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यूपी में देश का पहला अंतरदेशीय जलमार्ग; गाजीपुर, बलिया और वाराणसी में गंगा नदी पर बनेगा लिफ्टिंग ब्रिज - WATER TRANSPORT IN UTTAR PRADESH

देश का पहला राष्ट्रीय अंतरदेशीय जलमार्ग (नेशनल वॉटरवे-1) यूपी को मिला. पहला चरण प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर को हल्दिया पोर्ट पश्चिम बंगाल से जोड़ता

यूपी में जल परिवहन.
यूपी में जल परिवहन. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 16, 2025 at 8:32 AM IST

3 Min Read

लखनऊ : केंद्र सरकार की सहायता से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जल परिवहन को और विस्तार देगी. हिमालय और पहाड़ों से निकलने वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी सदानीरा (जिनमें साल भर पानी रहता है) नदियों के कारण उत्तर प्रदेश में जल परिवहन की काफी संभावना है. जल परिवहन के लिए सबसे अनुकूल गंगा का सर्वाधिक बहाव क्षेत्र (बिजनौर से बलिया तक) है. लैंड लॉक्ड प्रदेश होने के कारण यूपी को किसी समुद्री बंदरगाह तक आसानी से पहुंच के लिए परिवहन के इस परंपरागत साधन की सर्वाधिक जरूरत भी है. यही वजह है कि देश का पहला अंतरदेशीय जलमार्ग (राष्ट्रीय जलमार्ग 1) का क्रेडिट भी उत्तर प्रदेश को ही मिला. यह जानकारी फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने साझा की है.

करीब 1100 किमी लंबा है राष्ट्रीय जलमार्ग-1: उत्तर प्रदेश सरकार मीडिया सेल की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक प्रथम चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर होते हुए पश्चिमी बंगाल के हल्दिया पोर्ट से जोड़ता है. इसकी कुल लंबाई करीब 1100 किलोमीटर है. इसके लिए वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल, रामनगर, गाजीपुर एवं प्रयागराज फ्लोटिंग टर्मिनल भी संचालित हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने गाजीपुर, बलिया और वाराणसी में गंगा नदी पर लिफ्टिंग ब्रिज भी बनाने की घोषणा की है. भारी माल वाहक जहाजों के गुजरने के दौरान ऐसे ब्रिज ऊपर उठ जाते हैं और जहाज के गुजरने के बाद वह नीचे आकर पहले जैसे ही जुड़ जाते हैं. इससे परिवहन में कोई बाधा नहीं आती. अंतरदेशीय जलमार्ग का विस्तार होगा उसी क्रम में लिफ्टिंग ब्रिज की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.

अन्य नदियों पर भी लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की योजनाः इसके अगले चरण में सरकार की योजना यमुना, गोमती, सरयू, बेतवा, वरुणा और राप्ती पर भी लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की है. योगी सरकार पहले ही इन नदियों को जल परिवहन से जोड़ने के घोषणा कर चुकी है. साथ ही मंदाकिनी, केन और कर्मनाशा आदि नदियों में भी केंद्र की मदद से जल परिवहन की संभावनाएं तलाश रही है. लिफ्टिंग ब्रिज का रखरखाव केंद्र सरकार दो साल तक अपने पास रखेगी. इसके बाद इसे राज्य सरकार को सौंप देगी. इसके अगले चरण में राष्ट्रीय जल मार्ग एक को कानपुर से फर्रुखाबाद तक विस्तारित किया जाना है.

सस्ता है जल परिवहन: जलमार्ग परिवहन के परंपरागत साधनों रेल, सड़क और हवाई यातायात की तुलना में बहुत सस्ता है. हाल ही में लखनऊ में फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इसमें संस्था के प्रदेश अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने कहा था कि जल परिवहन ट्रांसपोर्ट के परंपरागत साधनों की तुलना में लगभग 90 फीसदी सस्ता है. जल परिवहन के अन्य लाभ हैं. दुर्घटना की संभावना न के बराबर होने के कारण यह सड़क परिवहन की तुलना में जान माल की सुरक्षा के लिहाज से बहुत सुरक्षित है. इसके बढ़ते प्रचलन के कारण सड़कों को खासकर माल लाने ले जाने वाले भारी वाहनों से कुछ हद तक छुटकारा मिलेगा. इससे बाकी लोगों को सहूलियत होगी. ईंधन की कम खपत के कारण जल परिवहन अपेक्षाकृत पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार है. नया सेक्टर होने के कारण स्थानीय स्तर पर रोजी रोजगार के मौके बनेंगे.

