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बड़े हादसों को दावत दे रहीं लखनऊ की जर्जर कोठियां; नगर निगम का सर्वे हुआ, अब LDA की कार्रवाई का इंतजार - LUCKNOW NEWS

लखनऊ के भीड़भाड़ वाले इलाकों में जर्जर इमारतें खतरा हैं. बारिश के दिनों में यह हादसे का कारण बन सकती हैं.

लखनऊ की जर्जर कोठियां बनीं खतरा.
लखनऊ की जर्जर कोठियां बनीं खतरा. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : June 6, 2025 at 1:59 PM IST

3 Min Read

लखनऊ: बारिश का मौसम दस्तक देने वाला है. साथ ही राजधानी में खतरे की आहट भी फिर से सुनाई देने लगी है. कारण? कुछ और नहीं शहर के बीचोबीच खड़ी वह ऐतिहासिक मगर जर्जर इमारतें हैं, जो कभी भी ढह सकती हैं. अमीनाबाद, नखास और अकबरी गेट जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर यह जर्जर कोठियां बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं. लखनऊ नगर निगम ने कुछ इमारतों के लिए नोटिस तो जारी किया है, लेकिन कोई सक्रियता नहीं दिख रही, जिससे यह अहसास हो कि इन कोठियों को ढहने से बचाया जा सके. या फिर इन्हें खुद ही ढहाकर हादसे को रोका जा सके.

अमीनाबाद की कोठियां बेहद खतरनाक: शहर के अमीनाबाद चौराहे से निकलने वाले तीनों प्रमुख रास्तों पर कई कोठियां सड़क के बिल्कुल किनारे बनी हैं. इनमें से अधिकतर दशकों पुरानी हैं और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी हैं. कोठियों में न सिर्फ दरारें साफ दिखती हैं, बल्कि इनकी दीवारें खुद ही धीरे-धीरे ढह रही हैं. बारिश के मौसम में इनके गिरने की संभावना और बढ़ जाती है. इससे न सिर्फ स्थानीय दुकानदार शिकार बनेंगे, बल्कि राहगीर भी चपेट में आ सकते हैं. ठीक ऐसे ही नखास और विक्टोरिया स्ट्रीट भी खतरे की जद में है. अकबरी गेट क्षेत्र की हालत भी इससे अलग नहीं है. विक्टोरिया स्ट्रीट पर तो कई पुरानी कोठियां जर्जर अवस्था में हैं, जिनकी वर्षों से मरम्मत नहीं कराई गई है. यह कोठियां बारिश की पहली फुहार में ही ध्वस्त हो सकती हैं.

जर्जर कोठियों पर रिपोर्ट. (Video Credit: ETV Bharat)

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जताई चिंता: सामाजिक कार्यकर्ता फैज हसनैन आब्दी ने बताया कि यह कोठियां और इमारतें जनता की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. बीते कुछ वर्षों में लखनऊ में ऐसे हादसे हो चुके हैं, जिनमें जर्जर मकानों के गिरने से लोगों की मौत हुई. उन्होंने कहा कि हर बार हादसे के बाद एनडीआरएफ आती है, मलबा हटाती है, लेकिन मूल जिम्मेदारी उन मकान मालिकों की होती है, जो खुद इन्हें गिरवाने से बचते हैं. लखनऊ जैसे ऐतिहासिक शहर में जहां आबादी घनी है, वहां इस तरह के जर्जर भवन, मौत को दावत देते हैं. जरूरत इस बात की है, कि बारिश से पहले इन पर ठोस और सख्त कार्रवाई की जाए.

पुरानी घटनाएं दे रहीं खतरे का संकेत

  1. 2024 में ट्रांसपोर्ट नगर हादसा: एक बहुमंजिला जर्जर इमारत गिरने से 7 लोगों की मौत और 24 घायल.
  2. 2023 में आलमबाग रेलवे कॉलोनी हादसा: मकान गिरा, 5 की मौत, जिनमें बच्चे भी शामिल थे.
  3. 2025 में अमीनाबाद हादसा: कुछ दिन पहले ही एक जर्जर मकान की दीवार गिरने से डिलीवरी बॉय गंभीर घायल हुआ.

महापौर ने किया सर्वे का दावा, कार्रवाई अब भी अधूरी: लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि नगर निगम ने शहर में सभी जर्जर भवनों का सर्वे कर लिया है. मकान मालिकों को नोटिस भी दिए जा चुके हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि नगर निगम फिर से सर्वे कराकर जल्द ही प्रभावी कार्रवाई करेगा. निगम की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 278 भवनों को जर्जर घोषित किया गया है. सभी मकान मालिकों को नोटिस देकर भवन गिराने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अब तक कोई आगे नहीं आया. अब नगर निगम ने इन भवनों की सूची लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को भेज दी है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.

