स्थल घड़ी चौक से गोलबाजार, चमेली चौक, सदर बाजार, रामबाग होते हुए विंध्यवासिनी मंदिर पहुंचकर पूरी हुई. जहां पर देवी भक्तों ने माता को चुनरी और भोग अर्पित किया.

विंध्यवासिनी मां की निकली भव्य चुनरी यात्रा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आपको बता दें कि नवरात्र में नौ दिन माता दुर्गा के आराधना का विशेष पर्व होता है. इस नवरात्र में लोग अपनी मनोकामना को लेकर देवी मंदिरों में सुबह-शाम दर्शन करने पहुंचते हैं. धमतरी के माता विंध्यवासिनी मंदिर में इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है. सुबह शाम मां की आरती में लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं. धमतरी की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी बिलाई माता की कृपा हर भक्तों पर बरसती है.

बालोद में मां गंगा की आराधना : बालोद जिले के ग्राम झलमला के विख्यात मां गंगा मैया मंदिर में नवरात्रि के पर्व की धूम देखने को मिल रही है. ऐसे में यहां ग्राम झलमला के निवासियों ने भव्य चुनरी यात्रा निकाली. इस चुनरी यात्रा में डीजे और धूमाल बैंड की धुनों पर भक्त झूमते हुए दिखे. पूरे गांव में भ्रमण करने के बाद चुनरी मां गंगा मैया को समर्पित की गई. आयोजक समिति के सदस्य आदित्य दुबे ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्र को चुनर यात्रा निकाली जाती है. पहले युवाओं ने इसकी शुरुआत की थी फिर हर वर्ग का समर्थन मिला.

मां गंगा ने बरसाई भक्तों पर कृपा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आज पूरे गांव ने मिलकर इंडिया चुनरी यात्रा निकाली है. चुनरी यात्रा की भव्यता देखते ही बन रही है. मां गंगा मैया हमारे गांव में निवास करती है इसके लिए हम सब अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. इस चुनरी यात्रा में हम सभी ग्राम वासियों का प्रेम और आस्था जुड़ा हुआ है. पर्व के दौरान 500 मीटर चुनरी यात्रा निकाली गई- आदित्य दुबे, आयोजक


मां गंगा को लेकर कई किवदंतियां : मां गंगा मैया की कहानी अंग्रेज शासनकाल से जुड़ी हुई है. आज से तकरीबन 110 साल पहले जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी के नहर का निर्माण चल रहा था. इस दौरान झलमला गांव की आबादी महज 100 थी. सोमवार के दिन ही यहां बाजार लगता था.जहां दूरस्थ अंचलों से पशुओं के विशाल समूह के साथ सैकड़ों लोग आया करते थे. पशुओं की अधिकता से पानी की कमी महसूस की जाती थी. पानी की कमी को पूरा करने के लिए तालाब बनाने डबरी की खुदाई की गई. जिसे बांधा तालाब नाम दिया गया. मां गंगा मैया की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है.

जिस जगह पर वर्तमान में देवी की प्रतिमा स्थापित है, वहां पहले तालाब था, जहां पानी भरा रहता था. कहते हैं कि किवंदती अनुसार एक दिन ग्राम सिवनी का एक केवट मछली पकड़ने के लिए बांधा तालाब में गया.तब जाल में मछली की जगह पत्थर की प्रतिमा फंस गई. केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ फिर से तालाब में फेंक दिया. लेकिन गांव में गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर माता ने कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं. मुझे जल से निकालकर प्राण प्रतिष्ठा कराओ. स्वप्न आने की जानकारी बैगा ने मालगुजार एवं गांव के अन्य लोगों को दी. इसके बाद फिर से जाल फेंकने पर वही प्रतिमा फंसी.इस बार ग्रामीणों ने प्रतिमा को निकालकर उसकी स्थापना कर दी.तब से इस जगह पर मंदिर बना है.