लखनऊ : केंद्र सरकार की सहायता से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जल परिवहन को और विस्तार देगी. हिमालय और पहाड़ों से निकलने वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी सदानीरा (जिनमें साल भर पानी रहता है) नदियों के कारण उत्तर प्रदेश में जल परिवहन की काफी संभावना है. जल परिवहन के लिए सबसे अनुकूल गंगा का सर्वाधिक बहाव क्षेत्र (बिजनौर से बलिया तक) है. लैंड लॉक्ड प्रदेश होने के कारण यूपी को किसी समुद्री बंदरगाह तक आसानी से पहुंच के लिए परिवहन के इस परंपरागत साधन की सर्वाधिक जरूरत भी है. यही वजह है कि देश का पहला अंतरदेशीय जलमार्ग (राष्ट्रीय जलमार्ग 1) का क्रेडिट भी उत्तर प्रदेश को ही मिला. यह जानकारी फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने साझा की है.

करीब 1100 किमी लंबा है राष्ट्रीय जलमार्ग-1: उत्तर प्रदेश सरकार मीडिया सेल की तरफ से जारी जानकारी के मुताबिक प्रथम चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर होते हुए पश्चिमी बंगाल के हल्दिया पोर्ट से जोड़ता है. इसकी कुल लंबाई करीब 1100 किलोमीटर है. इसके लिए वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल, रामनगर, गाजीपुर एवं प्रयागराज फ्लोटिंग टर्मिनल भी संचालित हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने गाजीपुर, बलिया और वाराणसी में गंगा नदी पर लिफ्टिंग ब्रिज भी बनाने की घोषणा की है. भारी माल वाहक जहाजों के गुजरने के दौरान ऐसे ब्रिज ऊपर उठ जाते हैं और जहाज के गुजरने के बाद वह नीचे आकर पहले जैसे ही जुड़ जाते हैं. इससे परिवहन में कोई बाधा नहीं आती. अंतरदेशीय जलमार्ग का विस्तार होगा उसी क्रम में लिफ्टिंग ब्रिज की संख्या भी बढ़ाई जाएगी.

अन्य नदियों पर भी लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की योजनाः इसके अगले चरण में सरकार की योजना यमुना, गोमती, सरयू, बेतवा, वरुणा और राप्ती पर भी लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की है. योगी सरकार पहले ही इन नदियों को जल परिवहन से जोड़ने के घोषणा कर चुकी है. साथ ही मंदाकिनी, केन और कर्मनाशा आदि नदियों में भी केंद्र की मदद से जल परिवहन की संभावनाएं तलाश रही है. लिफ्टिंग ब्रिज का रखरखाव केंद्र सरकार दो साल तक अपने पास रखेगी. इसके बाद इसे राज्य सरकार को सौंप देगी. इसके अगले चरण में राष्ट्रीय जल मार्ग एक को कानपुर से फर्रुखाबाद तक विस्तारित किया जाना है.

सस्ता है जल परिवहन: जलमार्ग परिवहन के परंपरागत साधनों रेल, सड़क और हवाई यातायात की तुलना में बहुत सस्ता है. हाल ही में लखनऊ में फिक्की (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इसमें संस्था के प्रदेश अध्यक्ष मनोज गुप्ता ने कहा था कि जल परिवहन ट्रांसपोर्ट के परंपरागत साधनों की तुलना में लगभग 90 फीसदी सस्ता है. जल परिवहन के अन्य लाभ हैं. दुर्घटना की संभावना न के बराबर होने के कारण यह सड़क परिवहन की तुलना में जान माल की सुरक्षा के लिहाज से बहुत सुरक्षित है. इसके बढ़ते प्रचलन के कारण सड़कों को खासकर माल लाने ले जाने वाले भारी वाहनों से कुछ हद तक छुटकारा मिलेगा. इससे बाकी लोगों को सहूलियत होगी. ईंधन की कम खपत के कारण जल परिवहन अपेक्षाकृत पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार है. नया सेक्टर होने के कारण स्थानीय स्तर पर रोजी रोजगार के मौके बनेंगे.

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