जांजगीर चांपा: चैत्र नवरात्र शुरू होते ही देवी मंदिरों में आस्था के दीप जल उठे हैं. बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूर जांजगीर चांपा जिले के खोखरा गांव स्थित मनका दाई मंदिर में भी चैत्र नवरात्र प भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. इस बार नवरात्र पर लगभग 4 हजार मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई है. कहा जाता है मां मनका दाई भकतों के मन की बात जान लेती है इसलिए उनका नाम मनका दाई पड़ा.
मनका दाई मंदिर में नवरात्रि: पौराणिक मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं, मां उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं. वैसे तो साल भर यहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते है लेकिन नवरात्रि पर दूर दूर से भक्त मां के दर्शन करने मंदिर आते हैं.
25 सालों से शहडोल जिले से आकर मां मनका दाई की सेवा कर रहा हूं. आज तक जो भी मांगा वो पूरा हुआ.- कृष्णा प्रजापति, श्रद्धालु
जैजैपुर से पहली बार मां के दर्शन करने आई हूं. उनका बुलावा था तो आ गई. ऐसा लग रहा है मां, हमारे मन की बात सुन रही है. सृष्टि सोनी, श्रद्धालु
मां मनका दाई मंदिर की मान्यता: खोखरा गांव में विराजी मां मनकादाई मंदिर पब्लिक ट्रस्ट के सदस्य टीकम थवाइत ने मनका दाई की स्थापना के बारे में बताया. मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में जब गांव में अकाल पड़ा और लोग पानी के लिए तरसने लगे. तभी उन्हें गांव की एक भैंस के सींग में कीचड़ देखने को मिला. जिसे देखकर ग्रामीणों को पानी मिलने की आस जगी. दूसरे दिन लोग भैंस के पीछे जंगल में पहुंचे. वहां पानी से भरा एक तालाब मिला. जिसके बारे में गांव वालों को पता ही नहीं था.

उसी दिन गांव के प्रमुख के सपने में मां आई और उन्होंने बताया कि तालाब की मिट्टी से एक मूर्ति बना कर उसकी पूजा मनका दाई के रूप में करें. जिसके बाद ग्रामीणों ने पूजा शुरू की. समय बीतता गया. किसी वजह से मिट्टी की मूर्ति खंडित हो गई. जिसके बाद मां फिर से सपने में आई और कोलकाता से मूर्ति लाने का आदेश दिया. गांव के लोगों माता की मूर्ति लेने कोलकाता पहुंचे और वहां से संगमरमर की सौम्य रूप की मूर्ति लेकर गांव पहुंचे. तब से मां के उसी रूप की पूजा गांव में हो रही है.
माता रानी गांव खोखरा में आदिकाल से विराजमान है. जहां आज माता रानी विराजमान है.नवरात्रि के पहले दिन गांव की सैकड़ों से कन्याएं कलश यात्रा में भाग लेकर गांव में भ्रमण करती हैं,जिसके बाद घट स्थापना और पूजा अर्चना कर नवरात्रि की शुरुआत की जाती हैं, इस मंदिर में दूर दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए नौ दिनों तक भंडारे की भी व्यवस्था की जाती हैं- टीकम थवाइत, सदस्य, मनका दाई पब्लिक ट्रस्ट खोखरा
कुल देवी मां मनकादाई की नौ दिनों तक पूजा में नवरात्रि के पहले दिन से लेकर नौ दिनों तक मालगुजार तिवारी परिवार के एक सदस्य को जजमान के रूप में बिठाया जाता हैं. मालगुजार तिवारी परिवार के सदस्य और ट्रस्ट के संतोष कुमार तिवारी बताते हैं कि कई पीढ़ी से उनके परिवार का जुड़ाव मां मनका देवी से है. पहले यह मंदिर जीर्णशीर्ण में पड़ा हुआ था. जिसे ट्रस्ट बनाकर मंदिर को सुंदर कलाकृति देकर तैयार किया गया हैं.

माता जी से जुड़ाव हमारा कई पीढ़ी से है.मां मनकादाई का पवित्र स्थल पुराने जमाने में साधु संतों का गढ़ माना जाता था. इस पवित्र स्थल पर बिहार, उत्तरप्रदेश जैसे अन्य प्रांतों से हजारों की संख्या में साधु संत आते थे और तपस्या करते थे. संतोष कुमार तिवारी
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में दूर दूर से भक्त मनका देवी मंदिर पहुंचते हैं. सप्तमी और अष्टमी के दिन भक्त लोट मारते हुए अपनी मनोकामना लेकर मां के दरबार पहुंचते हैं. मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है.