यह भी पढ़ें: मोटापा कितना खतरनाक? परेशान होकर हमीरपुर की टीचर ने दी जान; पीएम मोदी भी जता चुके हैं चिंता

लखनऊ: बारिश का मौसम दस्तक देने वाला है. साथ ही राजधानी में खतरे की आहट भी फिर से सुनाई देने लगी है. कारण? कुछ और नहीं शहर के बीचोबीच खड़ी वह ऐतिहासिक मगर जर्जर इमारतें हैं, जो कभी भी ढह सकती हैं. अमीनाबाद, नखास और अकबरी गेट जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर यह जर्जर कोठियां बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती हैं. लखनऊ नगर निगम ने कुछ इमारतों के लिए नोटिस तो जारी किया है, लेकिन कोई सक्रियता नहीं दिख रही, जिससे यह अहसास हो कि इन कोठियों को ढहने से बचाया जा सके. या फिर इन्हें खुद ही ढहाकर हादसे को रोका जा सके.

अमीनाबाद की कोठियां बेहद खतरनाक: शहर के अमीनाबाद चौराहे से निकलने वाले तीनों प्रमुख रास्तों पर कई कोठियां सड़क के बिल्कुल किनारे बनी हैं. इनमें से अधिकतर दशकों पुरानी हैं और जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी हैं. कोठियों में न सिर्फ दरारें साफ दिखती हैं, बल्कि इनकी दीवारें खुद ही धीरे-धीरे ढह रही हैं. बारिश के मौसम में इनके गिरने की संभावना और बढ़ जाती है. इससे न सिर्फ स्थानीय दुकानदार शिकार बनेंगे, बल्कि राहगीर भी चपेट में आ सकते हैं. ठीक ऐसे ही नखास और विक्टोरिया स्ट्रीट भी खतरे की जद में है. अकबरी गेट क्षेत्र की हालत भी इससे अलग नहीं है. विक्टोरिया स्ट्रीट पर तो कई पुरानी कोठियां जर्जर अवस्था में हैं, जिनकी वर्षों से मरम्मत नहीं कराई गई है. यह कोठियां बारिश की पहली फुहार में ही ध्वस्त हो सकती हैं.

जर्जर कोठियों पर रिपोर्ट. (Video Credit: ETV Bharat)

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जताई चिंता: सामाजिक कार्यकर्ता फैज हसनैन आब्दी ने बताया कि यह कोठियां और इमारतें जनता की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं. बीते कुछ वर्षों में लखनऊ में ऐसे हादसे हो चुके हैं, जिनमें जर्जर मकानों के गिरने से लोगों की मौत हुई. उन्होंने कहा कि हर बार हादसे के बाद एनडीआरएफ आती है, मलबा हटाती है, लेकिन मूल जिम्मेदारी उन मकान मालिकों की होती है, जो खुद इन्हें गिरवाने से बचते हैं. लखनऊ जैसे ऐतिहासिक शहर में जहां आबादी घनी है, वहां इस तरह के जर्जर भवन, मौत को दावत देते हैं. जरूरत इस बात की है, कि बारिश से पहले इन पर ठोस और सख्त कार्रवाई की जाए.

पुरानी घटनाएं दे रहीं खतरे का संकेत

  1. 2024 में ट्रांसपोर्ट नगर हादसा: एक बहुमंजिला जर्जर इमारत गिरने से 7 लोगों की मौत और 24 घायल.
  2. 2023 में आलमबाग रेलवे कॉलोनी हादसा: मकान गिरा, 5 की मौत, जिनमें बच्चे भी शामिल थे.
  3. 2025 में अमीनाबाद हादसा: कुछ दिन पहले ही एक जर्जर मकान की दीवार गिरने से डिलीवरी बॉय गंभीर घायल हुआ.

महापौर ने किया सर्वे का दावा, कार्रवाई अब भी अधूरी: लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल ने बताया कि नगर निगम ने शहर में सभी जर्जर भवनों का सर्वे कर लिया है. मकान मालिकों को नोटिस भी दिए जा चुके हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि नगर निगम फिर से सर्वे कराकर जल्द ही प्रभावी कार्रवाई करेगा. निगम की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार 278 भवनों को जर्जर घोषित किया गया है. सभी मकान मालिकों को नोटिस देकर भवन गिराने के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन अब तक कोई आगे नहीं आया. अब नगर निगम ने इन भवनों की सूची लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को भेज दी है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके.

यह भी पढ़ें: मोटापा कितना खतरनाक? परेशान होकर हमीरपुर की टीचर ने दी जान; पीएम मोदी भी जता चुके हैं चिंता

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