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चैत्र नवरात्रि में चुनरी यात्रा : इसके अलावा धूमाल बैंड, माता का रथ और पालकी यात्रा इस बार विशेष तौर पर सजाई गई. माता के लिए चुनरी के लिए रथ को लाइट और फूलों से सजाया गया था. रोड शो में माता के जसगीतों ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया. माता की चुनरी यात्रा शहर के हृदय स्थल घड़ी चौक से गोलबाजार, चमेली चौक, सदर बाजार, रामबाग होते हुए विंध्यवासिनी मंदिर पहुंचकर पूरी हुई. जहां पर देवी भक्तों ने माता को चुनरी और भोग अर्पित किया.

विंध्यवासिनी मां की निकली भव्य चुनरी यात्रा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आपको बता दें कि नवरात्र में नौ दिन माता दुर्गा के आराधना का विशेष पर्व होता है. इस नवरात्र में लोग अपनी मनोकामना को लेकर देवी मंदिरों में सुबह-शाम दर्शन करने पहुंचते हैं. धमतरी के माता विंध्यवासिनी मंदिर में इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है. सुबह शाम मां की आरती में लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं. धमतरी की आराध्य देवी मां विंध्यवासिनी बिलाई माता की कृपा हर भक्तों पर बरसती है.

बालोद में मां गंगा की आराधना : बालोद जिले के ग्राम झलमला के विख्यात मां गंगा मैया मंदिर में नवरात्रि के पर्व की धूम देखने को मिल रही है. ऐसे में यहां ग्राम झलमला के निवासियों ने भव्य चुनरी यात्रा निकाली. इस चुनरी यात्रा में डीजे और धूमाल बैंड की धुनों पर भक्त झूमते हुए दिखे. पूरे गांव में भ्रमण करने के बाद चुनरी मां गंगा मैया को समर्पित की गई. आयोजक समिति के सदस्य आदित्य दुबे ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्र को चुनर यात्रा निकाली जाती है. पहले युवाओं ने इसकी शुरुआत की थी फिर हर वर्ग का समर्थन मिला.

मां गंगा ने बरसाई भक्तों पर कृपा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

आज पूरे गांव ने मिलकर इंडिया चुनरी यात्रा निकाली है. चुनरी यात्रा की भव्यता देखते ही बन रही है. मां गंगा मैया हमारे गांव में निवास करती है इसके लिए हम सब अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं. इस चुनरी यात्रा में हम सभी ग्राम वासियों का प्रेम और आस्था जुड़ा हुआ है. पर्व के दौरान 500 मीटर चुनरी यात्रा निकाली गई- आदित्य दुबे, आयोजक


मां गंगा को लेकर कई किवदंतियां : मां गंगा मैया की कहानी अंग्रेज शासनकाल से जुड़ी हुई है. आज से तकरीबन 110 साल पहले जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी के नहर का निर्माण चल रहा था. इस दौरान झलमला गांव की आबादी महज 100 थी. सोमवार के दिन ही यहां बाजार लगता था.जहां दूरस्थ अंचलों से पशुओं के विशाल समूह के साथ सैकड़ों लोग आया करते थे. पशुओं की अधिकता से पानी की कमी महसूस की जाती थी. पानी की कमी को पूरा करने के लिए तालाब बनाने डबरी की खुदाई की गई. जिसे बांधा तालाब नाम दिया गया. मां गंगा मैया की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है.

जिस जगह पर वर्तमान में देवी की प्रतिमा स्थापित है, वहां पहले तालाब था, जहां पानी भरा रहता था. कहते हैं कि किवंदती अनुसार एक दिन ग्राम सिवनी का एक केवट मछली पकड़ने के लिए बांधा तालाब में गया.तब जाल में मछली की जगह पत्थर की प्रतिमा फंस गई. केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ फिर से तालाब में फेंक दिया. लेकिन गांव में गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर माता ने कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं. मुझे जल से निकालकर प्राण प्रतिष्ठा कराओ. स्वप्न आने की जानकारी बैगा ने मालगुजार एवं गांव के अन्य लोगों को दी. इसके बाद फिर से जाल फेंकने पर वही प्रतिमा फंसी.इस बार ग्रामीणों ने प्रतिमा को निकालकर उसकी स्थापना कर दी.तब से इस जगह पर मंदिर बना है.

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Last Updated : April 6, 2025 at 10:47 AM IST
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